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Featured Digital Library Content

There are various types of digital content on Lucknow Digital Library. Explore our featured content in various document categories.

Shaheed-E-Vatan Ashfaq Ullah Khan by M.I. Rajasvi

SKU: 9789381063606
अशफाक उल्ला खाँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफाक उल्ला खाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस ‘हसरत’ था। उर्दू के अतिरिक्‍त वे हिंदी व अंग्रेजी में लेख एवं कविताएँ लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफाक उल्ला खाँ वारसी हसरत था। अशफाक का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्‍तूबर, 1900 को हुआ था। उनके वालिद का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला खाँ था। उनकी वालिदा मजहूरुन्निशा बेगम खूबसूरत खबातीनों में गिनी जाती थीं। अशफाक अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सब उन्हें प्यार से ‘अच्छू’ कहते थे। बंगाल में शचींद्रनाथ सान्याल व योगेश चंद्र चटर्जी जैसे दो प्रमुख व्यक्‍तियों के गिरफ्तार हो जाने पर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का पूरा दोरोमदार बिस्मिल के कंधों पर आ गया। इसमें शाहजहाँपुर से प्रेमकृष्ण खन्ना, ठाकुर रोशन सिंह के अतिरिक्‍त अशफाक उल्ला खाँ का योगदान सराहनीय रहा। काकोरी ट्रेन डकैती में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। 26 सितंबर, 1925 की रात जब पूरे देश में एक साथ गिरफ्तारियाँ हुईं अशफाक पुलिस की आँखों में धूल झोंककर फरार हो गए। उन्हें पुलिस बहुत बाद में गिरफ्तार कर पाई थी। 13 जुलाई, 1927 को उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई।

The Mother and Her Child by Lena K. Sadler and William S. Sadler

SKU: 9788184305205
The book is divided into three principal parts: Part I, dealing with the experience of pregnancy from the beginning of expectancy to the convalescence of labor: Part II, dealing with the infant from its first day of life up to the weaning time; Part III, taking up the problems of the nursery from the weaning to the important period of adolescence.

Howards End by E. M. Forster

SKU: 6235989715650
Dearest Meg, It isn't going to be what we expected. It is old and little, and altogether delightful--red brick. We can scarcely pack in as it is, and the dear knows what will happen when Paul (younger son) arrives tomorrow. From hall you go right or left into dining-room or drawing-room. Hall itself is practically a room. You open another door in it, and there are the stairs going up in a sort of tunnel to the first-floor. Three bedrooms in a row there, and three attics in a row above. That isn't all the house really, but it's all that one notices--nine windows as you look up from the front garden.

Subramanyam Bharati by Sumit Kumar

SKU: 9789351863830
Subramania Bharati was born at Ettyapuram (District Tirunelveli, Tamil Nadu) on December 11, 1882. His father Chinnaswami Ayyar was a priest in the court of the king of Ettyapuram. The salary received from the court was sufficient to meet the needs of his family, but he had established a small cloth mill to generate more income. Chinnaswami’s wife was a lady of religious temperament. Subramania was their first child. His parents called him Subbaiya, when he was a child. His mother died, when Subbaiya was a very young child of five. About one year later, in 1988, his father remarried.

Ramprasad Bismil by Kavita Garg

SKU: 9789351863687
Amongst the patriots who sacrificed their lives for the freedom of mother India, the name of Ramprasad Bismil is reckoned with great honour. He was born in 1897 in Shahjahanpur (Uttar Pradesh). His father’s name was Sri Murlidhar. He was not much educated. His forefathers were associated with the Tomarghar region of contemporary Gwalior Kingdom. He was employed in Shahjahanpur municipality.

Stories By English Authors: France (Selected by Scribners) by Wilkie Collins et al.

