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Little Dorrit by Charles Dickens
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9788184306249
"I have been occupied with this story, during many working hours of two years. I must have been very ill employed, if I could not leave its merits and demerits as a whole, to express themselves on its being read as a whole. But, as it is not unreasonable to suppose that I may have held its threads with a more continuous attention than anyone else can have given them during its desultory publication, it is not unreasonable to ask that the weaving may be looked at in its completed state, and with the pattern finished." -Preface by the author
The Book of Life by Upton Sinclair
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6235989715075
The writer of this book has been in this world some forty-two years. That may not seem long to some, but it is long enough to have made many painful mistakes, and to have learned much from them. Looking about him, he sees others making these same mistakes, suffering for lack of that same knowledge which he has so painfully acquired. This being the case, it seems a friendly act to offer his knowledge, minus the blunders and the pain.
Inquilab by Mrinalini Joshi
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9789386231857
फर्न बड़ी मुश्किल से उठा और आने बढ़ने लगा। तभी भगतसिंह ने पीछे मुड़कर उसपर गोली दाग दी। फर्न गोली से नहीं, डर के मारे जमीन पर गिर पड़ा। साहब को गिरते हुए देखकर उसके साथी सिपाही वहीं-के-वहीं खडे़ रह गए।
दूसरी गोली दागने के इरादे से भगतसिंह पीछे मुड़ने ही वाला था कि आजाद ने हुक्म दिया—‘‘चलो!’’ सुनते ही राजगुरु और भगतसिंह दोनों भागकर कॉलेज के अहाते में घुस गए।
भगतसिंह सबसे आगे था और उसके पीछे था राजगुरु तथा उसके पीछे चंदनसिंह था। बड़ी अजीब तरह की दौड़ थी। आगे भगतसिंह। उसे दबोचने की कोशिश करनेवाला चंदनसिंह और चंदनसिंह को दबोचकर भगतसिंह को बचाने को तत्पर राजगुरु। साक्षात् जीवन-मृत्यु एक-दूसरे का पीछा कर रहे थे। किसकी जीत होगी? किसकी हार होगी?
चंदनसिंह काफी लंबा और मजबूत था। जान की बाजी लगाकर वह पीछा कर रहा था। आखिर वह सफल होने जा रहा था। भगतसिंह के बिल्कुल पास पहुँच गया था। अब उसे दबोचने ही वाला था कि ‘साँय-साँय’ करती एक गोली आकर सीधे उसके पैर में धँस गई। उसकी रफ्तार तनिक कम हो गई, लेकिन वह नहीं रुका। तभी दूसरी गोली आई और सीधे उसके पेट में घुस गई। चीखकर धड़ाम से वह जमीन पर गिर पड़ा।
भगतसिंह समझ चुका था कि यह गोली आजादजी की पिस्तौल से चली है; क्योंकि इस प्रकार तीन लोग जब इस तरह से तेज दौड़ रहे हों तब ठीक अपने दुश्मन का ही निशाना साधना सिर्फ उन्हीं के वश की बात है।
—इसी पुस्तक से
Mujhe Banna Hai Super Ameer by Pradeep Thakur
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9789380839950
जिस व्यक्ति विलियम बर्नेट बेंटन से मिलनेवाले हैं, वह भी शुरू-शुरू में हमारे-आपके जैसा जनसाधारण ही था, लेकिन बाद में विज्ञापन अभिकरण (एडवरटाइजिंग एजेंसी) का सह-संस्थापक बना, फिर कनेक्टिकट राज्य से संयुक्त राज्य अमेरिका का सीनेट सदस्य और अंत में इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका का एकमात्र स्वामी (सोल ओनर) व प्रकाशक (पब्लिशर) बना। अखबार-पत्रिकाओं में विलियम बेंटन के व्यक्तित्व की तुलना धीमी आवाज में घूमनेवाले डायनेमो यानी बिजली उत्पादक यंत्र से की जाती थी। मतलब, बेंटन लगातार उच्च ऊर्जा तो उत्पन्न करनेवाला डायनेमो जैसा व्यक्ति था, लेकिन उसके व्यक्तित्व से उच्च विद्युत् के आतंकित करनेवाले झटके नहीं निकलते थे। बड़ी उपलब्धि हासिल करनेवाले अधिकांश व्यक्तियों से उलट बेंटन का जीवन आमतौर पर शांत, धीमा व व्यवस्थित था। उसकी उपलब्धि चौंकनेवाली नहीं थी, बल्कि सबकुछ एक क्रम में कदम-दर-कदम आगे बढ़ता हुआ था। इसके कोई शक नहीं कि उसने बड़े-बड़े जोखिम उठाए थे। उसे अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत में ही यह समझ आ गई थी कि वेतन से कोई भी धनी नहीं बन सकता। यही कारण था कि उसने स्वेच्छा से तथाकथित सुरक्षित नौकरी छोड़ दी थी और स्व-रोजगार (सेल्फ एंप्लॉयमेंट) के डरावने क्षेत्र को अपनाने का बड़ा जोखिम उठाया था।
