Vishwa Prasiddha Kahaniyan (Vol. Iii) by Suresh Kant

एक पुलिस अधिकारी बड़ी फुरती से सड़क पर गश्त लगा रहा था। रात के अभी मुश्किल से दस बजे थे, लेकिन हलकी-हलकी बारिश तथा ठंडी हवा के कारण सड़क पर बहुत कम आदमी नजर आ रहे थे।
सड़क के एक छोर पर एक गोदाम था।
‘‘उस रात हमने निश्चय किया था कि अगली सुबह बीस वर्षों के लिए हम उएक-दूसरे से अलग हो जाएँगे। इन वर्षों में हम जीवन में कुछ बनने के लिए संघर्ष करेंगे और जो कुछ बन पाएँगे, बनेंगे। ठीक बीस वर्ष बाद इसी समय हम फिर यहीं मिलेंगे, चाहे इसके लिए कितनी ही दूर से क्यों न आना पडे़ तथा हमारी कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो।’’
‘इसी पुस्तक से’

Language

Hindi

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