Mein Lohiya Bol Raha Hun by Ed. Rajaswi
भारत के महान् चिंतक एवं विचारक राममनोहर लोहिया गांधीजी के सिद्धांतों एवं मूल्यों से अत्यंत प्रभावित थे। जब वे दस वर्ष के थे, तब उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था। गांधीजी उनकी देशभक्ति से बहुत प्रभावित थे।
बी.ए. करने के बाद वे पी-एच.डी. करने के लिए जमर्नी चले गए और वहाँ बर्लिन विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। 1932 में उन्होंने अपनी पी-एच.डी. पूरी की।
जब राममनोहर लोहिया भारत लौटे तो उस समय कांग्रेस में समाजवादी विचारधारावाले लोग एक पृथक् संगठन बनाने पर विचार-विमर्श कर रहे थे। इन समाजवादियों में आचार्य नरेंद्रदेव, जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, रामनंदन मिश्र और राममनोहर लोहिया आदि थे। 22 अक्टूबर, 1934 को बंबई में समाजवादियों के ‘स्थापना सम्मेलन’ में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया गया।
डॉक्टर लोहिया हालाँकि आज हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी भली प्रकार हमारा मार्गदर्शन करते हैं। इस पुस्तक में डॉक्टर लोहिया के विचारों और सिद्धांतों को क्रमवार एवं प्रभावी ढंग से संकलित किया गया है।
विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
Language |
Hindi |
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