Deendayal Upadhyaya Ki Prerak Kahaniyan by Renu Saini

समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के उन्नयन को ही राष्ट्र-निर्माण का मुख्य ध्येय माननेवाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय सादगी एवं प्रभावी व्यक्तित्व की प्रतिमूर्ति थे, लेकिन अपने दिव्य गुणों से वे दिव्य और अद्भुत बन गए। प्रत्येक व्यक्ति उनका सान्निध्य पाकर स्वयं को धन्य समझता था। वे किसी भी व्यक्ति को निराश नहीं लौटाते थे। अपने प्रखर और तीव्र मस्तिष्क का प्रयोग कर हर व्यक्ति की समस्या का हल ढूँढ़ने का प्रयास करते थे। हर व्यक्ति उनका ऋणी था। ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, साहस और नेतृत्व के गुण उनमें कूट-कूटकर भरे थे। वे अपने इन गुणों के माध्यम से ही हर व्यक्ति के हृदय में अपना एक विशेष स्थान बना पाए।
राष्ट्र की एकता-अखंडता उनके लिए सर्वोपरि रही और इसी के लिए वे अनवरत कर्मशील रहे। अपने छोटे, परंतु यशस्वी जीवन में उन्होंने सामूहिकता, संगठन-कौशल और राष्ट्रभाव के जो अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किए, वे न केवल वर्तमान वरन् भविष्य की पीढि़यों का भी मार्ग प्रशस्त करेंगे।
माँ भारती के अमर सपूत पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणाप्रद जीवन की ये छोटी-छोटी कहानियाँ जीवन में कुछ बड़ा करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी, ऐसा हमारा अटल विश्वास है।

Language

Hindi

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