Aaj Ki Taaza Khabar by Rajendra Mohan Bhatnagar

आज की ताजा खबर—राजेंद्रमोहन भटनागर

ये मेरी नहीं, हजारों हजार उन लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्होंने इन कहानियों को जिया है, पर जो उन्हें लिख नहीं सके।
इन कहानियों में अबूझे जन अपने को भूले-भटके तलाशते मन और उदासी में तल्लीनता ढूँढ़ते क्षण स्वयं से संवाद कर उठे हैं।
वे रहें या न रहें, परंतु उनकी इन यादों में अकेली साँझ, मौन में सोई सुबह और पत्थर कूटती दोपहरी चुपचाप बतियाती, आपबीती सुनाती जब-तब जरूर दस्तक देती जान पड़ेगी।
विलुप्‍त होती जा रही इनसानियत, रास्ता भटकी धूप-छाँव, वैश्‍विक समाज की छिन्न-भिन्न होती आवरण गाथा एवं उद्वेलित होती नृशंसता पुनः आत्म-चेतना की झिलमिल रोशनी में अपने आपको पहचानने की दावत देती है।

Language

Hindi

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