Vikas Ka Garh Chhattisgarh by Dr. Raman Singh

छत्तीसगढ़ शताब्दियों से समन्वय, सद्भाव तथा श्रेष्ठ संस्कारों का क्षेत्र रहा है। माता कौसल्या की जन्मभूमि और श्रीराम के ननिहाल इस प्राचीन दक्षिण कोसल में भारतीय संस्कृति का धवल चरित्र विकसित हुआ। सिरपुर (प्राचीन श्रीपुर) में ताजा उत्खनन में प्राप्त छठवीं से आठवीं शताब्दी तक के पुरा-अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ शैव, वैष्णव, शाक्त, बौद्ध और जैन उपासना पद्धतियों का अद्भुत सह-अस्तित्व रहा है। ऋषि-संस्कृति, अरण्य-संस्कृति, कृषि-संस्कृति और नागर सभ्यता यहाँ साथ-साथ पल्लवित होती रहीं। लंबी राजनीतिक उपेक्षा और अमानवीय शोषण के कारण प्रचुर नैसर्गिक संपदा का धनी यह अंचल पिछड़ेपन का शिकार बन गया। सही अर्थों में रत्नगर्भा इस धरती के निवासी घोर आर्थिक विपन्नता में जीवन व्यतीत करते रहे। भूख से अकाल मौतों का यहाँ कम-से-कम डेढ़ सौ वर्षों का काला इतिहास रहा। अन्याय का प्रतिकार करनेवाली जनता पर आजादी सत्ता द्वारा इसी क्षेत्र के राजनांदगाँव में किया गया था।
इसकी गणना देश के बीमारू प्रदेशों में होती रही। यहाँ के सहज और सरल निवासी निरंतर ठगे जाते रहे। परंतु एक दशक पूर्व छत्तीसगढ़ ने एक नई करवट बदली। इस दौरान इसने सबसे तेजी से बहुमुखी विकास कर रहे राज्य की पहचान बनाई है। इसकी खाद्य सुरक्षा गारंटी एक राष्ट्रीय मॉडल बन गई। महिला सशक्तीकरण में इस राज्य ने गत चार-पाँच वर्षों में एक लंबी छलाँग लगाई है। डॉ. रमन सिंह के संवेदनशील नेतृत्व में छत्तीसगढ़ देश के सिरमौर राज्य के रूप में उभर रहा है।

Language

Hindi

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