Acharyon Ke Prerak Prasang by Dinanath Batra
एक अच्छा शिक्षक ज्ञान-केंद्रित होता है। विद्यार्थी की उपलब्धियों तथा उसे उच्चतम तक पहुँचाने की आकांक्षाओं के लिए सदा-सर्वदा सहायक सिद्ध होता है। अच्छे विद्यार्थी अच्छे आचार्य के संरक्षण में सुंदर गुलाब के फूलों के समान विकसित होते हैं और अपनी सुरभि से वातावरण को सुगंधित कर देते हैं। विद्यार्थी स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं। गुणों को अर्जित कर उन्नति-पथ पर अग्रसर होते हैं। इस प्रक्रिया में आचार्य का हस्तक्षेप गौण रहता है। आचार्य विद्यार्थियों की रुचि तथा अभिरुचि का ध्यान रखकर, उसकी अंगुली पकड़ सर्वप्रथम उसके साथ कदम मिलाकर चलता है; फिर उसे प्रगति का एहसास कराकर उसका साथ छोड़ देता है; तदुरांत वह प्राकृतिक रूप से अपना रूपांतरण तथा अपेक्षित परिवर्तन कर अपने पथ पर अग्रसर होता है और निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जाता है। विद्यार्थी को उच्च स्थान पर पहुँचा देख आचार्य कितना प्रसन्न होता है, इसकी कोई सीमा नहीं रहती। आदर्श आचार्य तथा आदर्श विद्यार्थी के स्नेहिल मिलन से रोमांचक तथा स्मरणीय परिणाम देखने को मिलते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में संकलित हैं ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक प्रसंग, जो देखने में छोटे, परंतु प्रेरणा देने में अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें आचार्यों के जीवन का निचोड़, दिशा-निर्देशन तथा सभी अध्यापकों के लिए मार्गदर्शन है। इसको पढ़कर मास्टर-अध्यापक आचार्य में परिवर्तित हो जाएँगे। अतः यह पुस्तक न केवल आचार्यों के लिए अपितु शिक्षा क्षेत्र में कार्य करनेवाले सभी कार्यकर्ताओं के लिए मूल्यवान है।
Language |
Hindi |
---|
Kindly Register and Login to Lucknow Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Lucknow Digital Library.