Itihaas-Purush Subhash by Shrikrishna Saral

जब श्रीकृष्ण सरलजी ने नेताजी सुभाष पर लेखन प्रारंभ किया तो स्वयं उन देशों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी । उन्होंने उन पर्वतों की चोटियों को चूमा जहाँ आजाद हिंद फौज के वीरों ने भारतीय तिरंगा ध्वज फहराया है । उन जंगलों की खाक उन्होंने छानी, जिन्हें हमारे देशभक्‍तों ने रौंदा है और उन मैदानों की माटी उन्होंने अपने माथे से लगाई, जहाँ हमारे आजादी के दीवानों का खून बहा है और उन स्थलों को देखकर उनका वक्ष गर्व से फूल गया है, जहाँ हमारे लड़ाकों ने दुश्मन की लाशों पर लाशें बिछाई हैं । नेताजी के परिवारजन और उनके मित्रों से उन्होंने लंबे-लंबे साक्षात्कार किए हैं और आजाद हिंद संगठन के अवशिष्‍ट लोगों से या तो उनके घर जाकर या अपने घर उन्हें बुलाकर उन्होंने विश्वसनीय जानकारियाँ प्राप्‍त की हैं ।
उनकी एक पुस्तक पर आशीर्वचन लिखते हुए आजाद हिंद फौज के महान् योद्धा कर्नल गुरुबखा सिंह ढिल्लन ने लिखा है-‘ सरलजी का लेखन इतिहास जैसा प्रामाणिक होता है और उनके लेखन को दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है । ‘
प्रस्तुत ग्रंथ ‘ इतिहास-पुरुष सुभाष ‘ एक ऐसी कृति है, जिसकी प्रत्येक घटना सत्य और प्रामाणिक है । इस कृति के लेखन में लेखक ने अपनी अन्य कृतियों में से जो सर्वोत्तम लगा, वह लिया है । ऐसा करने में उनका दृष्‍ट‌िकोण यही रहा है कि नेताजी सुभाष पर एक बहुत रोचक और प्रामाणिक कृति देश को दी जाय ।

Language

Hindi

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