Bahata Pani by Aabid Surti
मुसलमान पछता रहे थे। गुमनाम अजनबी बेगम शबाना की खोज होते हुए भी काफिरों ने उस पर हिंदू नाम थोप अपना अधिकार जता दिया था। क्या कोई ऐसी तरकीब नहीं सोची जा सकती कि आनंदीलाल अवतार घोषित हो, उससे पहले मोमिन घोषित हो जाए? गाँव के पुरोहित माखनलाल ने जरी के किनारेवाली धोती के पल्लू से चेहरे को हवा देते हुए सोचा, अब अधिक देर भली नहीं। यही अवसर है उसे कृष्णावतार घोषित कर बरगद तले के जमघट से उड़ा ले जाने का, मगर उनकी मुराद उनके मन में ही जलभुनकर राख हो गई। स्याह चोगे पर सुनहरी हरी पगड़ी बाँधे मुसलमानों के रहबर जनाब रब्बानी ‘मुल्ला’ ने ऐसी टाँग अड़ा दी कि चौराहेचौपाल पर फुसफुसाहट शुरू हो गई—‘मूलत : आनंदीलाल मुसलमान है।’ अब करो तहकीकात और उतारो ससुरे का पायजामा!
वह कुलियों और रिक्शा चालकों की मंडली में बैठ चरसगाँजे के दम लगाता था, शराब के नशे में धुत् होकर शोरशराबा करता, ऊधम मचाता और पिटता था। उसने एक साल की सजा भी काटी थी। ये सब जानकर यकीनन आपके मनमस्तिष्क में किसी लुच्चेलफंगे, आवारा, भ्रष्ट, पाखंडी शख्स की छवि उभरी होगी। क्षमा करें, वह इस दौर का मसीहा है। उसका नाम है आनंदीलाल ‘मौजूद’। ‘बहता पानी’ उसी रमता जोगी के रंगीन जीवन की दास्तान है।
Language |
Hindi |
---|
Kindly Register and Login to Lucknow Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Lucknow Digital Library.