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Hindi Ke Purodha Mahesh Chandra Sharma by Acharya Anmol
‘जिस व्यक्ति के अंदर ज्यादा गुण होते हैं, ऐसे व्यक्ति बहुगुणी होने से अनायास ही श्रद्धा के पात्र बन जाते हैं। ऐसे लोग ही महानायक की श्रेणी में आते हैं। ‘वसुधैव । कुटुम्बकम्’ का भाव हृदयंगम करके चलनेवाले व्यक्ति के जीवन जीने का उद्देश्य स्वान्तः सुखाय’ की अपेक्षा ‘बहुजन सुखाय’ ही होता है। कतिपय ऐसे ही तपःपूत लोगों की श्रेणी में दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चंद्र शर्माजी आते हैं।शर्माजी की वाक्पटुता, व्यवहारोपयोगी। संयम, हिंदी भाषा के प्रति समर्पण, हिंदी साहित्य के प्रति प्रगाढ़ अनुराग, हिंदी साहित्य की वृद्धि, भारत और भारतीयता को अक्षुण्ण बनाए रखने के प्रति उनका त्याग, भारतीय संस्कृति के प्रति आत्मोत्सर्ग का यशस्वी भाव, गौ-सेवा व संवर्धन के प्रति भक्तिभाव के लिए अनवरत सेवा भाव आदि गुण हर किसी को अनायास ही प्रभावित करते हैं।
बयासी वसंत और पतझड़ के संयोग के अनुभव से अनुभूत होकर वे और अधिक सेवाभावी व विनयावनत हो गए हैं। उनकी पारखी दृष्टि वहीं पर टिकती है, जहाँ उन्हें सेवाभाव व समर्पण की किरण नजर आती है।
नई पीढ़ी को प्रेरित करने की दृष्टि से शर्माजी के उपर्युक्त गुणों को उजागर करने के लिए ही यह हस्तगत पुस्तक संपादित की गई है, जिसमें उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का किंचित् लेखा-जोखा मिल जाता है। वक्त आने पर ऐसे लोग ही ‘महाजनो येन गतः स पन्थः’ के रूप में स्वीकृति पाते हैं और बहुमत से जननायक माने जाते हैं।