SKU: 6235989715338
The cemetery of St. John had taken its own share of the snow. All the graves were decently covered; tall white housetops stood around in grave array; worthy burghers were long ago in bed, be-nightcapped like their domiciles; there was no light in all the neighbourhood but a little peep from a lamp that hung swinging in the church choir, and tossed the shadows to and fro in time to its oscillations. The clock was hard on ten when the patrol went by with halberds and a lantern, beating their hands; and they saw nothing suspicious about the cemetery of St. John.

The Murder on the Links by Agatha Christie

SKU: 6235989715809
I believe that a well-known anecdote exists to the effect that a young writer, determined to make the commencement of his story forcible and original enough to catch and rivet the attention of the most blasé of editors, penned the following sentence: “ ‘Hell!’ said the Duchess.” Strangely enough, this tale of mine opens in much the same fashion. Only the lady who gave utterance to the exclamation was not a Duchess!

Swachchhata Sanskar by Smt. Mridula Sinha

SKU: 9789351867234
स्वच्छता एक संस्कार है। शिशु के अंदर स्वच्छता के भाव भरे जाते हैं। उन्हें स्वच्छतापूर्ण व्यवहार सिखाए जाते हैं। दादी और माँ को लिपे-पुते घर-आँगन तथा चौकाघर को प्रणाम करके ही प्रवेश करते देख शिशु भी अनुकरण करता रहा है। प्रात:काल दातून करने से लेकर स्नान करते समय सभी अंगों की सफाई, मन को उत्सवीय ही बनाता है। बचपन में डाले गए स्वच्छता के ये संस्कार व्यक्ति के जीवन-व्यवहार में सहज अभ्यास बन जाते हैं। भारतीयों की पहचान है स्वच्छता। प्रतिदिन स्नान, शरीर की सफाई, प्रतिपल अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और संतोष की सोच, आंतरिक स्वच्छता है। घर, आँगन, गली-मुहल्ले की सफाई बाहरी स्वच्छता है। भारत में स्वच्छता अभियान अवश्य सफल होगा। स्वच्छता मात्र एक नारा नहीं, समाज के जीवन-व्यवहार में ढलकर पुन: अभ्यास बन जाएगी। विश्व-पटल पर पुन: भारत की विशेष पहचान बनाने में स्वच्छतापूर्ण जीवन पहली सीढ़ी होगा। इस पुस्तक में स्वच्छता के भारतीय इतिहास और वर्तमान के साथ व्यक्तिगत व्यवहार में शामिल करवाने के उपाय संकलित किए गए हैं। आशा है, यह पुस्तक स्वच्छता के प्रति हमारी दृष्टि स्वच्छ और स्पष्ट करेगी, जिसकी महती आवश्यकता है।

Curious World of Lisa by Deeksha Gupta

SKU: 8187100842
“Lisa, honey you’re getting late.” shouted Mrs. Philips. “Coming” said Lisa “Bye Leona,” she added. Lisa was in eight grade and was going to be 13 in two week’s time. She was pretty and smart with wavy blond hair and blue eyes. She went to St. Michael School. Leona was her imaginary friend and one of the most important things in her life.

Short Stories by Fyodor Dostoyevsky

SKU: 6235989715434
She had always been such a silent, simple creature that, except her daily inquiry about dinner, she had not uttered a word for the last six years. I, at least, had heard nothing else from her.

