Bhrashtachar Ka Ant by N. Vittal
वर्ष 2010 में हुए बडे़ और भयंकर घोटालों ने शासन और नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। ऐसी विषम परिस्थितियों में एन. विट्ठल ने भ्रष्टाचार के अंत के लिए कुछ आशावाद जाग्रत् किया। उन्होंने स्थापित किया कि सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही की कमी इस रोग की जड़ है। साथ ही शासन में पारदर्शिता की कमी, लालच और नैतिकता की कमी इस रोग को नासूर बना रहे हैं।
सरकार में चार दशक से अधिक समय तक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विट्ठल का मानना है कि केवल और केवल आर्थिक पारदर्शिता एवं टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग से ही भ्रष्टाचार के भयंकर विकार से मुक्ति मिल सकती है। वर्ष 2010 के विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में धनबल के ऊपर लगे अंकुश और पी.जे. थॉमस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाने के महत्त्वपूर्ण निर्णय ऐसे कुछ प्रभावी कदम हैं। श्री एन. विट्ठल का मानना है कि सूचना के अधिकार के व्यापक उपयोग से न्यायपालिका एवं चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को और सुदृढ़ करने से पूरे समाज और मीडिया में इस विषय को लेकर चेतना जाग्रत् करने से ही होगा भ्रष्टाचार का अंत।
Language |
Hindi |
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