Mahapurushon Ka Bachpan by Mohandas Namishray

बचपन जीवन की ऐसी आधारशिला है, जहाँ से निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत होती है। किसी भी महापुरुष के व्यक्तित्व और कृतित्व में सकारात्मक तत्त्व जुड़ते हैं, जो उसे आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। व्यक्ति गाँव में रहे या शहर में, गरीब हो या अमीर, हर व्यक्ति के जीवन में घटनाएँ होती ही हैं और दुर्घटनाएँ भी। लेखक ने इस पुस्तक में ऐसे महापुरुषों के बचपन को बेबाकी से रेखांकित किया है, जिन्होंने गरीबी की मार को झेलने के साथ-साथ सामाजिक विषमता को भी भोगा है। बावजूद इसके उन्होंने जीवन के मूल्य को समझते हुए अपने पथ का निर्माण किया, जो बाद की पीढ़ी के लिए प्रेरक और आदर्श बना।
चूँकि नैमिशराय लेखक और पत्रकार के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे हैं, इसलिए उन्होंने ऐसे महापुरुषों के त्रासदी झेलते हुए बचपन को अपने शोध और लेखन का केंद्र बनाया, जिनके कार्यों का विश्लेषण न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर हुआ, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत् में भी उन्हें ख्याति मिली। ऐसे महापुरुषों के बचपन की गतिविधियों से पाठक अवश्य ही रूबरू होंगे।
सच कहा जाए तो लेखक ने ‘महापुरुषों का बचपन’ नामक इस पुस्तक के माध्यम से ऐसे रचना-संसार को बच्चों के सामने रखने का प्रयास किया है, जिससे आज का बचपन महापुरुषों के कल के बचपन से अवश्य ही रिश्ते बनाएगा और उनके जीवन-आदर्शों को अपनाकर प्रगति पथ पर भी अग्रसर होगा।

Language

Hindi

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