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A View of Sir Isaac Newton’s Philosophy by Sir Isaac Newton
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9788184306606
The manner, in which Sir Isaac Newton has published his philosophical discoveries, occasions them to lie very much concealed from all, who have not made the mathematics particularly their study. He once, indeed, intended to deliver, in a more familiar way, that part of his inventions, which relates to the system of the world; but upon farther consideration he altered his design. -Introduction
Jharkhand Ke Mele by Sanjay Krishna
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9789351866329
झारखंड की विविधतापूर्ण संस्कृति को देखना हो तो यहाँ के मेले इसके सबसे अच्छे उदाहरण हो सकते हैं। इन मेलों में हम झारखंड की पुरातन और अधुनातन संस्कृति, समाज और उनके कार्य-व्यापार को देख-समझ सकते हैं। हम देख सकते हैं उनकी पारंपरिक व्यवस्था, उनके खान-पान, जीवन-शैली, रीति-रिवाज, नृत्य-गीत, हरवा-हथियार, ढोल, मांदर, तुरही, भेर। झारखंड में मेले अब भी जीवित और जीवंत है।
इस पुस्तक में ईंद जतरा मेला, माघ मेला, राँची पहाड़ी का सावन मेला, मुड़मा मेला, जेठ जतरा मेला, शिव मंडा मेला, मुड़हर पहाड़ का मेला, फगडोल मेला, राष्ट्रीय खादी मेला, स्वर्णरेखा महोत्सव मेला, बाँग्ला सांस्कृतिक मेला, रामनवमी मेला, दुर्गा पूजा मेला, दशानन दहन मेला, टुसू मेला, जगन्नाथपुर रथयात्रा मेला, सुकन बुरू मेला, महामाया मंदिर का मेला, चैत्र पूर्णिमा मंडा मेला, रामरेखा धाम मेला, ऐतिहासिक फाल्गुन मेला, शहादत दिवस मेला और बुधू भगत गाँव के मेलों का बड़ा सजीव और रोचक वर्णन प्रस्तुत किया गया है जिससे पाठक झारखंड की समृद्ध परंपराओं और वहाँ के निवासियों की श्रद्धा-भक्ति से परिचित होंगे।
मेलों के माध्यम से झारखंड के जन-जीवन, रीति-रिवाज और लोक-संस्कृति को समझने में सहायक एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक।
The S. P. Mystery by Harriet Pyne Grove
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9788184306526
"Jean Gordon rushed into the house, her face all aglow. There was some fire within which made her eyes bright and the sharp wind, which came from lakes not too far away, gave her rosy cheeks and nipped her nose as well.
"Without stopping in the hall to take off her pretty red coat or the close little hat that left little but eyes, nose and mouth to be seen, she opened the door into the dining-room, from which the sound of her mother’s machine could be heard." -an excerpt
Lakshya Prapti Ke Funde by N. Raghuraman
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9789350485224
जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करना, फिर उन्हें पाने के लिए अथक परिश्रम करना सबसे जरूरी है। बिना लक्ष्य तय किए कोई भी काम किया जाए, उसकी सफलता में संदेह हमेशा बना रहता है। इसलिए लक्ष्य तय करें और फिर प्राणपण से उनकों सिद्ध करने के लिए अपनी सारी क्षमता और ताकत लगा दें। लक्ष्य-निर्धारण और लक्ष्य-प्राप्ति के बीच के सफर को ठीक तरह से तय करने का मार्ग प्रशस्त करनेवाले प्रैक्टिकल फंडों का संकलन है यह पुस्तक।
चाहे स्टीव जॉब्स हों, थामस अल्वा एडिसन या नारायण मूर्ति हों, इनमें से किसी ने औसत विचार नहीं अपनाए, किसी ने भी अपने लक्ष्य के बारे में चर्चा नहीं की, न कभी अपने प्रयासों के बारे में बताया। लेकिन इन सभी ने आखिरकार अपनी उपलब्धियाँ सबको दिखाईं और यही कारण है कि वे वास्तविक सफल लोग माने जाते हैं।
इसलिए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कीजिए, सफलता आपको जरूर हासिल होगी। आपकी लक्ष्य-प्राप्ति को सुनिश्चित करनेवाली एक बेहद उपयोगी पुस्तक।
The Upanishads: An Illustrated Classic of Indian Spirituality by Swami Paramananda
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9788184305072
The Upanishads are a collection of texts that contain some of the central philosophical concepts of Hinduism, some of which are shared with Buddhism and Jainism. The Upanishads are considered by Hindus to contain utterances concerning the nature of ultimate reality and describing the character of and path to human salvation.
