Ummeed by Sanjay Sinha

कल शाम मैं एक रेस्त्राँ में बैठा था। बगलवाली मेज पर एक दंपती था। मैं हैरान था कि दोनों करीब आधा घंटा वहाँ रहे, लेकिन आपस में एक शब्द भी बात नहीं की। दोनों लगातार अपने-अपने मोबाइल फोन पर लगे रहे। आखिर तकनीक ने हमें एक-दूसरे के करीब किया है या दूर। दूसरी मेज पर भी वही हाल था। पुरुष अपने साथ आईपैड जैसी कोई चीज लिये हुए था और उसमें फिल्म देख रहा था। महिला लगातार फोन पर लगी थी।
मुझे लगा आधुनिकता अपने साथ अकेलापन लेकर आगे बढ़ रही है। सड़कें चमचमा रही हैं, शहर जगमगा रहा है, पर आदमी तन्हा है।
पता नहीं, लोग इस सच को समझते हैं या नहीं, पर अकेलापन एक सजा है। रेस्त्राँ में लोग एकांत की तलाश में आते हैं और अकेले होकर चले जाते हैं।

Language

Hindi

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