Vishwa Prasiddha Kahaniyan (Vol. Iv) by Suresh Kant

एक था राजा। वह कपड़ों का बहुत शैकीन था। कपड़ों के चक्कर में राजकाज तक में ध्यान नहीं देता था, हालाँकि उसके पास तरह-तरह के कपड़ों का ढेर लगा हुआ था।
वह देश-विदेश के प्रसिद्ध दर्जियों को बुलवाकर उनसे कपड़ों के डिजाइनों के बारे में बातें करता रहता। यदि कभी कोई व्यक्ति आकर उसके कपड़ों की प्रशंसा कर देता तो वह उसे खूब पुरस्कार देता।
एक बार दूसरे राज्य के दो ठगों को राजा के इस शौक का पता लगा। उन्होंने राजा को ठगने और सबक सिखाने की ठानी। उन्होंने राजा को संदेश भेजा कि वे सोने और हीरे के धागे से कपड़ा तैयार कर उसके लिए एक ऐसी सुंदर पोशाक बना सकते हैं, जिसके बारे में कभी किसी ने सपने में भी न सोचा होगा। किंतु उनकी शर्त थी कि उस अद्भूत पोशाक को कोई मूर्ख या अपने पद के अयोग्य व्यक्ति नहीं देख सकेगा।
‘इसी पुस्तक से’

Language

Hindi

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