Paramananda was a swami and one of the early Indian teachers who went to the United States to spread the Vedanta philosophy and religion there. He was a mystic, a poet and an innovator in spiritual community living.
Maharshi Arvind Ghosh by Kaushal Kishor
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9788177211934
अरविंद घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णधन और माता का नाम स्वमलता था। बंगाली साहित्य के जाने-माने विद्वान् राज नारायण बोस अरविंद के नाना थे। धार्मिक गुण और साहित्यिक क्षमताएँ उन्हें अपनी माता के वंश से विरासत में मिलीं। उनके पिता ने इंग्लैंड से डॉक्टरी पढ़ी थी।
अपने पिता की इच्छा-पूर्ति करते हुए उन्होंने भारतीय सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा दी और अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए; लेकिन घुड़सवारी की परीक्षा में असफल हो जाने के कारण उन्हें भारत सरकार की सेवा का अवसर नहीं मिला।
वर्ष 1908 से वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे। उन्होंने अंग्रेजी दैनिक ‘वंदे मातरम्’ का संपादन किया और अपने बेबाक आलेखों से देश को जाग्रत् करने का कार्य किया। उन्होंने ब्रिटिश सामान, ब्रिटिश न्यायालय और अन्य वस्तुओं का खुलेआम बहिष्कार किया।
अलीपुर बम केस उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। उन्हें एक साल के लिए अलीपुर जेल में डाल दिया गया। वहाँ उन्होंने भगवद्गीता का गहन अध्ययन किया और अपने भावी आध्यात्मिक जीवन की नींव रखी।
श्रीअरविंद ने मानव जाति की सहायता के लिए विश्व-प्रसिद्ध आश्रम की स्थापना की।
एक कवि, विद्वान्, योगी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी अरविंद सदैव मनुष्यमात्र के जीवन-उत्थान में लगे रहे।
प्रस्तुत है आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत का मस्तक ऊँचा करनेवाले, उच्च कोटि के दार्शनिक, स्वतंत्रता-सेनानी और एक सच्चे योगी की अनुकरणीय-प्रेरणास्पद जीवनी।
The Choice by Edith Wharton
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9788184305732
"Stilling, that night after dinner, had surpassed himself. He always did, Wrayford reflected, when the small fry from Highfield came to dine. He, Cobham Stilling, who had to find his bearings and keep to his level in the big heedless ironic world of New York, dilated and grew vast in the congenial medium of Highfield. The Red House was the biggest house of the Highfield summer colony, and Cobham Stilling was its biggest man. No one else within a radius of a hundred miles (on a conservative estimate) had as many horses, as many greenhouses, as many servants, and assuredly no one else had three motors and a motor-boat for the lake." -an excerpt
Jharkhand Adivasi Vikas Ka Sach by Prabhakar Tirki
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9789351864103
ऐसा कहा जाता रहा है कि संविधान की पाँचवीं अनुसूची आदिवासियों के लिए उनका धर्मग्रंथ है, जिसके प्रति उनकी आस्था है, उनकी श्रद्धा है। यह धर्मग्रंथ उनके जीने की आशा है, उनका स्वर्णिम भविष्य है। लेकिन संविधान रूपी इस धर्मग्रंथ के प्रति अब आस्था टूट रही है और उनकी श्रद्धा कम हो रही है। अब यह आस्था बनाए रखने का धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि आदिवासी इसे कोरे कागज की तरह देख रहे हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत विश्लेषण पाँचवीं अनुसूची के संवैधानिक प्रावधानों के अलावा आदिवासी समाज के उन तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालने की कोशिश है, जिसका सीधा संबंध संविधान की पाँचवीं अनुसूची से है। वर्तमान संदर्भ में यह विश्लेषण पाँचवीं अनुसूची के उल्लंघन के कारण उत्पन्न होने वाली उन प्रतिकूल परिस्थितियों पर भी प्रकाश डालने की कोशिश है, जिनके कारण आदिवासी समाज का विकास बाधित होने की आशंका को बल मिल रहा है। वस्तुतः झारखंड का नवनिर्माण का मकसद हमारी आनेवाली पीढ़ी के भविष्य का निर्माण। इस पुस्तक को प्रासंगिक बनाने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों में विद्यमान तथ्यों को भरसक जुटाने की कोशिश करते हुए, झारखंड नवनिर्माण का मार्ग कैसे तय हो, इसकी चिंताधारा ढूँढ़ने की कोशिश की गई है।
आशा है यह पुस्तक आदिवासियों के विकास और झारखंड के नवनिर्माण की दिशा में ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी।
Kyon Papa Kyon? by Chitra Manglik Kumar
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9789389982459
‘क्यों पापा क्यों?’ एक कहानी-संग्रह है। यह पुस्तक मनगढ़ंत कल्पनाओं पर आधारित अथवा मात्र मनोरंजन के लिए लिखी गई हो, ऐसा नहीं है। वास्तविक लोग, संयुक्त परिवार, प्रामाणिक जीवन, भूतकाल से वर्तमान समय की कड़ी-से-कड़ी जोड़ती हुई स्वतंत्र नदिया की बहती धारा के रूप में सबको लेकर,समेटते निरंतर आगे बढ़ती जीवंत सदस्यों की जीवनी में बद्ध कहानियाँ हैं ।
