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Chakmak
Children magazine in Hindi, A monthly science magazine for children that gives space to literature and art as well. Created for children 11-14 years old, it ignores stereotypes by treating children as sensible beings, speaking to them in a language of equals
Chakra Se Charkhe Tak by Dinkar Joshi
चक्र से चरखे तक
कृष्ण करुणा का साक्षात् रूप हैं और गांधी प्रेम का एक अनोखा आकार। गांधी का जीवन सत्य को प्राप्त करने की प्रक्रिया है। कृष्ण का जीवन सत्य की प्राप्ति के बाद का आचरण है। कृष्ण का जीवन-ध्येय धर्म की संस्थापना था और गांधी का जीवन-ध्येय सत्य की प्राप्ति था।
इन दोनों विरल व्यक्तित्वों के जीवन का परीक्षण करने के पश्चात्, उनके कर्मो की मीमांसा करने के पश्चात् क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि वे दोनों अपने-अपने उद्देश्य में सफल हुए?
सीने पर हाथ रखकर इसे कह पाना दुष्कार है।…और फिर भी देश या दुनिया को, और शायद समूची मानव जाति का निर्वहन कृष्ण और गांधी के बिना न कभी हुआ है, न होने वाला है।
कृष्ण और गांधी दोनों तो ऐसे प्रतीक हैं जिनके स्पर्श के बिना मानव जाति का बच पाना असंभव है। मनुष्य जाति का यह सद्भाग्य रहा है कि ऐसे प्रतीक समय-समय पर उसे प्राप्त होते रहे हैं।
जिस पल मनुष्य जाति ऐसे प्रतीक पैदा करने की क्षमता गँवा देगी, वह इतिहास का अंतिम पल होगा।
Chakravarty Samrat Ashok by Rachna Bhola Yamini
इतिहास में सम्राट् अशोक को दो चीजों के लिए याद किया जाता है—एक, कलिंग के युद्ध के लिए और दूसरा, भारत के बाहर की दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए। अपने आरंभिक दिनों में अशोक बहुत क्रूर राजा था। अपने निष्कंटक राज्य के लिए उसने अपने सौतेले भाइयों को मरवा दिया था। उसके इन क्रूर कारनामों के कारण उसे ‘चंड अशोक’ कहा जाने लगा था। उसने एक के बाद एक राज्य जीता और साम्राज्यवाद की अपनी महत्त्वाकांक्षा को सींचता रहा। उसका राज्य भारत के पार दक्षिण एशिया और पर्शिया तक को छूने लगा।
आखिर कलिंग का युद्ध हुआ। इसमें भी अशोक को जीत मिली। लेकिन इस युद्ध में दोनों पक्षों के एक-एक लाख लोग मारे गए और इससे भी ज्यादा बेघर हो गए। कलिंग युद्ध में हुए महाविनाश से विचलित हो गया। उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। उसने जनकल्याण के कार्य आरंभ कर दिए और राजसी भोग-विलास का परित्याग कर दिया। उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया।
सम्राट् अशोक के शौर्य, युद्धकौशल विजय अभियानों और दानव से मानव बनने की मार्मिक कथा प्रस्तुत करनेवाली एक पठनीय पुस्तक।
Chalen Gaon Ki Ore by M.D. Mishra ‘Anand’
कहानियाँ अंतर्मन की वेदनाओं, समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वास और अन्याय तथा राग-द्वेष को उजागर करते हुए सचेत करती हैं, सही मार्ग प्रशस्त करती हैं। हमारा देश कृषि प्रधान और ग्रामों का समूह है। इसमें निवास करनेवाला वर्ग प्रारंभ से ही शोषित रहा है। किसानों की स्थिति दयनीय रही और आज भी है। पहले से ग्राम्य जीवन में बहुत बदलाव आए हैं। किसानों और खेतिहर मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएँ चलाकर उनके उत्थान के प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु बुनियादी परिवर्तन नहीं हो पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि नीचे से ऊपर शासन और प्रशासन जिन भावनाओं के साथ योजनाएँ बनाते हैं, उनका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। लालची और भ्रष्ट लोगों की जो शृंखला बनी हुई है, उसको तोड़ पाना कठिन हो रहा है। वे प्रत्येक मार्ग में अवरोध और अड़ंगे लगाने के विकल्प ढूँढ़ लेते हैं। तू डाल-डाल, मैं पात-पात—इसी साँप-सीढ़ी के खेल में कृषक, मजदूर तथा असहाय वर्ग फँसे हुए हैं। उनके द्वारा भोगे जा रहे यथार्थ का चित्रण ग्राम्य जीवन की इन कहानियों में समाहित है।
