Prasannata by P.K. Arya

प्रसन्नता मनुष्य का एक ऐसा गुण है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी उसे सहज, सरल, सामान्य और रचनात्मक बनाए रखता है। चेहरे पर मौजूद प्रसन्नता व्यक्‍ति विशेष का तो दर्द कम करती ही है, उसके संपर्क में आनेवाले व्यक्‍ति के दुःख-दर्द भी हर लेती है।
जीवन की एक सचाई से सभी परिचित हैं कि मौजूदा परिस्थितियों का सामना हमें करना ही होगा—अब यह हम पर है कि हम हँसकर करें या रोकर। प्रस्तुत पुस्तक यही सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी प्रसन्न कैसे रहा जाए। जो महत्त्व भोजन में नमक का है, वही जीवन में प्रसन्नता का। प्रसन्नचित्तता से बड़ी-से-बड़ी समस्याओं का हल आसानी से निकाला जा सकता है।
तनामुक्‍त रहने, प्रसन्न और प्रफुल्लित रहने के व्यावहारिक सूत्र बताती एक जीवनोपयोगी पुस्तक।

Language

Hindi

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