Devi-Vandana by Dr. Vinod Bala Arun

साधना में गहनता और आत्मीयता लाने के लिए परमात्मा को माँ के रूप में देखना हिंदू धर्म की एक विशेषता है। हमारे ऋषियों ने इस बात को बहुत गहराई से समझा था कि माँ के साथ संतान और संतान के साथ माँ का बड़ा आत्मीय और मजबूत संबंध है। बिना किसी छल-कपट, संशय व संकोच के बालक माँ की शरण में चला जाता है और माँ उसके सारे अपराध भुलाकर अपने गले लगा लेती है।
इसीलिए देवी माँ जे जगदंबा हैं, की आराधना का हमारे धर्म में विशेष महत्त्व है। मुख्य रूप से वर्ष में दो बार लगातार नौ रात्रियों तक पूजा, अर्चना एवं वंदन करके भक्त उनकी कृपा पाने का प्रयत्न करता है। उसे विश्वास होता है कि माँ उसके अवगुणों और अपराधों को बिसारकर उसे अपनी शरण में स्थान देंगी।
माँ दुर्गा शक्ति की देवी हैं। जैसे जीवन में हर एक कार्य को करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार परमात्मा को सृजन, पालन और संहार के लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। भगवती दुर्गा ही वह शक्ति हैं, जिनके सहारे परमात्मा सृष्टि का नियमन करता है।
ऐसी माँ दुर्गा की वंदना के लिए हमने ‘दुर्गा सप्तशती’ के कुछ अंशों का संकलन और संपादन किया है। आशा है इससे भक्त लाभान्वित होंगे।

Language

Hindi

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