Mahashweta by Sudha Murthy

श्रीमती सुधा मूर्ति कन्नड साहित्य की सुधी लेखिका हैं। प्रस्तुत उपन्यास ‘महाश्वेता’ मानवीय संवेदना और सामाजिक संबंधन की एक अनूठी और सफल कृति है। अनुपमा और आनंद के दांपत्य-सूत्र में बँधने के बाद अनेक संघननशील घटनाएँ घटित होती हैं। विवाह के तुरत बाद आनंद मेडिकल की ऊँची पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चला जाता है। इसी बीच अनुपमा को श्वेत कुष्ठ हो जाता है । अभिशप्त दांपत्य के दंश दोनों ओर चुभने लगते हैं। आनंद और अनुपमा के अलग- अलग चिंतन-अनुचितन के माध्यम से मानवीय अंतश्चिंतन और कठोरतम व्यथा- यात्रा का विश्वसनीय कथासूत्रण इस उपन्यास में किया गया है। शिल्प और स्थापत्य की दृष्टि से यह उपन्यास ‘सचल-सवाक्वत्’ सिद्ध हुआ है।
इस उपन्यास को पढ़कर एक युवक श्वेत कुष्ठग्रस्त एक कन्या से विवाह का प्रस्ताव किया और उस विवाह में सम्मिलित होने के लिए लेखिका को सादर आमंत्रित किया। इस उपन्यास की शिखर-सफलता और विनियोग-शक्ति का इससे बड़ा लोक- प्रमाणपत्र और क्या हो सकता है!

Language

Hindi

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