—इसी पुस्तक से
Selections from the Writings of Lord Dunsany by Lord Dunsany
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6235989715667
Lady Wilde once told me that when she was a young girl she was stopped in some Dublin street by a great crowd and turned into a shop to escape from it. She stayed there some time and the crowd still passed. She asked the shopman what it was, and he said, 'the funeral of Thomas Davis, a poet.' She had never heard of Davis; but because she thought a country that so honoured a poet must be worth something, she became interested in Ireland and was soon a famous patriotic poet herself, being, as she once said to me half in mockery, an eagle in her youth.
A General View of Positivism by Auguste Comte
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9788184305356
Positivism is not simply a system of Philosophy; nor is it simply a new form of Religion; nor is it simply a scheme of social regeneration. It partakes of all of these, and professes to harmonize them under one dominant conception that is equally philosophic and social. ‘Its primary object,’ writes Comte, ‘is twofold: to generalize our scientific conceptions and to systematize the art of social life.’ Accordingly Comte’s ideal embraces the three main elements ofix which human life consists—Thoughts, Feelings and Actions.' -an excerpt from the book
The “Characters” of Jean de La Bruyère by Jean de La Bruyère
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9788184306408
"It is a common practice for translators to state to the public that the author they are going to introduce, and whom they sometimes traduce, is one of the greatest men of the age, and that already for a long time a general desire has been felt to make the acquaintance of such a master-mind. It would be an insult to French scholars to speak thus of La Bruyère, for the merits of his “Characters” are known; but, for the benefit of those who are not so well acquainted with our author, I may state that he is neither so terse, epigrammatic, sublime, nor profound as either Pascal or La Rochefoucauld are, but that he is infinitely more readable, as he is always trying to please his readers, and now and then sacrifices even a certain depth of thought to attain his object." -Introduction
Agatized Rainbows by Harold J. Brodrick
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9788184306516
As the young lady drove off with a gay wave of her hand and “I think you’re mean” tossed over her shoulder, the ranger turned to us with a rueful smile. “Happens every day,” he said. “You can’t blame people for wanting to take home a souvenir of the Petrified Forest, and the stuff is so pretty that kids, especially, just can’t help but want to pack it off. And, with so much of it here, it’s hard for them to understand that it would soon be gone, particularly along the roads and trails, if everyone carried off a handful or two.” -an excerpt
Sense and Sensibility by Jane Austen
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9788184305266
Sense and Sensibility' is a novel by Jane Austen, published in 1811. It tells the story of the Dashwood sisters, Elinor and Marianne, both of age to marry. The novel follows the young women to their new home with their widowed mother, a meagre cottage on the property of a distant relative, where they experience love, romance and heartbreak.
