Pandit Ramprasad ‘Bismil’ (Mahakavya) by Acharya Devendra Dev

महाकाव्य विषयक लगभग सभी शास्त्र-सम्मत मानकों पर खरी उतरनेवाली, सोलह सर्गों में निबद्ध इस महनीय महाकाव्य-कृति ‘पं. रामप्रसाद बिस्मिल’, में महाकवि देव ने बिस्मिलजी के अग्निधर्मा व्यक्तित्व और उनके जुझारू, किंतु अत्यधिक संवेदनशील कृतित्व का सजीव चित्रण, अपनी पूरी क्षमता और प्राणवत्ता के साथ किया है।
—प्रो. सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ अंतरराष्ट्रीय कवि एवं साहित्यकार

वस्तुतः देवजी प्रसिद्ध से पूर्व सिद्ध कवि और महाकाव्यकार हैं। ‘पं. रामप्रसाद बिस्मिल’ महाकाव्य उनकी आत्मा की अमंद राष्ट्र-ज्योति की अनर्घ प्रस्तुति है।
—प्रो.भगवान शरण भारद्वाज प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद्

क्रांति के अमर पुरोधा ‘पं. रामप्रसाद बिस्मिल’ का भौतिक स्मारक, मेरे लाख प्रयत्न करके भी सरकार तो नहीं बनवा सकी, किंतु प्रस्तुत महाकाव्य के रूप में उनका ‘साहित्यिक स्मारक’ आचार्य देवेंद्र देव ने मेरे जीवनकाल में ही रचकर मुझे दे दिया है।
—डॉ. मदनलाल वर्मा ‘क्रांत’
कवि एवं साहित्यकार

संपूर्ण महाकाव्य में भावों का अनुगमन करती भाषा, अलकनंदा की अजस्र जलधारा की भाँति मंथर गति से चित्त को बहाती चलती है। हिंदी-जगत् खड़े होकर इस महाकाव्य का करतल ध्वनि से स्वागत करेगा।
—प्रो मंगला रानी
विद्वान् शिक्षाविद्

Language

Hindi

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