Rita Shukl Ki Lokpriya Kahaniyan by Rita Shukl
हिंदी कथासाहित्यजगत् में ऋता शुक्ल का नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है। उनकी कहानियों में भारतीय ग्राम संस्कृति का भावविह्वल स्वर मिलता है, जो उन्हें सहज ही हिंदी के श्रेष्ठ कथाकारों की प्रथम पंक्ति में स्थान दिलाता है। उनकी प्रत्येक रचना में धवल पारदर्शी चाँदनी में भीगी सरलतरल करुणा का संगीतात्मक स्पर्श है, जिसकी अंतर्लय संवेदना की गहरी धार से जुड़ी हुई है।
ऋता शुक्ल की रचनाएँ अनुभवों की रसमयता में पगी हुई एक ऐसे यात्राक्रम का स्मरण दिलाती हैं, जहाँ मानवीय करुणा की अनगिनत लकीरें हैं। उनमें चरित्रों की अद्भुत विविधता और अकूत विस्तार है। नंगे पाँव अंगारों पर चलने की वेदना का दुस्सह भार मनप्राणों में साधकर जीने की आस बँधाने वाली है यह शब्दयात्रा। चेतना की कोमल सतह पर ग्रामगंधी करुणा के दूर्वादल उगाने का सफल प्रयास उनकी कहानियों का वैशिष्ट्य है। भारतीय संस्कृति के निष्ठारस से सिंचित उनकी जिजीविषा धारा के विरुद्ध बहने के लिए संकल्पबद्ध दिखाई पड़ती है। भोजपुरी लोकगीतों के माधुर्य से सगुंफित, वैचारिक उदात्तता के बोध से भरी उनकी रचनाधर्मिता संजीवनी जलधारा सी मूल्यवान है। आलोचकीय स्तुतिगान के उधार लिये पंखों से प्रसिद्धि का आकाश छूने की ललक उनमें नहीं है। सहृदय पाठक या श्रोता को सच्ची आत्मिक शांति देती हुई लोकमानस के लिए संघर्षरत उनकी कहानियाँ लोकप्रियता के उत्तुंग शिखर को छूनेवाली हैं।
Language |
Hindi |
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