Ab Hamen Badalna Hoga by N. Raghuraman
विगत वर्षों में हमारे अधिकतर आई.टी. कार्यालय निश्चित स्थान पर 9 से 5 के परंपरागत काम के ढर्रे से काफी आगे निकलकर मोबाइल वर्क प्लेस और सुविधानुसार समय तक पहुँच गए हैं। रिक्रूटमेंट और परफॉर्मेंस रेटिंग स्वचालित हो चुके हैं। हाजिरी मोबाइल या हस्तचालित उपकरणों के जरिए होने लगी है। अगर 10 सालों में हम निश्चित स्थान के कार्यस्थल से चलते-फिरते कार्यस्थल तक का सफर तय कर चुके हैं तो कल्पना कीजिए, अगले पाँच सालों में और क्या हो जाएगा! बड़ी कंपनियाँ नई कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा महसूस करने लगी हैं और नई कंपनियाँ कुछ बड़ी सड़कों या मॉल की खुदरा दुकानों की तरह खुल रही हैं। जागने से सोने तक का सबकुछ बदलने ही वाला है और अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे तो प्रतिस्पर्धा में टिक पाना हमारे लिए कठिन होगा। अत: ऐसे परिवेश में हमें अपने आपको बदलना होगा। क्यों और कैसे बदलना होगा—यह इस पुस्तक में बताया गया है।
बदलाव के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सही सोच विकसित करनेवाली एक व्यावहारिक पुस्तक।
Language |
Hindi |
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