ग्रामीण परिवेश और देहात में किसान एवं आम जन को होने वाली कठिनाइयों, विसंगतियों, ज्यादतियों एवं उत्पीड़न को कहानियों के माध्यम से सामने लानेवाला यह कहानी-संग्रह ‘चलें गाँव की ओर’ रोचक-मनोरंजक तो है ही, पाठकों के मन को उद्वेलित करनेवाला भी है।
Chalo Aaj Mil Kar Naya Kal Banayen by Smt. Kusum Vir
इस कविता संग्रह में देशप्रेम, प्रेम, प्रकृति तथा दार्शनिक व सामाजिक तथा अन्य विषयों पर कविताएँ सम्मिलित हैं। देश-प्रेम की कविताओं में कवयित्री न केवल भारत के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है बल्कि भारत के गौरव को पुन: जीवित करने की ओर मिलकर नया कल बनाने के लिए प्रेरित करती है। प्रेम पर लिखी कविताओं में मिलन तथा विरह दोनों का अच्छा वर्णन है।
‘संध्या सिदूर लुटाती है’ कविता में रवि तथा संध्या को प्रेमी-प्रेमिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रकृति पर अच्छी कविताएँ हैं। इन कवताओं में कवयित्री प्रकृति से प्राप्त उपहारों की प्रशंसा करती है और प्रकृति से सीख लेने को प्रेरित करती है। दार्शनिक कविताओं में कवयित्री भौतिक वस्तुओं से अधिक संस्कारों को महत्त्व देती है और आत्मबोध के लिए प्रेरित करती है। सामाजिक विषयों में बाल-शोषण, नारी-शक्ति, महिला-भ्रूण हत्या आदि पर सशक्त कविताएँ हैं।
भाषा की दृष्टि से कविताओं में विविधता है। एक ओर कुछ कविताएँ जयशंकर ‘प्रसाद’ की शैली की याद दिलाती हैं तो दूसरी ओर कुछ कविताओं, जैसे—‘क्यों याद आई आज’ में उर्दू शब्दों का बाहुल्य है। पुस्तक रोचक, पठनीय और संग्रहणीय है। मैं हिंदी साहित्य जगत में कुसुम वीर जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
—डॉ. दिनेश श्रीवास्तव
संपादक, ‘हिंदी-पुष्प’
मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
Chalo Karen Bharat Ki Sair by Narayan Bhakta
चलो, करें भारत की सैर
घूमना-फिरना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। देशाटन हमेशा से ज्ञानार्जन का सशक्त माध्यम रहा है। आज पर्यटन एक उद्योग का दर्जा हासिल कर चुका है। पर्यटन की दृष्टि से हमारे देश में अनेक अनोखी चीजें, दर्शनीय स्थल, ऐतिहासिक दुर्ग, भव्य एवं प्राचीन महल तथा आध्यात्मिक तीर्थस्थल हैं। दुनिया के सात अजूबों में एक, प्रेम का प्रतीक ताजमहल भारत का प्रतीक बन गया है। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरकार पर्यटन को खूब प्रोत्साहन दे रही है।
प्रस्तुत पुस्तक धरती के स्वर्ग कश्मीर से लेकर अंडमान, गोवा, पांडिचेरी, खजुराहो, मांडू, कुल्लू घाटी, कोणार्क, उद्यानों-झीलों के नगर उदयपुर, प्रयागराज, घाटों की नगरी बनारस, सैलानियों का स्वर्ग राजगीर, कालिदास की नगरी उज्जैन, ऐलिफेंटा की गुफाएँ तथा हसीन वादियों का घर दार्जिलिंग आदि स्थलों की रोमांचक और रमणीय सैर कराती है। प्रत्येक स्थल की सांगोपांग जानकारी उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ दी गई है। पुस्तक में विषयवस्तु इस प्रकार से सँजोई गई है कि पढ़ते समय देश भर की रमणीकता और भव्यता पाठक के सामने साकार हो जाती है और मनोहारी दृश्य मानस-पटल पर जीवंत हो जाते हैं।
यह पुस्तक जहाँ सुधी पाठकों को भारत की सैर कराएगी, वहीं बहूपयोगी जानकारी से उनका ज्ञानवर्द्धन भी करेगी।
Champak – Hindi
Champak is India’s popular children’s magazine that is dedicated to the formative years of a child. The fascinating tales in it not only leave a deep imprint on the mind of its young readers but also impart them with knowledge that they will treasure for years to come.