परिवर्तन संसार का नियम है। समाज में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। इन कहानियों में समाज का बदलता रूप, पारिवारिक संबंधों में तनाव, अलगाव, आधुनिक जीवन-शैली, व्यक्तिगत अहं वाली मानसिकता के साथ-साथ परंपरागत संगठित परिवारों का जीवन झलकता है।
इन कहानियों में पुरानी पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी, दोनों का चित्रण है, जो समय और समाज के बदलते दौर पर मंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। दोनों पीढ़ी की सार्थक सोच के समन्वय से संभवतः समाज को अधिक सशक्त, सुखद और सभ्य बनाया जा सकता है।
Dr. Bhim Rao Ambedkar by S.K. Agrawal
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9789351861171
It is easy to accept one’ s for tune regarding bir th place and circumstances and act accordingly . Animals too perform in a similar manner , but, if human beings are called as the highest of all creatures, then it means that he can erase his fate and make destiny of his own with his will power and can achieve whatever he wants. This fir m determination of willpower is reflected in the life stor y of Dr . Bhim Rao Ambedker . His stor y presents the histor y of a hard battle that he waged upon, inspite of being born as an untouchable; he rose up to the position of being a Bharat Ratna recipient.
Main Tilak Bol Raha Hoon by Giriraj Sharan Agrawal
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9789380823188
भारत माँ के अमर सपूत लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक संघर्षशील राजनेता थे। उन्होंने मृतप्राय भारतीय समाज को संघर्ष करने की प्रेरणा दी। इस संघर्ष से एक नए समाज का उदय हुआ, एक नए युग का आरंभ हुआ। स्वराज्य उनके लिए धर्म था, स्वराज्य उनके लिए जीवन था। स्वदेशी आंदोलन के लिए उन्होंने गणपति महोत्सव शुरू किया, भारतीयों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए तैयार किया।
कोरे आदर्शवाद से लोकमान्य का संपर्क नहीं था। उन्होंने व्यावहारिक विषयों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से चिंतन किया। उनका चिंतन उनके कार्यों का आधार बना। लोकमान्य तिलक तत्कालीन शिक्षा-प्रणाली से पूर्णत: असंतुष्ट थे। तिलक चाहते थे कि हमारी शिक्षा-प्रणाली स्वतंत्र देश के समान हो। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया।
तिलक अपने तेज से एक पूरे युग को नई आभा से मंडित कर गए। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता-आंदोलन को केवल प्रेरणा ही नहीं दी, वरन् संघर्ष करने की एक निश्चित योजना भी दी।
ऐसे अमर साधक, कर्मयोगी, राष्ट्ररक्षक और सत्य के प्रतिपालक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की विचारधारा से अपने देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने और प्रेरित करने का मंगलकारी संकल्प लेकर तैयार किया गया प्रस्तुत संकलन युवा पीढ़ी को समर्पित है।
Manusmriti Aur Adhunik Samaj by Prof. Ram Gopal Gupt
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9789352667994
‘मनुस्मृति’ सामाजिक व्यवस्था, विधि, न्याय एवं प्रशासन-तंत्र पर विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, जो विद्वान् महर्षि मनु द्वारा संस्कृत की पद्यात्मक शैली (श्लोकों) में लिऌा गई है। इस ग्रंथ में मनु ने तत्कालीन समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं मनुष्य के स्वभाव का अति सूक्ष्म परिवेक्षण कर मानव-समाज को सुव्यवस्थित, सुऌखी, स्वस्थ, संपन्न, वैभवशाली एवं सुरक्षित बनाने हेतु विविध नियमों का प्रावधान किया है, ताकि नारी व पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग, विद्वान् व अनपढ़, स्वस्थ व विकलांग, संपन्न व गरीब, सभी सऌमान एवं प्रतिष्ठा के साथ रह सकें तथा समाज और देश की चतुर्मुऌा उन्नति में अपना प्रशंसनीय योगदान करने में सफल हों।
मनुस्मृति किसी धर्म विशेष की पुस्तक नहीं है। यह वास्तव में मानव-धर्म की पुस्तक है तथा समाज की तत्कालीन स्थिति से परिचित कराती है। समाज की सुव्यवस्था हेतु मनुष्यों के लिए जो नियम अथवा अध्यादेश उपयुत समझे, मनु ने इस मानव-धर्म ग्रंथ में उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवाधिकारों के संरक्षण पर अनेक श्लोक हैं। मनुस्मृति में व्यतियों द्वारा प्राप्त ज्ञान, उनकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार उनके कर्म निर्धारित किए गए हैं तथा कर्मानुसार ही प्रत्येक व्यति के अधिकारों, कर्तव्यों, उारदायित्वों एवं आचरणों के बारे में स्पष्ट मत व अध्यादेश अंकित हैं।
सरल-सुबोध भाषा में समर्थ-सशत-समरस समाज का मार्ग प्रशस्त करनेवाला ज्ञान-संपन्न ग्रंथ।
Swastha Rahen, Mast Rahen by Dr. Mickey Mehta
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9789353225407
पुस्तकके विषय में
अनुकूलित बन जाइए, मिकीमाइज हो जाइए!
