Mahalon Mein Vanvas by Aruna Mukim

‘महलों में वनवास’ एक व्यापक उपन्यासिका है। इसकी प्रभावशीलता को एक नया आयाम देती है—इसमें निहित अर्थवत्ता। इसका कथा-विस्तार पुरातन है; फिर भी यह समकालीन संदर्भ में पूर्णरूपेण समीचीन है। इसकी नायिका ‘उर्मिला’ की विरह-वेदना हर पाठक को उद्वेलित कर देगी।
स्त्री-पुरुषों के संबंध पर चर्चा आदिकाल से होती रही है। नारी के शोषण को अकसर हमारा समाज कर्तव्यों की दुहाई देकर दरकिनार कर देता है। उसके भीतर हमें मिलता है केवल स्वार्थों का एक दल-दल। हर युग में पुरुष ने नारी के ऊपर अनेक प्रकार की वर्जनाओं को थोपा है और उसके अधिकारों की पूरी तरह अवहेलना की है।
रामायण की उर्मिला पूरी तरह शोषिता है। एक राजकुमारी होते हुए भी वह अपने पति द्वारा एक हीन एवं नीरस जीवन जीने के लिए बाध्य कर दी जाती है। उसके लिए उसका महल एक मरुस्थल बन जाता है। एक प्रेमिका के रूप में वह हार जाती है; उसके भीतर की कोमल भावनाएँ ठिठुरकर जड़ हो जाती हैं।
इस उपन्यास में बहुत कुशलता से दिखाया गया है कि नायिका उर्मिला अंततः अपने सामाजिक लक्ष्य में सफल होती है, पर एक प्रेमिका के रूप में वह कुंठित ही रह जाती है।
समकालीन जीवन में भी यह सत्य समाज में पूरी तरह विद्यमान है। यह उपन्यास बहुत रोचक एवं सारगर्भित है। विश्वास है कि हिंदी के पाठकगण इस रोचक और सारगर्भित कृति का स्वागत करेंगे।

Language

Hindi

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