Mobile & Computer Ke 100 Smart Tips by Ankit Fadia

SKU: 9789350488249
मारे फोन, कंप्यूटर और टैबलेट अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। लेकिन हम में से कितने उनका अधिक-से-अधिक और बेहतर उपयोग करने के तरीकों को जानते हैं? Best Selling लेखक अंकित फाडिया आपको बताएँगे कैसे— • भविष्य में इ-मेल भेजें। • अपने मोबाइल फोन पर आनेवाली अनावश्यक इनकमिंग कॉल को कैसे बाधित करें। • धोखा देते हुए साथी को रँगे हाथों पकड़ें। • आप अपनी कार पार्क की गई जगह याद रखें। • बच्चों के लिए अनुपयुक्त वेबसाइटों को कैसे ब्लॉक करें। • अपने मोबाइल फोन पर कार्यों को ठीक से निर्धारित करें। • Photographs •𤠥¢ÎÚU Ȥæ§Üð´ çÀUÂæ°¡Ð सरल-सुंदर उदाहरण और सैकड़ों स्क्रीनशॉट्स से सज्जित यह पुस्तक आपकी एक सच्ची मित्र और साथी बनकर आज की कंप्यूटर-इंटरनेट की दुनिया में आपका विशिष्ट स्थान बनाने में सहायक होगी। इ-मेल, कंप्यूटर, सोशल नेटवर्क, वीडियो साइट्स और कंप्यूटर मोबाइल की दुनिया की सभी चीजों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने के सरल और व्यावहारिक तरीके, टिप्स और ट्रिक्स बताती अत्यंत उपयोगी पुस्तक।

Jokhim Bhare Hastakshep by Hardeep Singh Puri

SKU: 9789353224271
7 मार्च, 2011 को मैनहैटन के एक आला दर्जे के रेस्टोरेंट में विशेष लंच का आयोजन था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और उनकी पूरी ए-टीम मौजूद थी। जल्दी ही स्पष्ट हो गया कि चर्चा का मुख्य विषय लीबिया था, जहाँ कथित रूप से मुअम्मर गद्दाफी की सेना विद्रोहियों के गढ़ बेंगाजी की ओर पूरे विपक्ष को कुचलने के लिए तेजी से बढ़ रही थी। प्रति व्यक्ति 80 डॉलर के इस लंच पर सुरक्षा परिषद् में प्रतिनिधित्व करनेवाले देशों के दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण कूटनीतिज्ञों का एक छोटा समूह बल प्रयोग पर चर्चा कर रहा था, जो कहने को तो नागरिकों की सुरक्षा के लिए था, लेकिन वास्तव में उसका मकसद सत्ता-परिवर्तन करना था। बात आगे बढ़ी और महज दस दिन बाद परिषद् की मंजूरी मिल गई, और फिर सबकुछ बेकाबू हो गया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के तत्कालीन राजदूत, हरदीप पुरी परिषद् के मनमाने फैसले लेने के ढंग और इसके कुछ स्थायी सदस्यों में बिना सोचे-समझे दखलंदाजी की मची रहनेवाली बेचैनी का खुलासा करते हैं। संकटपूर्ण हस्तक्षेप दिखाता है कि केवल लीबिया और सीरिया ही नहीं, बल्कि यमन और क्रीमिया में बल प्रयोग के फैसले विनाशकारी रूप से गलत साबित हुए। वरिष्ठ राजनयिक हरदीप पुरी इस प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हैं, जिसके अंतर्गत हस्तक्षेप करनेवाले देश अपने हित को साध लेने के बाद मुँह मोड़ लेते हैं। वह हस्तक्षेपों और सत्ता-परिवर्तन के प्रयासों के विरुद्ध चेतावनी देने की भारत की भूमिका को भी स्पष्ट करते हैं। संयम और सावधानी के पथ पर चलते हुए, संकटपूर्ण हस्तक्षेप दुनिया के ताकतवर देशों को उनके बुरे कर्मों की याद दिलाती है और वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की माँग करती है।