Champaran Andolan 1917 by Ashutosh Partheshwar
चंपारन की संघर्ष-कथा जिस प्रकार राजकुमार शुक्ल के बिना पूरी नहीं हो सकती, उसी प्रकार ‘प्रताप’ के बिना भी पूरी नहीं हो सकती। ‘प्रताप’ ही वह पत्र है, जिसने पहली बार मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ कहा था।
4 जनवरी, 1915 के अंक में ‘प्रताप’ ने चंपारन की पीड़ा सुनाते हुए कहा, ‘‘देश के एक भाग के सीधे-सादे शांतिप्रिय आदमियों की यह हालत है। विदेशों में भारतवासियों पर जो अत्याचार हुआ या हो रहा है, वह इस अत्याचार के मुकाबले में अधिक नहीं है।…बाहर के अत्याचार की जड़ उखाड़ फेंकने से घर के इस अँधेरे को दूर करना अधिक हितकर है। निःसंदेह जो अपनी सहायता आप नहीं करता, उसकी सहायता मनुष्य तो दूर रहा, परमात्मा भी नहीं करता। बिहार में क्रियाशीलता की कमी है, पर हम इस बात को कदापि नहीं भूल सकते कि च्यूँटी में भी दम है और बहुत तंग किए जाने पर वह काट खाती है।’’
महेश्वर प्रसाद के ‘बिहारी’ पत्र से विदा होने के पश्चात् चंपारन के दुःख को देश-दुनिया को सुनाने का दायित्व ‘प्रताप’ ने सँभाल लिया। ‘प्रताप’ को गांधी अपने सिद्धांत, व्यवहार, करुणा एवं परदुःखकातरता के लिए ‘प्रिय’ थे तो ‘चंपारन’ अपनी ‘ट्रेजडी’ के कारण।
इस पुस्तक में ‘प्रताप’, ‘अभ्युदय’, ‘भारतमित्र’, ‘द बिहार हेराल्ड’, ‘हितवाद’, ‘पायोनियर’ जैसे पत्रों में प्रकाशित चंपारन से संबंधित समाचार-रिपोर्ट आदि संकलित हैं। चंपारन की अंतर्कथा को प्रामाणिकता से समझने के लिए यह प्राथमिक स्रोत है। निस्संदेह, भारतीय इतिहास के इस महत्त्वपूर्ण अध्याय को पढ़ने-समझने के लिए ‘चंपारन आंदोलन 1917’ एक पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक है।
Chanakya Ke Management Sootra by Mamta Jha
चाणक्य कूटनीतिज्ञ होने के साथसाथ एक अर्थशास्त्री भी थे। उनके ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ में एक राज्य के आदर्श अर्थतंत्र का विशद विवरण है और उसी में राजशाही के संविधान की रूपरेखा भी है। शायद विश्व में चाणक्य का ‘अर्थशास्त्र’ विधिविधानपूर्वक लिखा गया राज्य का पहला संविधान है।
चाणक्य ने राजनीति को अर्थ दिया, कूटनीति का समावेश किया, दाँवपेंच के गुर सिखाए, समाज को एक दिशा दिखाई तथा नागरिकों को आचारसंहिता दी। टुकड़ों में बँटे देश को एक विशाल साम्राज्य बनाया तथा सिकंदर के विश्वविजय के सपने को भारत में ही दफना दिया और एक साधारण व्यक्ति को राह से उठाकर मगध का सम्राट् बनाकर देश की समृद्धि में श्रीवृद्धि की।
चाणक्य विश्व के प्रथम मैनेजमेंट गुरु थे। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में कुशल प्रबंधन का रास्ता दिखाया। उनके बताए सूत्रों और जीवनमंत्रों के आधार पर आज भी कैसे अपने जीवन का सही प्रबंधन करके हम सफल हो सकते हैं, इसी बात को इस पुस्तक के जरिए बताने का प्रयास किया गया है। शासन, राज्य, परिवार, समाज, वित्त, सुरक्षा—सभी विषयों पर प्रस्तुत हैं महान् आचार्य चाणक्य के मैनेजमेंट सूत्र, जो आपकोे जीवन के संघर्षों से जूझने की शक्ति प्रदान करेंगे।
Chanakya Niti Evam Kautilya Arthshastra
Mahapandit Chanakya ek rachnatmak vicharak the. Veh sarvshreshth arthshastri ke saath-saath mahaan raajneetigya evam katuneetigya the. Veh samraajya vinaashak bhi the tatha samrajya nirmaata bhi the. Unki 3 anupam kritiyan – chanakya neeti, chanakya sutra tatha kautilya arthashastra hain. iss pustak mein inn teeno ki vistrit vyakhya lekhak dwara prastut ki gayi hai. yeh pustak chintak, lekhak, prabandhak, sevak, shasak, prashasak, raajneetigya se lekar samaanya jan sab hi ke liye laabhdaayi tatha upyukt hai.(Mahapandit Chanakya was a creative thinker. He was a great economist and a great politician and a masterpiece.That empire was also a destroyer and the empire was also a producer. His 3 unique works – Chanakya policy, Chanakya Sutras and Kautilya economics. Detailed explanation of all three in this book is presented by the author.This book is beneficial and suitable for everyone, from the thinker, writer, manager, servant, ruler, administrator, politician to general public.)
