Antarctica Bhavishya Ka Mahadweep by Shyam Sunder Sharma
पृथ्वी के एकदम दक्षिणी भाग में स्थित अंटार्कटिक अन्य महाद्वीपों से भिन्न है। वह एकदम निर्जन, सबसे अधिक बर्फीला और ठंडा तथा अत्यंत वेगवान् पवनों का प्रदेश है। वहाँ वनस्पति के नाम पर केवल काई उगती है और जंतु के नाम पर पंखहीन मक्खी ही निवास करती है। भारत और चीन के सम्मिलित क्षेत्र से भी अधिक भूमि को घेरे हुए अंटार्कटिक में मात्र कुछ सौ वैज्ञानिकों और उनसे संबंधित लोगों की बस्ती है, पर इनमें से अधिकांश लोग पृथ्वी के अन्य भागों में आते-जाते रहते हैं।
वह पृथ्वी की, विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्द्ध की, जलवायु को अत्यधिक प्रभावित करता है। उसे चारों ओर से घेरे अंटार्कटिक महासागर में खाद्य प्रोटीनों से युक्त क्रिल और मछलियों का विपुल भंडार है। वहाँ अनेक उपयोगी खनिजों के भी विशाल भंडार हैं।
भारत के लिए अंटार्कटिक का विशेष महत्त्व है। सुदूर अतीत में, भारतीय प्राय:द्वीप और अंटार्कटिक एक ही थल-खंड (गोंडवाना लैंड) के अभिन्न अंग थे। अतएव भारतीय प्राय:द्वीप की प्राकृतिक संरचना की सही जानकारी अंटार्कटिक से प्राप्त हो सकती है। अंटार्कटिक महासागर मानसून पवनों की उत्पत्ति को प्रभावित करता है और फलस्वरूप उस महासागर का पानी हिंद महासागर में आता रहता है। भारत के लिए अंटार्कटिक के विशेष महत्त्व को ध्यान में रखकर ही सन् 1981 से हमारे वैज्ञानिकों का एक दल हर वर्ष अंटार्कटिक जाता है और वहाँ अध्ययन एवं प्रयोग करता है। भारत ने वहाँ स्थायी अध्ययन एवं प्रयोग केंद्र भी स्थापित किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में भविष्य के इस महाद्वीप की निर्माण प्रक्रिया, उसके खोज का इतिहास, जलवायु, बर्फ, खनिज, अंटार्कटिक महासागर के जीव-जंतु और भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों आदि के वर्णन हैं।
Language |
Hindi |
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