English Seekhen Aur Safal Banen by Jagdish Narayan Singh
अंग्रेजी को विश्व में संपर्क भाषा के रूप में जाना जाता है। भारत में तो इस भाषा का महत्त्व बहुत अधिक है। ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद भी अंग्रेजी भाषा के प्रभाव में बहुत कमी नहीं आई है। भारत के संविधान के तहत भी उच्चतम और उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी को एक आधिकारिक भाषा में रखा गया है।
एक प्रश्न उठता है कि अंग्रेजी की शिक्षा किस उम्र से शुरू की जाए और एक विदेशी भाषा की सीख किस भाषा के द्वारा दी जाए। साथ ही व्याकरण (Grammar) की सहायता से विदेशी भाषा सीखी जाए या सिर्फ बोलचाल के आधार पर। इन प्रश्नों का उत्तर आवश्यक है। पाँचवीं कक्षा के पहले मातृभाषा को छोड़कर दूसरी भाषा का सीखना मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बच्चों के लिए घातक है। जब बच्चों को अपनी मातृभाषा का कुछ ज्ञान हो जाए तथा व्याकरण की थोड़ी समझ हो जाए, तभी विदेशी भाषा को सिखाया जाना चाहिए। दुर्भाग्यवश आजकल तथाकथित English Medium Schools में बच्चों की अंग्रेजी में पढ़ाई पहली कक्षा से ही शुरू हो जाती है; और व्याकरण का तो समावेश होता ही नहीं है। यही कारण है कि अंग्रेजी के बहुत से जाने-माने विद्वान् भी शुद्ध अंग्रेजी लिखने या बोलने में अक्षम पाए जाते हैं।
यह पुस्तक इसी बिंदु को ध्यान में रखकर तैयार की गई है कि ‘हिंदी’ मातृभाषा वाले लोग English सीख सकें, उसमें दक्ष हो सकें और सफल हो सकें।
Language |
Hindi |
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