Vishwa Shanti Guru Dalai Lama by Mayank Chhaya

विश्‍व शांति गुरु दलाई लामा—मयंक छाया

महान् आध्यात्मिक धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा का जीवन जितना संघर्षपूर्ण रहा है उतना ही प्रेरक और पथ-प्रदर्शक भी रहा। दो वर्ष की आयु में उन्हें तेरहवें दलाई लामा के अवतार के रूप में स्वीकार किया गया और सन् 1940 में उन्हें विधिवत् अपने पूर्ववर्ती दलाई लामा का उत्तराधिकारी माना गया। इस दीर्घकालीन जीवन में दलाई लामा ने निरंतर सैद्धांतिक दृढ़ता और अहिंसा का परिचय दिया है।
विश्‍व के ऐसे महान् दिव्य पुरुष के बारे में जानने की जिज्ञासा हर व्यक्‍ति के मन में रहती है। सन् 1997 में भारतीय पत्रकार मयंक छाया को परम पावन दलाई लामा ने अपने जीवन और काल के बारे में लिखने के लिए अधिकृत किया। परम पावन दलाई लामा के भरपूर सहयोग से लिखी गई इस आकर्षक और अद्यतन जीवनीपरक पुस्तक में व्यक्‍तिगत वर्णन से बढ़कर काफी कुछ है। उन्होंने तिब्बत और बौद्ध परंपरा के बारे में लिखा, जिसमें दलाई लामा का उदय हुआ। उन विचारों के बारे में बताया, जिसमें उनकी मान्यताएँ, राजनीति और आदर्शों ने आकार ग्रहण किया।
लेखक ने इस शोधपूर्ण जीवनी में दलाई लामा के निर्वासित जीवन का चित्रण किया और उन विभिन्न भूमिकाओं के बारे में बताया है, जो उन्होंने अपने अनुयायियों के लिए निभाईं। चीन और तिब्बत के अत्यंत जटिल विवाद पर उन्होंने प्रकाश डाला और चीनी कब्जे के प्रति दलाई लामा के अहिंसक रवैए से कुंठित तिब्बती युवाओं के बढ़ते असंतोष के बारे में अंदरूनी जानकारी दी है।
दलाई लामा के दर्शन, उनके कार्य और संपूर्ण जीवन पर विहंगम दृष्‍टि डालती प्रेरणाप्रद जीवनी।

Language

Hindi

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