Poorvottar Bharat Mein Ugravad by Rajeev Bhattacharyya

इस पुस्तक में म्याँमार के ऐसे दुर्गम और अनजान क्षेत्र की यात्रा का आँखों देखा विवरण है, जहाँ पर पूर्वोत्तर में सक्रिय एन.एस.सी.एन., उल्फा, पी.एल.ए. समेत एक दर्जन से अधिक उग्रवादी संगठनों के साथ म्याँमार में सक्रिय के.आई.ए. के शिविर हैं। उग्रवाद की वजह से पूर्वोत्तर का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। वहाँ के लोग मुख्यधारा से कटे रहे। हिंसा में हजारों निर्दोष लोग मारे गए। यह इलाका भले ही म्याँमार की सीमा के अंदर है, लेकिन वहाँ पर उग्रवादियों का शासन चलता है। स्थानीय समाज और उग्रवादी संगठनों के बीच सहजीवन का रिश्ता है। मेरी यह यात्रा खड़ी पहाड़ी, तीखे ढलान, घने जंगल और पहाड़ी नदियों के बीच से गुजरी। इस पुस्तक में उस क्षेत्र के बारे में दुर्लभ जानकारी दी गई है। उल्फा के शिविर में इसके प्रमुख परेश बरुआ से कई हिस्सों में हुई बातचीत से अब तक उल्फा आंदोलन, उनकी गलतियों तथा आंदोलन की मौजूदा स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। पुस्तक के माध्यम से उन इलाकों में विकास से कटे रहनेवाले स्थानीय लोगों की जीवन-शैली और जद्दोहजद को भी समझने में मदद मिलेगी।
लंबे समय तक उग्रवाद का दंश झेलनेवाले पूर्वोत्तर भारत की व्यथा-कथा का जीवंत परिचय देती है यह पुस्तक।

Language

Hindi

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