Indian Economy Ki Vishwa Mein Badhati Pahachan by Dr. Vandna Dangi
आज समग्र विश्व में कोरोना वायरस का सामान्य जनजीवन से लेकर प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर असर पड़ा है। कोरोना के अप्रत्याशित कहर ने समूचे वैश्विक जगत को न केवल आर्थिक तौर पर आहत किया बल्कि अनिश्चितता का ऐसा माहौल पैदा कर दिया कि लॉकडाउन और अति उदार मौद्रिक व राजकोषीय नीतियों का कोई समीकरण कारगर होता नजर नहीं आ रहा। जाहिर तौर पर इंडियन इकोनॉमी भी इसका अपवाद नहीं है लेकिन जिस परिपक्वता के साथ भारत ने कोविड-19 के हमले का सामना किया, उससे समग्र विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था की पहचान बढ़ी है।
बहरहाल, प्रस्तुत पुस्तक में संकलित लेख जिस समय-काल में लिखे गए हैं तब कोरोना की आहट तक नहीं थी। भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से विकास करनेवाली अर्थव्यवस्था का रुतबा हासिल करते हुए पाँच ट्रिलियन डॉलर की जी.डी.पी. हासिल करने के लक्ष्य का पीछा करती नजर आ रही थी। कोरोना और अन्य अनेक कारणों से भारत की आर्थिक विकास दर फिलहाल आहत भले ही हुई हो लेकिन दीर्घ काल में वह इन चुनौतियों का मुकाबला करते हुए अपना संतुलन पा ही लेगी। कारण यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था समावेशी विकास की अवधारणा को लेकर आगे बढ़ रही है और आर्थिक सुधार का दायरा सामाजिक उत्थान, स्वच्छता और पर्यावरण-सुरक्षा को जिस प्रकार समेटे हुए है उससे तो यह कयास लगाया जा सकता है कि 21वीं सदी का भारत एक जीवंत अर्थव्यवस्था के रूप में विश्व में स्थापित होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रहे विभिन्न बदलावों का वर्णन करती एक पठनीय कृति।
Language |
Hindi |
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