Tisara Sukh Tatha Anya Kahaniyan by Shailesh Matiyani

अंधा देख नहीं सकता। वह अंदर बढ़ गई, तब भी उसने नहीं देखा। जब उसने काँपते हुए हाथों से दरवाजा बंद कर दिया, तब चिल्लाया था—‘‘कौन है?’’
‘‘मैं हूँ, लछमी भिखारिन…’’ एकाएक उसके मुँह से निकल पड़ा था और वह चौंकी थी।
‘‘कहाँ भीख माँगती थी? आज तक तो दिखी नहीं…’’
तो क्या यह अंधा देखता भी है?
‘‘नई-नई आई है क्या इस शहर में?’’
‘‘हाँ…आँ!’’
उसकी आवाज कितनी बदल गई थी! उस शख्स के लिए भी तो वह बिलकुल नई-नई थी।
‘‘कोई बच्चा-वच्चा भी है?’’
‘‘ऊँ हूँ…अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है।…’’
‘‘उमर क्या होगी तेरी?’’
—इसी संग्रह से
हिंदी के बहुचर्चित कहानीकार शैलेश मटियानीजी ने इन कहानियों में पूँजीवादी समाज-व्यवस्था के शिकार शोषितों-पीडि़तों के दु:ख-दर्द को जीवंत एवं कारगर तरीके से उजागर किया है। अत्यंत मर्मस्पर्शी, संवेदनशीलता व पठनीयता से भरपूर कहानियाँ।

Language

Hindi

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