Ateet Ke Antral by Mohanlal Upadhyaya

संत पंचमी में केवल एक दिन शेष था। कौशांबी की साज-सज्जा अवर्णनीय थी। सभी राजपथ, हट्ट, चौहट्ट, पण्यगृह, राजप्रासाद और गगनचुंबी धवल अट्टालिकाएँ रंग-बिरंगी पताकाओं से सुसज्जित थीं। घरों के प्रवेश द्वारों पर अशोक एवं आम्र-पल्लवों के वंदनवार लटकाए गए थे। घरों के मुख्य द्वारों के सामने रंग-बिरंगे चूर्गों से अल्पनाएँ बनाई गई थीं। नगर के प्रमुख राजमार्गों तथा चतुष्पथों पर पल्लवों एवं पुष्पों से स्वागत द्वारों का निर्माण किया गया था। चतुष्पथों पर संस्थापित कौशांबी के भूतपूर्व सम्राटों की प्रतिमाओं को रासायनिक चूर्णो से विभासित कर पुष्प मालाओं से सुसज्जित किया गया था।
-इसी उपन्यास से
इस इतिहास-सम्मत उपन्यास में चंद्रवंशीय कौशांबी सम्राट् सहस्रानीक और उनके ओजस्वी आत्मज उदयन की रोमांचक-रोमानी कथा आकर्षक शैलीशिल्प में प्रस्तुत है। लेखक की मौलिक भावनाएँ घटनाक्रम की रोचकता को निरंतर प्रभावपूर्ण बनाती हैं। भारतीय संस्कृति-सभ्यता के आदि-स्रोत कथ्य की तह से सतह तक एक से हैं। इस कृति में उपन्यास कला का नवीन आयाम दिखाई देता है, जो इसकी पठनीयता का पोषक है।

Language

Hindi

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