Bahaav by Himanshu Dwivedi

SKU: 9789350483930
बहाव वे दिन अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, जब किसी अगस्त्य को अपने विचार और वाणी को दिक्दिगंत तक फैलाने के लिए पूरा-का-पूरा समुद्र पी जाना पड़ता था। फाह्यान या अलबरूनी की तरह अब यात्राएँ करने और उन्हें लिपि में सँजोने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती। आप देख रहे हैं कि यह धरती एक ग्लोबल विलेज में तब्दील होती जा रही है और देशों की दूरियाँ हवाईजहाजों में सिमटकर रह गई हैं। ऐसे बहुत से लोग दिखाई पड़ते हैं, जो सुबह का नाश्ता एक देश में करते हैं और रात का भोजन दूसरे देश में। फिर भी यात्राओं ने अपना रोमांच नहीं खोया है और घुमक्कड़ी की इनसानी प्रवृत्ति कुछ नया देखने के लिए बेताब रहती है। युवा संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के यात्रा-संस्मरणों की यह पुस्तक ‘बहाव’ इसका जीता-जगता उदाहरण है। इस पुस्तक में जापान, थाईलैंड, अमरीका, पाकिस्तान, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, पोलैंड, जर्मनी, ब्राजील जैसे देशों की यात्रा के अनुभव हैं। इस पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें हिमांशु की आँखों से देखी हुई दुनिया के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के दो राजनेताओं की विदेश यात्राओं के अनुभव भी हैं। राजनेताओं ने जिस तरह अपनी विदेश यात्राओं का जिक्र हिमांशु से किया, उसे उन्होंने अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में ये दोनों अनुभव गुँथे हुए हैं। यह पुस्तक सुधी पाठकों को दुनिया को देखने का एक नया नजरिया, दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के रिश्तों को समझने की समझ तो देगी, साथ ही अपनी जीवंत भाषाशैली के कारण उन्हें उस देश में ही पहुँचा देगी।

Dampatya Ki Dhoop-Chhanha by Mridula Sinha

SKU: 9789353225032
दांपत्य के 60 वर्ष पूरे हुए। यात्रा समाप्त नहीं हुई हैं। शुरुआत में चार वर्ष सिर्फ हम दोनों थे। मैं विद्यार्थी, वे प्रोफेसर। प्रथम दो वर्ष हम लोग साथ नहीं रहते थे। प्रारंभ में उनका कॉलेज पश्चिम बंगाल में, मैं मुजफ्फरपुर में दो वर्ष के बाद ये 1960 के दिसंबर से मुजफ्फरपुर रामदयालु सिंह कॉलेज में पढ़ाने लगे। गणेश (सेवक) के सहयोग से श्री गणेश हुआ हमारे चौकाचुल्हे का। बोलने और सुनने में छह दशक बहुत लंबा लगता है। 60 वर्ष छह दशक से दस गुणा ।स्मृति को लंबा फैलाव देना होता हैं। स्मृतियों को कागज पर उतारने के पूर्व बहुत मुश्किल लगता था, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, बड़ी सहजता से लेखनी उन पलों को उकेरती गई, जिन्हें मैंने मनमस्तिष्क में सँवार रखा था। प्रकाशक को भेजने के पूर्व स्वयं पढ़ने बैठी तो ऐसा लगा कि पलों में बीत गए 60 वर्ष । ऐसा भी नहीं कि इनकी सारी बातेंव्यवहार मुझे अच्छे ही लगते रहे। आदत बन गई थीं चुप रह जाने की। कुछ देर बाद ही शांत मन से विश्लेषण करती। तब तक अपना गुस्सा भी शांत हो जाया करता था। कैसी जोड़ी रब ने बनाई थी। एक आत्मविश्वास से लबालब भरा हुआ, दूसरी ने आत्मविश्वास लाने में 60 वर्ष बिता दिया। अब भी अपने पर पूर्ण विश्वास नहीं। पति-पत्नी के बीच विचारों और व्यवहारों का भी घोल हो जाता हैं। कुछ दिनों बाद छाँटना मुश्किल कि कौन सा विचार किसका हैं। यही तो दांपत्य हैं। यहीं रूप हैं। अर्धनारीश्वर का। भारतीय संस्कृति में सौ वर्ष की आयु माने जानेवाले मनुष्य जीवन के आविर्भाव से लेकर अवसान तक के समय में सोलह संस्कारों की व्यवस्था की गई है। यों तो संस्कारों में विवाह का स्थान पंद्रहवें संस्कार के स्थान पर आता है, इसके पूर्व के चौदह संस्कारों की गणना सही मायने में जीवन की तैयारी के संस्कार हैं। इसलिए कि विवाह की आयु (शास्त्रों के अनुसार 25 वर्ष) तक पहुँचते-पहुँचते युवक और युवतियों के शरीर, मन और बुद्धि परिपक्व होते हैं। वे विवाह करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश कर अपने सांसारिक जीवन को आगे बढ़ाते हैं। वैवाहिक जीवन के संचालक तत्वों पर गहराई से विचार करते हुए लेखिका के मन में दांपत्य की तुलना दलहन (मूग, चना, अरहर, मटर, मसूर) के एक दाने से करना शतप्रतिशत उचित लगा। दलहन के दाने के ऊपर जो छिलका (आवरण) हैं, वही अंदर के दो दलों को बाँधकर रखता हैं। जब तक वह आवरण हैं, तभी तक दोनों दल आपस में संबद्ध रहते हैं। उनमें जीवनीशक्ति होती हैं। वे एक से अनेक हो ही सकते हैं, उनमें उच्च विचारों की भी उत्पत्ति और संवर्धन होता हैं। ज्योंही छिलका (दांपत्य) अलग कर दिया जाता है, उनकी उर्वराशक्ति समाप्त हो जाती है। दलहन के दाने अंकुरित भी नहीं हो सकते और पति-पत्नी अपनी पारिवारिकसामाजिक जिम्मेदारियाँ भलीभाँति पूरी नहीं कर सकते। प्रेम, स्नेह, पारस्परिकता, समन्वय, निष्ठा, समर्पण, विश्वास जैसे तत्वों से जीवन के अटूट बंधन 'दांपत्य' को अभिसिंचित किया जा सकता है। सफल दांपत्य जीवन के गुरुमंत्र बताती पठनीय कृति ।

