Shwet Patra by Viveki Rai

श्वेत पत्र’ सन् 1942 के जनांदोलन और बलियागाजीपुर जनपद तथा बिहार के सीमावर्ती भोजपुरी अंचल के तत्कालीन गुप्त आंदोलन के प्रामाणिक इतिहास पर आधारित, उद्वेलित मानसिकता की संपूर्ण पकड़ से परिपूर्ण ऐसी कलाकृति है, जिसमें व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन और गाँवों में फैले क्षेत्रीय आंदोलन का कहीं अभिन्न और कहीं समानांतर चित्रण है।
तत्कालीन स्थिति के कुछ सर्वथा नए तथ्यों को उजागर करता ‘श्वेतपत्र’ अर्थात् आजादी का ऐतिहासिक दस्तावेज प्रस्तुत करता है। जयप्रकाश, लोहिया आदि के उन महत्त्वपूर्ण, प्रामाणिक बुलेटिनों, पैंफलेटों, पर्चों और गुप्त पत्रों को, जिनको सही मायने में अस्त्र बनाकर जनता स्वयं अपनी लड़ाई लड़ती है, गाँव के किसानमजदूर, अध्यापकविद्यार्थी और किसानसरदार लड़ते हैं।
लेखक का दावा है—उन पैंफलेटों आदि का मूल रूप उसके पास सुरक्षित है और इस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम का एक सहीसही तथा रचनात्मक रूप उभर आता है ‘श्वेतपत्र’ में। अत्यंत रोचक, सनसनीखेज, प्रभावशाली, प्रेरणाप्रद और आज की राष्ट्रीय स्थितियों के पुनर्मूल्यांकन योग्य अनेक अछूते आयामों से परिपूर्ण।

Language

Hindi

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