Naye Bharat Ki Nyayik Kranti 2020 by Brijesh Bahadur Singh

न्यायाधीश ईश्वर की श्रेणी में आते हैं। वे न्यायमंदिर की न्यायमूर्ति हैं। जनमानस न्यायाधीश में ईश्वर की छवि खोजता है, नहीं पाता तो एक अच्छा इनसान देखता है, अच्छा इनसान भी नहीं दिखता, तब वह न्यायाधीश के बारे में गलत छवि बनाता है। न्यायमंदिर की छवि को हम कितना और दूषित करेंगे? यह न्यायाधीशों के बीच चर्चा का विषय होना चाहिए।
अधीनस्थ न्यायालय आम भारतीयों की न्यायपालिका है, किंतु इसके न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया और कैडर पर आज तक अंतिम निर्णय आने के बाद भी राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग (NJSC) एवं भारतीय न्यायिक सेवा (IJS) का संकल्प लागू नहीं किया गया। इस विषय पर श्वेत-पत्र इस पुस्तक का भाग है। नेताशाही व लालफीताशाही कितने पानी में है, देशवासियों को समझना जरूरी है।
सफल व्यक्ति भिन्न काम नहीं करते, वे अपने काम को भिन्न तरीके से करते हैं। चीन अपने प्रत्येक कार्य को क्रांतिकारी तरीके से करता है। भारतीय न्यायपालिका के न्यायिक व प्रशासनिक कार्य न भिन्न तरीके से होते हैं, न क्रांतिकारी तरीके से होते हैं, यहाँ केवल न्यायिक सुधार होते हैं। पुराने भारत ने बहुत सुधार देखे हैं, अब नए भारत को न्यायिक सुधार नहीं, न्यायिक क्रांति चाहिए। स्पीडी ट्रायल ऐक्ट चाहिए। प्रक्रिया विधि में Adversarial System नहीं, Inquistorial System चाहिए। न्यायाधीश को कार्यशैली एवं न्यायालयों की कार्य संस्कृति बदलनी चाहिए।
‘नए भारत’ की संकल्पना में न्यायिक क्रांति की आवश्यकता को रेखांकित करती एक संपूर्ण पुस्तक।

Language

Hindi

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