Mrigtrishna by Sudha Murthy
‘‘डॉक्टर, मेरा नाम मृदुला है। लेकिन पहले मेरा एक अनुरोध है—कृपया किसी को मेरे यहाँ आने की बात मत बताइएगा।’’
‘‘चिंता मत कीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।’’
‘‘डॉक्टर मुझे डिप्रेशन है। क्या मैं पूरी तरह ठीक हो जाऊँगी।’’
‘‘आपको कैसे पता कि आपको डिप्रेशन है?’’
‘‘सॉरी डॉक्टर, मैंने अपने-आप अंदाजा लगा लिया। मैंने अपने लक्षणों के बारे में इंटरनेट पर खोजा।’’
‘‘कोई बात नहीं। और हाँ, आप ठीक हो जाएँगी।’’
‘‘क्या मैं कुछ सवाल पूछ सकती हूँ?’’
‘‘बिलकुल। आप जितना बात करेंगी, उतना ही अच्छा होगा। इससे पता चलता है कि आपको जल्दी ठीक होना है।’’
‘‘डॉक्टर, मैं सबकुछ से थक चुकी हूँ।’’
‘‘मृदुला, खुद को रोकिए मत। आप चाहें तो रो सकती हैं। इससे तनाव कम होगा। कृपया यह ध्यान में रखिए कि आपको अपनी सामान्य अवस्था में आने में थोड़ा समय लग सकता है।’’
‘‘कितना समय, डॉक्टर?’’
—इसी पुस्तक से
समसामयिक समस्याओं, मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों के ताने-बाने में बुना पठनीयता से भरपूर प्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति का मर्मस्पर्शी उपन्यास।
Language |
Hindi |
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