Himalaya Par Lal Chhaya by Shanta Kumar
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9789351868545
वर्ष 1962 में भारत पर चीनी आक्रमण स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और भारतीय सेना की शर्मनाक पराजय एक कलंक। वह हार सेना की नहीं थी, अपितु तत्कालीन सरकार की लापरवाही के कारण हुई थी। भारत की सरकार पंचशील के भ्रम में और ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे में मस्त रही; यद्यपि चीन द्वारा तिब्बत के अधिग्रहण के बाद भारतीय सीमा पर घुसपैठ चलती रही थी। जो भारत की सेना अपनी बहादुरी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थी और जिस सेना के पराक्रम से मित्र देशों ने दो विश्वयुद्धों में जीत हासिल की थी, भारत की वही बहादुर सेना 1962 में बुरी तरह से परास्त हुई।
पिछले कुछ वर्षों से सीमा पर घुसपैठ कुछ अधिक होेने लगी है। कई बार चीनी सेना कई मील अंदर आ गई। चिंता का विषय यह है कि चीनी सेना भारतीय सीमा में अपनी मरजी से आती है और अपनी मरजी से ही वापस चली जाती है।
इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य भारत को उस चुनौती के लिए तैयार करना है, जो आज मातृभूमि पर आए संकटों ने हमारे सामने उपस्थित कर दी है। परिस्थितियाँ विपरीत हैं, मानो समय भारत के पौरुष, नीतिज्ञता व साहस की परीक्षा लेना चाहता है। निस्संदेह कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे भविष्य के प्रति महान् निराशा होती है, परंतु हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि विकट और महान् संकटों में से राष्ट्रों के उज्ज्वल भविष्य का उदय हुआ करता है।
Dr. Ambedkar : Jeevan Darshan by Kishor Makwana
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9789353221676
भीमराव रामजी आंबेडकर केवल भारतीय संविधान के निर्माता एवं करोड़ों शोषित-पीडि़त भारतीयों के मसीहा ही नहीं थे, वे अग्रणी समाज-सुधारक, श्रेष्ठ विचारक, तत्त्वचिंतक, अर्थशास्त्री, शिक्षाशास्त्री, पत्रकार, धर्म के ज्ञाता, कानून एवं नीति निर्माता और महान् राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने समाज और राष्ट्रजीवन के हर पहलू पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। सामाजिक समता और बंधुता के आधार पर एक नूतन भारत के निर्माण की नींव रखी। उनका व्यक्तित्व एक विराट् सागर और कृतित्व उत्तुंग हिमालय जैसा था।
विगत अनेक वर्षों से वैचारिक अस्पृश्यता और राजनीतिक स्वार्थ के लगातार बढ़ते जा रहे विस्तार ने हमारे जिन राष्ट्रनायकों के बारे में अनेक भ्रांतियुक्त धारणाओं को जनमानस में मजबूत करने का दूषित प्रयत्न किया है, उनमें डॉ. बाबासाहब आंबेडकर प्रमुख हैं। उन्हें किसी जाति या वर्ग विशेष अथवा दल विशेष तक सीमित कर दिए जाने के कारण सामाजिक समता-समरसता ही नहीं, राष्ट्रीय एकता की भी अपूरणीय क्षति हो रही है। इस दृष्टि से चार
खंडों में उनका व्यक्तित्व-कृतित्व वर्णित है : खंड एक—‘जीवन दर्शन’, खंड दो—‘व्यक्ति दर्शन’, खंड तीन—‘आयाम दर्शन’ और खंड चार ‘राष्ट्र दर्शन’। डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर को समग्रता में प्रस्तुत करने वाला एक ऐसा अनन्य दस्तावेज है, जो उनके बारे में फैले या फैलाए गए सारे भ्रमों का निवारण करने में तो समर्थ है ही, साथ ही उन्हें एक चरम कोटि के दृष्टापुरुष तथा राष्ट्रनायक के रूप में प्रस्थापित करने में भी पूर्णतः सक्षम है।
Katha Puratani Drishti Adhuniki by Kusum Patoria
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8188139459
कथा पुरातनी, दृष्टि आधुनिकी
प्रस्तुत पुस्तक की कथाओं में लोककथा के तत्त्व सन्निविष्ट हैं। इनमें एक ओर समाज का निरावरण चित्र है तो दूसरी ओर अस्वाभाविकता की सीमा तक अतिरंजना है।
