Mano To Thik Na Mano To Thik by Eng. Arun Kumar Jain

सदियों से हमारे देश में धर्मगुरुओं एवं आध्यात्मिक शक्तियों ने राजामहाराजाओं एवं शासन पद्धति को सही दिशा में ले जाने के लिए मार्गदर्शन किया है। राजनीति में धार्मिक आधार पर भावनाओं को भड़काकर लाभ उठाना किसी भी रूप में ठीक नहीं है, किंतु शासनप्रशासन में अपनी धर्मसंस्कृति की श्रेष्ठ परंपराओं से प्रेरणा लेकर कार्य करने को किसी भी रूप में अनुचित नहीं कहा जा सकता है।
किसी भी पार्टी या संगठन में जब तक समग्र टीम का विकास नहीं होता है, तब तक उसे सफलता नहीं मिल सकती है। भारत के राजनैतिक दलों की यह जिम्मेदारी है कि वक्त के मुताबिक अपने को बदलें। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि यह वक्त देश को व्यक्तिवाद एवं परिवारवाद से निकालकर राष्ट्रवाद की तरफ ले जाने का है।
अपने राष्ट्र एवं समाज के बारे में युवा जिस प्रकार सोचेगा, वैसा ही देश का भविष्य होगा। आज आवश्यकता इस बात की है कि युवाओं को अपनी गौरवमयी सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित कराया जाए। यदि युवा वर्ग ठीक से अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को जान एवं समझ गया तो वह पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति की तरफ आकर्षित नहीं होगा।
—इसी पुस्तक से
विचारक एवं मनीषी इंजीनियर अरुण कुमार जैन के प्रभावोत्पादक विचारों के कुछ सूत्र इस पुस्तक में संकलित हैं, जो राष्ट्रीय सरोकारों के प्रति सजग होने के लिए सचेत करते हैं। अत्यंत पठनीय एवं रोचक पुस्तक।

Language

Hindi

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