Qaidi Ki Patni by Shriram Vriksh Benipuri
एक रात, न जाने क्या धुन में आई, बोले, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है जी!’’
‘‘आप नहीं जानते क्या?’’
‘‘सुना तो है, किंतु जानता नहीं।’’
‘‘वाह, क्या खूब? जो सुना है, वही मेरा नाम।’’
‘‘दुलारी न?’’
‘‘जी हाँ।’’
‘‘लेकिन दुलारी नाम तो बाप का होता है; बाप का कहो या नैहर का कहो।’’
‘‘तो पतिदेव का, या यों कहिए, ससुराल का नाम क्या होना चाहिए, आप ही बतलाएँ?’’
‘‘मैंने तो पहले से ही एक नाम चुन रखा है?’’
‘‘वह क्या है?’’
‘‘रानी—और मेरी कुटिया की रानी ही, मेरे दिल की रानी!’’
—इसी पुस्तक से
सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीरामवृक्ष बेनीपुरीजी की कलम से निःसृत राष्ट्र के स्वातंत्र्य के लिए बंदी जीवन काट रहे एक कैदी की पत्नी की मर्मांतक तथा उद्वेलित कर देनेवाली जीवनव्यथा।
Language |
Hindi |
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