जीवन दो ध्रुवों के बीच झूलता रहता है। अपनी इच्छा के खिलाफ हम लगातार कभी इसके तो कभी उसके पीछे भागते रहते हैं। इस भागमभाग का अपना ही नुकसान होता है। प्रकृति के उस बल के अधीन कर दिए जाने पर हम शक्तिहीन और भावनात्मक रूप से बेचैन हो उठते हैं, जिसे हम किसी सार्थक काम में नहीं बदल पाते। इसका मुकाबला करने के लिए ‘स्वस्थ रहें मस्त रहें’ आपके जीवन को सरल बनाने और शून्य की उस दशा का पता लगाने में आपकी सहायता करेगी, जो आपकी असीम क्षमता का आंतरिक स्रोत है।
दुनिया के विख्यात संपूर्ण स्वास्थ्य गुरु और कॉरपोरेट जीवन के कोच, डॉ. मिकी मेहता आपको बताएँगे कि कैसे सकारात्मक या नकारात्मक नहीं, बल्कि अनुकूलित बनें, ताकि आप अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में आ सकें। साँस लेने से सोने तक वे आपको अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के विषय में अलग तरीके से विचार कर अपने मन और शरीर की खोज करना सिखाते हैं और दिखाते हैं कि किस प्रकार अव्यवस्था के स्थान पर सुधार को चुनें। इस पुस्तक में शामिल अनोखे और प्रेरित करनेवाले सूत्रवाक्य तथा गहन दार्शनिक विचार आपको ऊर्जावान, संतुष्ट और शांतिमय बना देंगे।
सुखी-स्वस्थ-संतुष्ट-सार्थक जीवन जीने के गुरुमंत्र बताती यह पठनीय कृति।
Jansarokar Ke Patrakar Harivansh by Dr. R. K. Nirad
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9789389982381
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंशजी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। पत्रकारिता, राजनीति और सामाजिक सरोकार के क्षेत्रों में उनके योगदान के कई आयाम हैं। पत्रकारिता, प्रबंधन और ज्ञान के क्षेत्र में वे जिज्ञासा का विषय हैं। हरिवंशजी पत्रकारिता की एक परंपरा हैं। प्रबंधन के क्षेत्र में उनके सफल प्रयोग आज बड़े संस्थानों को भी दृष्टि दे रहे हैं। ज्ञानानुशासन के सभी क्षेत्रों में उन्होंने व्यापक अनुभव प्राप्त कर समकालीन पत्रकारिता और अखबारी प्रबंधन को नई दृष्टि तथा अगली पीढ़ी को ज्ञान का विपुल भंडार दिया है। वे पत्रकारिता के मॉडल हैं।
विचार और आचरण के क्षेत्र में भी हरिवंशजी आदर्श पुरुष हैं। समाजवादी-गांधीवादी विचारों के प्रतीक हैं। वे स्पष्टतः एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, किंतु उनमें दलगत राजनीति के प्रति तटस्थता है। वे राजनीतिक आचरण और विचार का अनुसरण करने के प्रबल पक्षधर हैं।
हरिवंशजी उच्च कोटि के लेखक भी हैं। समाजवादी विचारधारा का अनुसरण और उस विचारधारा के प्रभाव में मूल्य- आधारित पत्रकारीय, सामाजिक और राजनीतिक जीवन जीनेवाले हरिवंशजी में बौद्धिक स्तर पर अन्य राजनीतिक-धाराओं के प्रति सम्मान का भाव है।
हरिवंशजी की पत्रकारिता निश्चय ही जनसरोकारी-जनपक्षीय है। उनके लेखन-संसार में विषयों का असाधारण वैविध्य है। साहित्य, भाषा, संस्कृति, अध्यात्म और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अपने विशिष्ट दृष्टिकोण से प्रचुर लेखन किया है। संपादक और प्रबंधक के रूप में उनका वैचारिक संतुलन और समन्वय-कौशल अद्भुत है।