Shri Guru Nanak Devji by Dr. Kuldeep Chand Agnihotri

SKU: 9789353226503
प्रस्तुत पुस्तक में दशगुरु परंपरा के प्रथम गुरु श्री नानक देवजी के बहुपक्षीय व्यक्तित्व का सारगर्भित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। नानक देवजी की कर्मसाधना, भक्तिसाधना और ज्ञानसाधना का फलक अत्यंत विशाल है। नानक को जानने के लिए, नानक को अपने भीतर अनुभव करना होगा। उन वीरान बियावानों की मानसिक यात्रा करनी होगी जिनकी नानक देवजी ने यथार्थ में यात्रा की थी। सुदूर दक्षिण में धनुषकोटि के किनारे विशाल सागर की उत्ताल लहरों को देखते हुए, उनमें श्रीलंका को जा रहे नानक देव की छवि को अपने मुँदे नेत्रों से देखना होगा। नानक को जानने का यही अमर नानक-मार्ग है। इस पुस्तक में लेखक ने यही करने का प्रयास किया है। नानक देवजी को समझने-बूझने के लिए, उस कालखंड की सभी परतों को उन्होंने एक-एक कर अनावृत्त किया है। यह पुस्तक किसी एक ढर्रे से बँधी हुई नहीं है, बल्कि नानक देवजी के विविधपक्षीय जीवन के ताजा स्नैप्स हैं। इसलिए इस अध्ययन में एक ताजगी है; ताजा हवा के एक झोंके का अहसास। गुरु नानक देवजी से शुरू हुई इस यात्रा के अंतिम अध्याय तक पहुँचते-पहुँचते, रास्ते के सभी पड़ावों की अविछिन्नता एवं वैचारिक निरंतरता को पुस्तक के अंतिम अध्याय में इंगित किया गया है। पुस्तक की उपादेयता विविध प्रसंगों की नवीन युगानुकूल व्याख्या में है।