Chanakya Niti Yavm Kautilya Atrhasatra (Hindi)
Mahapandit Chanakya ek rachnatmak vicharak the. Veh sarvshreshth arthshastri ke saath-saath mahaan raajneetigya evam katuneetigya the. Veh samraajya vinaashak bhi the tatha samrajya nirmaata bhi the. Unki 3 anupam kritiyan – chanakya neeti, chanakya sutra tatha kautilya arthashastra hain. iss pustak mein inn teeno ki vistrit vyakhya lekhak dwara prastut ki gayi hai. yeh pustak chintak, lekhak, prabandhak, sevak, shasak, prashasak, raajneetigya se lekar samaanya jan sab hi ke liye laabhdaayi tatha upyukt hai.(Mahapandit Chanakya was a creative thinker. He was a great economist and a great politician and a masterpiece.That empire was also a destroyer and the empire was also a producer. His 3 unique works – Chanakya policy, Chanakya Sutras and Kautilya economics. Detailed explanation of all three in this book is presented by the author.This book is beneficial and suitable for everyone, from the thinker, writer, manager, servant, ruler, administrator, politician to general public.)
Chanakya Tum Laut Aao by Shivdas Pandey
भारतीय ऐतिहासिक संस्कृति की पुरातनता तथा भारत की सांस्कृतिक ऐतिहासिकता की प्राचीनता पर पाश्चात्य विद्वान् साहित्यकारों, यथा—‘विलियम जोंस’ प्रभृति जानकारों ने अपनी धार्मिक वर्चस्वता का भारत की ऐतिहासिक प्राचीनता पर जिस रूप में हमला बोलने का अत्युक्तिप्रद प्रयास किया, भारतीय विद्वान् साहित्यकारों को कदापि सह्य न हुआ। विद्वान् साहित्यकार डॉ. शिवदास पांडेय के प्रस्तुत उपन्यास ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ में तथा इसके पूर्व प्रकाशित उपन्यासों—‘द्रोणाचार्य’, ‘गौतम गाथा’ के प्राक्कथनों में उसकी नितांत अध्ययनशीलता की सीरिज उरेही जा सकती है। इन प्राक्कथनों में पाश्चात्यों के हमलों के मुँहतोड़ व्यक्तअव्यक्त प्रत्युत्तर गौर करने योग्य हैं।
डॉ. शिवदास पांडेयजी की औपन्यासिक दक्षता पुरातन ऐतिहासिक इमारतों के टूटेफूटे रूप को अपने अद्वितीय कौशल से प्रशंस्य साहित्यिक शिल्पी के स्वरूप ढालने में है। इन्होंने अद्वितीय, अपूर्व रूप में अपने सत्कार्य स्वरूप की सफल सिद्धि की है।
लेखक ने अपनी सृजन शक्ति की कल्पनात्मक डोर से सघन कथात्मक धूमिलताओं के बीच गहरे गड़े जिस अद्वितीय कौशल से प्रकाश का आँगन उकेरा, संयुक्त सूत्रात्मक बंधन में बाँधा, इस अभिनव बौद्धिक विशेषता को अपनी सविशेष सोच से अशेषगौरव उन्हें स्वतः प्राप्त हो जाता है।
इतिहास जब साहित्यमुख से अपने को अभिव्यक्त करता है तो निजी अविरामता में ‘द्रोण’ और ‘चाणक्य’ सदृश सरस्वती ही अपना नया उद्भव प्राप्त करती हैं। निश्चय ही, डॉ. शिवदासजी ने अपने ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ उपन्यास के जरिए भारतीय पुरातन क्षितिज के अनेक गौरवशील ध्रुव तारों के जो अभिनव परिचय कराए हैं, वैश्विक धरातल पर मानवसमाज की वे नूतन संस्कारगत लब्धि कहे जा सकते हैं।
—डॉ. सियाराम शरण सिंह ‘सरोज’