Dharmon Ki Kataar Mein Islam by Arun Bhole

इसलामी आतंकवाद की दहशत न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के विध्वंस के साथ ही सारी दुनिया में फैल गई थी। उसके कुछ समय बाद भारत में जब नृशंस गोधरा कांड और उग्र गुजरात दंगे हुए, तो लेखक देश और दुनिया के लिए दुश्चिंताओं से ग्रस्त हो गया। उसके गहन इतिहास-बोध और दीर्घकालीन राजनीतिक अनुभव के साथ घटनाओं के घात-प्रतिघात ने जिन विचारों को जन्म दिया, वे ही घनीभूत होकर ‘धर्मों की कतार में इसलाम’ नामक पुस्तक बन गई। जैसा कि पुस्तक के नाम से झलकता है, विभिन्न धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए यह इसलाम के स्वरूप, स्वभाव और उसकी सृजित समस्याओं पर विशेष प्रकाश डालता है।
‘धर्मों की कतार में इसलाम’ में इस बात पर बल दिया गया है कि भारतीय मूल के मुसलमानों का इतिहास सिर्फ हजार-पाँच सौ साल ही पुराना नहीं माना जाएगा, जब से वे लोग मुसलमान बनाए गए या बने थे। उन्हें अपने पूर्वकालीन पुरखों के इतिहास से भी खुद को जोड़ना चाहिए और इस अति प्राचीन देश की शानदार सभ्यता-संस्कृति पर समान रूप से गर्व करना चाहिए। वर्तमान भारत में गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी गंभीर समस्याएँ केवल मुसलिम समाज तक ही सीमित नहीं, बल्कि सारे देशवासी इनसे परेशान हैं। इसलिए मुसलमानों के लिए भी ऐसे सार्वजनिक और राष्ट्रीय महत्त्व की समस्याओं पर एक मुसलमान के बजाय एक हिंदुस्तानी के नाते विचार और यत्न करना लाभदायक होगा।
इसलाम को सही रूप में जानने-समझने के लिए एक जरूरी पुस्तक।

Language

Hindi

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