Mahabharatt Ki Kahaniyan by Harish Sharma
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9789382901631
महाभारत की कहानियाँ
‘महाभारत’ संसार के विशालतम ग्रंथों में एक है। यह महर्षि वेदव्यास की अनुपम रचना है। इसकी महत्ता के कारण इसे ‘पंचम वेद’ भी कहा गया है। यह ग्रंथ भारतीय जन-मानस के मन-प्राण में बसा हुआ है। इसके आदर्श स्त्री-पुरुष पात्र सदियों से भारतीय जन-जीवन को प्रभावित करते रहे हैं।
आज की व्यस्ततम दिनचर्या में विस्तृत कलेवरवाले इस ग्रंथ का पारायण कर इसे आत्मसात् कर पाना आसान नहीं है, फिर इसे समझना बच्चों के लिए तो और भी कठिन है। अत: महाभारत की कथा को सुपाठ्य एवं रोचक बनाने के लिए इसकी घटनाओं को अलग-अलग कथा के रूप में अत्यंत सरल व रोचक भाषा में लिखा गया है।
पुस्तक में दी गई कहानियों का वर्णन एवं घटनाएँ अति रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण तथा आश्चर्यचकित कर देनेवाली हैं।
विश्वास है, इन कहानियों को पढ़कर बाल-पाठक ही नहीं, सामान्य जन भी आनंदित होंगे। साथ ही महान् पौराणिक आदर्शों, सदाचारों एवं सद्गुणों को आत्मसात् करेंगे।
Jayee Rajguru: Khurda Vidhroh Ke Apratim Krantikari by Bijay Chandra Rath
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9789353229252
प्रखर देशभक्ति, अटूट विश्वास और अदम्य साहस उनके चरित्र की पहचान थी। वे कभी मृत्यु से नहीं डरे और अपने जीवन को उन्होंने मातृभूमि को भेंट कर दिया था। उनकी मृत्यु अमरता की ओर एक कदम था। वे कोई और नहीं, शहीद जयकृष्ण महापात्र उपाख्य जयी राजगुरु हैं, जो ओडिशा में खोर्र्धा राज्य के राजा के राजगुरु थे, जिन्होंने सन् 1804 में इतिहास को बदलने का साहस किया। यह उल्लेखनीय है कि खोर्र्धा भारत के अंतिम स्वतंत्र क्षेत्र ओडिशा का तटीय राज्य था, जो 1803 में अंग्रेजों के हाथों में आया था। तब तक शेष भारत पहले ही ब्रिटिश शासन के अधीन आ चुका था। संयोग से अगले वर्ष, यानी 1804 में ओडिशा के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, जो ओडिशा में ‘पाइक विद्रोह’ की शुरुआत थी। खोर्र्धा विद्रोह-1804 के नाम से ख्यात यह विद्रोह वास्तव में कई मायनों में एक जन-विद्रोह का रूप ले चुका था। भारतीय स्वतंत्रता के इस प्रारंभिक युद्ध के नायक जयकृष्ण महापात्र थे, जो कि शहीद जयी राजगुरु (1739-1806) के रूप में अधिक लोकप्रिय हुए। इस महान् जननेता और स्वतंत्रता सेनानी का जीवन निस्स्वार्थ बलिदान, अदम्य साहस और अप्रतिम देशभक्ति की गाथा है, जिसे सन् 1806 में अंग्रेजों द्वारा किए गए क्रूर कृत्य के साथ समाप्त कर दिया गया। उनका शानदार नेतृत्व, तीक्ष्ण कूटनीति और राज्य का सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन के लिए उनका योगदान राष्ट्रीय इतिहास में प्रेरक है। यह दुर्भाग्य है कि राष्ट्र की स्मृति में उन्हें उचित स्थान प्राप्त नहीं हुआ है।
—श्रीदेब नंदा, अध्यक्ष, शहीद जयी राजगुरु न्यास