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Tejaswi Man by A P J Abdul Kalam

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मैं यह पुस्तक इसलिए लिख रहा हूँ ताकि मेरे युवा पाठक उस आवाज को सुन सकें, जो कह रही है-‘ आगे बढ़ो ‘ । अपने नेतृत्व को हमें समृद्धि की ओर ले जाना चाहिए । रचनात्मक विचारोंवाले युवा भारतीयों के विचार स्वीकृति की बाट जोहते-जोहते मुरझाने नहीं चाहिए । जैसाकि कहा गया है-चितन पूँजी है, उद्यम जरिया है और कड़ी मेहनत समाधान है ।
युवा पीढ़ी ही देश की पूँजी है । जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनके आदर्श उस काल के सफल व्यक्‍त‌ित्व ही हो सकते हैं । माता-पिता और प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आदर्श के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । बच्चे के बड़े होने पर राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत् से जुड़े योग्य तथा विशिष्‍ट नेता उनके आदर्श बन सकते हैं ।
-इसी पुस्तक से

भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति महामहिम डॉ. ए.पीजे. अब्दुल कलाम ने आनेवाले वर्षों में भारत को एक महाशक्‍त‌ि के रूप में स्थापित करने का स्वप्न देखा है; और इसे साकार करने की संभावना उन्हें भारत की युवा शक्‍त‌ि में नजर आती है । हम बच्चों- युवाओं को प्रेरित कर उन्हें शक्‍त‌ि-संपन्न भारत की नींव बना सकें, यही इस पुस्तक को लिखने का उद‍्देश्य है ।
प्रत्येक चिंतनशील भारतीय के लिए पठनीय पुस्तक ।

Telly ERP 9

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Taily-ERP 9, aapako tailee sophrataveyar mein aadhaarabhoot gyaan pradaan karata hai. yah pustak lekhaakann kee buniyaadee avadhaarana se aarambh kiya gaya hai, taaki is vidha mein aaye naye vidyaarthee is sophrataveyar ko prayog mein laane se pahale isase jude sabhee aavashyak gyaan praapt kar saken. is pustak ke vibhinn adhyaayon mein kampanee banaane se sambandhit sabhee vishayon baheekhaata (lejar), lekhaankan, stok aaitam, godaam, perol, evan karon se judee sabhee moolabhoot tathyon ka sampoorn gyaan silasilevaar dhang se prastut kiya gaya hai. jo vidyaarthee tailee ke is naveenatam sanskaran ko seekhana chaahate hain unake lie yah pustak behad upayogee hai.

Telugu Ki Lokpriya Kahaniyan by Dr. Balshauri Reddy

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तेलुगु-साहित्य में छोटी कहानियों का आरंभ 16वीं शतादी के उारार्द्ध में हुआ। परंतु सबसे पहली मौलिक तेलुगु-कहानी आंध्र के महाकवि श्री गुरजाड अप्पाराव ने सन् 1610 में लिखी थी। तेलुगु-साहित्य में छोटी कहानी का श्रीगणेश अप्पारावजी ने ही किया। उनकी कहानियों में व्यंग्य की प्रधानता है। ग्राम्य-जीवन का चित्रण यों तो कई कहानीकारों ने किया है, पर श्रीकविकोंडल वेंकटेश्वरराव की कहानियों में जो चित्रण मिलता है, वह अन्यत्र नहीं।
तेलुगु-कहानी-साहित्य में चलम् के प्रवेश ने या भाषा, या भाव, सब में क्रांति पैदा की है। चलम् ने सभी क्षेत्रों में विद्रोह का झंडा ऊँचा किया है। श्रीसुखरम् प्रताप रेड्डी ने यद्यपि बहुत कम कहानियाँ लिखी हैं, फिर भी कहानी-साहित्य में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें तेलुगु-कहानी-साहित्य का गुलेरी कहें तो अतिशयोति न होगी। तेलुगु-कहानियों में हास्यरस का अभाव था। उसकी पूर्ति श्रीमुनिमाणियम् नरसिंहराव ने की। भवसागर को लोग दु:खमय मानते हैं, पर नरसिंहराव ने आनंदमय माना और अपनी रचनाओं से सिद्ध भी किया। इनको कुछ लोग ‘हास्य चक्रवर्ती’ मानते हैं। इनकी कहानियों में अधिकतर पारिवारिक समस्याएँ ही मिलेंगी।
तेलुगु-साहित्य में भावना-प्रधान तथा ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के लिए श्री अडवि बापिराजु प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियों में संगीत, चित्रकला और अभिनय का वर्णन उल्लेखनीय है।
तेलुगु भाषा के श्रेष्ठ कथाकारों की लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