वेद शिष्ट जनों का साहित्य है, तो पुराण लोक-साहित्य। परंपरानुसार दीर्घकालीन सत्रों में पुरोहित पुराणों की कथाएँ सुनाकर यजमान व इतर अभ्यागतों का मनोरंजन किया करते थे।
‘कथा पुरातनी : दृष्टि आधुनिकी’ इन्हीं पुराणों की कुछ चुनी हुई कथाओं की आधुनिक संदर्भ में व्याख्या है। प्रश्न हो सकता है कि क्या ये कथाएँ आज के पाठक का मनोरंजन करने में समर्थ हैं? तो भले ही इनके प्रतीकात्मक अर्थ कुछ भी हों, पर इन कथाओं की प्रासंगिकता आधुनिक संदर्भ में और भी आवश्यक है।
यद्यपि इस संग्रह की अधिकांश कथाएँ वैदिक पुराणों से हैं, फिर भी कुछ कथाएँ बौद्ध जातकों व जैन पुराणों व जैनागमों के टीका ग्रंथों से भी ली गई हैं। इनमें नीति व सदाचार की कथाएँ मुख्य हैं। सांप्रदायिक सद्भाव को इंगित करती हुई भी अनेक कथाएँ हैं, अनेक कथाएँ सदाचार व नैतिकता का संदेश देती हैं।
कथाएँ पौराणिक हैं, उनकी व्याख्या की चेष्टा आधुनिकी है।
Beech Samar Main by Sushil Kumar Modi
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9789351865209
बिहार की राजनीति में 1974 के छात्र आंदोलन से उभरते नेताओं की जो पौध नब्बे का दशक शुरू होने के साथ पहली कतार में अपनी जगह सुरक्षित करने लगी थी, उनमें सुशील कुमार मोदी प्रमुख रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में, सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले सुशीलजी ने जेपी के नेतृत्व वाले छात्र आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपातकाल में इन्हें 19 महीने बिहार की कई जेलों में गुजारने पड़े। उस दौर के अनुभवों को उन्होंने ‘जेल डायरी’ के रूप में लिपिबद्ध किया है।
सन् 1990 में पहली बार बिहार विधान सभा के सदस्य निर्वाचित होकर उन्होंने अपना संसदीय जीवन आरंभ किया। फिर कभी लोकसभा और तो कभी विधान परिषद् के सदस्य भी चुने जाते रहे। वे आठ साल तक विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। ‘पशुपालन’ और ‘अलकतरा’ जैसे बड़े घोटाले उजागर किए। 2005 में एक बड़े सत्तापरिवर्तन के साथ बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी। इसमें सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री के साथसाथ वित्त मंत्री का भी दायित्व सौंपा गया। वे देश भर के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के अध्यक्ष बनाए गए।
सुशील मोदी ने आरक्षण आंदोलन, उर्दू की राजनीति, आंबेडकर के अंतर्द्वंद्व, कश्मीर और असम में सुलगते अलगाववाद, सिक्ख गुरुओं के महान् बलिदान तथा आपातकाल में राजनीतिक बंदियों की प्रताड़ना जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर कलम चलाई।
इस पुस्तक में इनके आलेख, संस्मरण, जेल डायरी और विदेश यात्राओं के रोचक वृत्तांत भी संकलित हैं। यह बौद्धिक संपदा कई पीढि़यों का मार्गदर्शन करती रहेगी।
Bharatiya Sena Ke Shoorveeron Ki Shauryagathayen by Shiv Aroor, Rahul Singh
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9789352665938
भारत के सैन्य बलों की सच्ची वीरता की कहानियाँ, सेना के मेजर, जिन्होंने नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के लॉन्च पैड पर बहुचर्चित सर्जिकल स्ट्राइक की; एक सैनिक, जिसने 11 दिनों में 10 आतंकवादियों को मार गिराया; नौसेना का एक अधिकारी, जिसने समुद्र के रास्ते एक खतरनाक बंदरगाह तक का सफर किया और युद्ध की विस्फोटक स्थिति से सैकड़ों लोगों को बचाया; वायुसेना का एक लहूलुहान पायलट, जो आग का गोला बन चुके जेट को उड़ा रहा था।
यह उनके ही या उनके साथ अंतिम पलों में मौजूद लोगों की ओर से सुनाए गए वृत्तांत हैं।
‘भारत के सबसे निडर’ (इंडियाज मोस्ट फियरलेस) में असाधारण साहस और निडरता की चौदह सच्ची कहानियाँ हैं, जो उस वीरता की झलक दिखाती हैं, जिनका परिचय भारत के सैनिक अकल्पनीय विपरीत और गंभीर उकसावे की परिस्थितियों में देते हैं।