Bhagwadgita Kaavya by Mool Chandra Pathak
भगवद्गीता भारत के आध्यात्मिक वाङ्मय की अनुपम विभूति है। यह कमसेकम दो सहस्र वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय चिंतन व आध्यात्मिक साधना की महत्त्वपूर्ण प्रेरणास्रोत रही है। विश्व की सभी महत्त्वपूर्ण भाषाओं में गीता के अनुवाद किए जा चुके हैं। हिंदी भाषा भी इसका अपवाद नहीं है; किंतु ये अनुवाद प्राय : गद्य में किए गए हैं। अत : एक पद्यात्मक कृति के रूप में गीता के मूल पाठ में जो लयात्मक सरलता है, वह इन अनुवादों में सुलभ नहीं है। इसी अभाव की पूर्ति के लिए गीता का यह काव्यात्मक अनुवाद ‘भगवद्गीताकाव्य’ प्रस्तुत किया जा रहा है। गीता के मूल संस्कृत पाठ में अंत्यानुप्रास या तुकों की योजना का अभाव है। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रस्तुत अनुवाद में छंद व लय का निर्वाह करते हुए भी तुकें मिलाने का प्रयास नहीं किया गया। इससे अनुवादक को गीता के मूल अर्थ की अधिकतम रक्षा में अभीष्ट सफलता मिली है। जीवन की विषमसेविषम परिस्थिति में गीता ने असंख्य लोगों को मानसिक शांति प्रदान कर उनके जीवनपथ को आलोकित किया है। आज के भौतिकतापरायण, मानसिक तनावों से ग्रस्त तथा जीवन के वास्तविक अर्थ की खोज में भटकते मनुष्य के लिए गीता का संदेश उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह सदैव रहा है।
आशा है, गीता का यह काव्यात्मक अनुवाद संस्कृत न जाननेवाले या उसका कम ज्ञान रखनेवाले गीताप्रेमियों को मूल संस्कृत पाठ को पढ़ने जैसा ही आनंद दे सकेगा।
Language |
Hindi |
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