Tendulkar Ki Kahani, Unhin Ki Zubani by Sachin Tendulkar

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मेरे पिता ने मुझे 11 साल की उम्र में ही आजाद पंछी की तरह छोड़ दिया और मुझसे बोले, ‘‘अपने सपनों का पीछा करो, लेकिन यह शर्त है कि तुम उनको पाने के लिए शॉर्टकट नहीं ढूँढ़ोगे।’’
अपने 24 साल के लंबे कॅरियर के दौरान शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट रिकॉर्ड होगा, जो सचिन तेंदुलकर से अछूता रहा हो। टेस्ट और एक दिवसीय मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने के अलावा वे पहले और एकमात्र ऐसे बल्लेबाज बने, जिसने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए और 200 टेस्ट मैचों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उनकी स्ट्रोक खेलने की विशिष्ट शैली ने उनको ऐतिहासिक हस्ती बना दिया, क्योंकि यह उनकी ही विलक्षण क्षमता थी कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में और मैदान के किसी भी कोने पर गेंद मार सकते थे।
बंबई में एक मध्यवर्गीय परिवार में जनमे सचिन ने, जो कि एक शरारती बच्चे थे, बड़े हुए तो दिखाया—एक खिलाड़ी और कप्तान के रूप में कैसे लक्ष्यों को हासिल किया जाता है और कैसे सपनों को सच किया जाता है! हैरत की बात नहीं, खेल के प्रति उनका जुनून, देश के लिए उनके मन में सम्मान और मैदान एवं उससे बाहर उनका शानदार व्यवहार ही वे बातें रहीं, जिन्होंने उनको करोड़ों लोगों का चहेता और आनेवाली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनाया था।
सचिन तेंदुलकर के शिखर को छूने की रोचक और प्रेरणाप्रद यात्रा, उन्हीं की जुबानी। यह पुस्तक न केवल पठनीय है, वरन् असंख्य युवाओं और खेल-प्रेमियों के लिए प्रेरणा का खजाना है।

TET & CTET

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TET & CTET

TGT – PGT Commerce

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TGT – PGT Commerce

TGT Bharti Pariksha Grah Vigyan

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A Modern Approach to pass various competitive exams based on the current syllabus and helpful to excel in TGT Bharti Pariksha Grah Vigyan exams and perform best in their career and comes with detailed solutions, not just the answer key, for each and every question included in it. It promotes self-evaluation by enabling you to not only practice and revise concepts but also keep track of your progress. This book allows you to clarify your doubts and remove the fears generally associated with exams, improve your concentration and hone your time management skills, enabling you to answer the questions within the given time frame.

TGT Bharti Pariksha Vanijya

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TGT Bharti Pariksha Vanijya

TGT-PGT & UGC ART

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TGT-PGT & UGC ART

TGT-PGT Physical Education

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TGT-PGT Physical Education

TGT/PGT – PHYSICS AND CHEMISTRY

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TGT/PGT – PHYSICS AND CHEMISTRY

TGT/PGT/GIC/LT AGRICULTURE

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TGT/PGT/GIC/LT AGRICULTURE

TGT/PGT/LT Grade/GIC – Commerce

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TGT/PGT/LT Grade/GIC – Commerce

TGT/PGT/LT Grade/GIC/DIET/DSSSB/RPSC/KVS/NVS – Home Science

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TGT/PGT/LT Grade/GIC/DIET/DSSSB/RPSC/KVS/NVS – Home Science

TGT/PGT/LT Grade/GIC/DIET/DSSSB/RPSC/KVS/NVS – Social Science (Economics)

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TGT/PGT/LT Grade/GIC/DIET/DSSSB/RPSC/KVS/NVS – Social Science (Economics)

TGT/PGT/RAS PSC/Delhi/Jharkhand/Navoday Lecturer Question Bank – Biology

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TGT/PGT/RAS PSC/Delhi/Jharkhand/Navoday Lecturer Question Bank – Biology

Thakkar Bapa by Sweta Parmar ‘Nikki’

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‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा ने हर दीन-दुःखी और गरीब को सम्मान दिया और उन्हें सबका बापा बना दिया। राष्ट्रपिता बापू भी उन्हें बापा ही कहा करते थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जिस अपूर्व निष्ठा, अनन्य भक्ति व अथक परिश्रम से उन्होंने अपना सेवा-व्रत निभाया, वह निस्संदेह बेजोड़ कहा जा सकता है। बापा विनम्रता और सरलता की मूरत थे; जब काका कालेलकर ने उनसे लेखन के लिए कहा तो वे बोले, ‘‘मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जो लिखने लायक हो।’’ उन्हें भाषण देना नहीं आता था और न ही वे साहित्यिक भाषा में लेख लिखते थे, बस उन्हें डायरी लिखने का शौक था।
मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर शोषित-उपेक्षितों के कल्याण और सुख के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करनेवाले सेवाव्रती कर्मयोगी ठक्कर बापा की प्रेरक-पठनीय जीवनी है यह पुस्तक।