Sim Card by Usha Verma
एक हफ्ते बाद रात आठ बजे होंगे कि टेलीफोन की घंटी बजी, ‘‘क्या मैं मिसेज नारायन से बात कर सकती हूँ।’’ ‘‘जी हाँ, मैं मिसेज नारायन बोल रही हूँ। आप कौन हैं?’’ ‘‘मैं पुलिस स्टेशन से बोल रही हूँ। आप वसुधा खन्ना को जानती हैं। वह कह रही है कि वह आपके पास रह सकती है।’’ ‘‘जी हाँ, क्या बात है?’’ ‘‘वह अपने घर में नहीं रह सकती, उसे या तो पुलिस के किए इंतजाम में रहना होगा या वह आप के पास रह सकती है।’’ मैंने कहा, ‘‘मेरे पास रह सकती है, आप ले आइए।’’ वसुधा के आने के बाद पुलिस वुमन ने बताया कि वसुधा ने आज करीब तीन बजे सौरभ के एक-एक कपड़े, कमीज, पैंट, टाई, कैमरा, लैपटॉप, फोटो अलबम, तमाम सीडी, वीडियो, घड़ी, मोबाइल फोन सब कुछ गार्डन में फेंक दिए और सब में आग लगा दी।
—इसी संग्रह से
मानवीय संवेदना और सरोकारों के ताने-बाने में बुनी ये मर्मस्पर्शी कहानियाँ पाठकों को झकझोरेंगी और उन्हें ये अपने आसपास घटित हो रही घटनाओं-पात्रों का सहसा स्मरण करा देंगी।
Language |
Hindi |
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