Mahaveer by Sanjay Krishna
देश की आजादी में पत्र-पत्रिकाओं ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उस समय के आंदोलनों के दस्तावेजीकरण का काम इन पत्र-पत्रिकाओं ने बखूबी किया। जाने-अनजाने एक तरह से ये पत्रिकाएँ ‘इतिहास’ लेखन कर रही थीं। इन्हीं पत्रिकाओं में एक है बिहार से प्रकाशित साप्ताहिक—‘महावीर’। इस पत्रिका के बारे में जो जानकारी मिलती है, वह पर्याप्त नहीं, आधी-अधूरी है। लेकिन इस एक अंक में जो जानकारी मिलती है, वह दुर्लभ है। इस पत्रिका के बारे में पत्रकारिता के इतिहास की पुस्तकें भी सर्वथा मौन हैं।
लघु पत्रिकाओं के साथ यह दिक्कत तब भी थी, आज भी है। साधनों का अभाव और समय पर लेखकों का पर्याप्त और अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाने के बावजूद जो अंक निकला, वह कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। दुर्भाग्य से ‘महावीर’ का यह ‘सत्याग्रह’ विशेषांक ही उपलब्ध है।
बिहार और झारखंड में स्वाधीनता आंदोलन का प्रामाणिक दस्तावेज है यह संकलन।
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Hindi |
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