Prayagraj Kumbh-Katha by Dr. Rajendra Tripathi ‘Rasraj’
गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर प्रतिवर्ष लगनेवाले माघमेले, छह वर्ष पर होनेवाले अर्धकुंभ और बारह वर्ष पर पड़नेवाले पूर्ण कुंभ पर्वोत्सव को लक्ष्य कर तीर्थराज प्रयाग की पौराणिकता, गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों की पावनता, यहाँ के पुण्यप्रदायक प्रमुख तीर्थस्थलों, उपतीर्थस्थलों, द्वादशमाधव, परमपुण्यदायक अक्षयवट, पातालपुरी मंदिर, सरस्वती कूप, समुद्रकूप, हंसप्रपत्तन, वासुकि मंदिर, तक्षकेश्वर मंदिर जैसे प्रसिद्ध तीर्थ-कुंडों की पौराणिकता और उनके प्राचीनतम माहात्म्य पर आधारित प्रस्तुत पुस्तक ‘प्रयागराज-कुंभ-कथा’ एक ऐसी दिग्दर्शिका है, जिसमें प्रयागराज की गौरव-गाथा का मात्र स्मरण किया गया है।
यहाँ की पावन भूमि पर अवतरित होनेवाले अन्यान्य देवताओं, तपश्चर्या करनेवाले असंख्य ऋषियों, महर्षियों, मुनियों, साधु, संत, महात्माओं और आस्थावान् श्रद्धालुओं की भक्तिभावना को समुद्धृत करने का उपक्रम किया गया है, जिनकी महिमा का गुणगान पौराणिक ग्रंथों में उपलब्ध है।
तीर्थराज प्रयाग में कुंभपर्व पर आनेवाले शंकराचार्यों, महंतों, मठाधीशों, साधु, संतों, स्नानार्थियों और कल्पवासियों की परंपरा, उनकी दिनचर्या और उनके आकर्षक आयोजनों का दर्शनीय वर्णन भी प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में प्रमुख रूप से प्रतिपाद्य बनाने का प्रयास किया गया है।
महाकुंभ पर एक संपूर्ण पुस्तक।
Language |
Hindi |
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