Santon Ke Prerak Prasang by Surendra Singh Negi
हमारा देश संतमहात्माओं एवं ऋषिमुनियों का देश है। उनकी सांसारिक पदार्थों में आसक्ति नहीं होती। वे सिर्फ जीने भर के लिए जरूरी चीजों का सीमित मात्रा में उपभोग करते हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ से संत का कोई प्रयोजन नहीं है। ऐसा सात्त्विक तपस्वी जीवन सबके लिए अनुकरणीय होता है।
संत का जीवन जीना साधारण मानव के बस की बात नहीं है। संतजीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जो लोग आदर्श गृहस्थ धर्म को निभाते हैं, वे धन्य हैं। जो लोग मेहनत से, उचित साधनों से आजीविका अर्जित करते हैं, व्यवहारकुशल हैं, परहितकारी हैं, खुद जीते हैं और दूसरों को जीने देते हैं, ऐसे मानव भी किसी संत से कम नहीं हैं।
प्रस्तुत पुस्तक का प्रत्येक दृष्टांत जीवन के बारे में स्पष्ट दृष्टि देता हुआ अमूल्य संदेश देता है। इस आपाधापी भरे युग में जो व्यक्ति सत्संगों का लाभ नहीं उठा पाते, उन्हें इस पुस्तक के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
संतों के प्रेरणाप्रद जीवन का सार यदि हम जीवन में उतारें तो सुखसंतोष से परिपूर्ण होगा हमारा जीवन।
Language |
Hindi |
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