Prerna : Nai Soch Nai Manzil by Rajesh Aggarwal
‘प्रेरणा’ पुस्तक के बारे में कुछ सोच-समझकर लिखना असंभव सा लगता है, क्योंकि इस पुस्तक में जो कविताएँ तथा विचार लिखे गए हैं, वे अकस्मात् ही घटित हुए हैं, जैसे बिन मौसम के बारिश का होना। जीवन के सफर से गुजरते हुए जो अनुभव दिल को छूते चले गए, यह पुस्तक उन्हीं विचारों की कृति है।
मैं हर पल इस प्रयास में रहता हूँ कि दूसरों को अपने संगीत से खुश करूँ और मेरे गुरु हर वक्त इतने खुश रहते हैं कि उनका संगीत उसी खुशी का विस्तार है। इसलिए फर्क तो होना ही है।
मुझे यह कहानी बहुत प्रीतिकर लगती है। जब भी हम किसी कार्य को देने की भावना से करेंगे तो उसकी खुशी कुछ और ही होगी।
Language |
Hindi |
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