Best Of Prem Kishore ‘Patakha’ by Prem Kishore ‘Patakha’
प्रेम आध्यात्मिक चिंतन को उजागर करता है, किशोर बालमन को आकर्षित करता है और पटाखा हास्यव्यंग्य के रंग की आतिशबाजी अपने रंगों से खिलखिलाती है। हर उम्र और हर पड़ाव के पाठकों को लेखन से अपनी ओर आकर्षित करने में पटाखाजी की लोकप्रियता है। विगत पचास वर्षों से अधिक समय से लेखन से जुडे़ हैं। बताते हैं, एक काव्य मंच पर सन् 1962 में हाथरस में काका हाथरसी ने पटाखा नाम दिया, बोले, ‘हम काका, तुम पटाखा दोनों मिलकर डालें डाका।’ सन् 1980 के बाद पटाखाजी की तूती पूरे भारत वर्ष में पटाखों की तरह धमाके करने लगी। एच.एस.बी. रिकॉर्ड्स बनानेवाली कंपनी ने आपके ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स बनाए। टीसीरीज ने ऑडियो कैसेट और ईगल वीडियो ने वीडियो बनाकर हास्यप्रेमियों को ठहाकों की दुनिया से जोड़ा। एक के बाद एक आपकी सत्तर के लगभग पुस्तकें बाजार में नजर आने लगीं। टी.वी. के अनेक चैनलों पर आपकी खिलखिलाती कविताएँ दर्शकों को गुदगुदाने लगीं।
अब उसी गुदगुदाहट को लेकर पटाखाजी की लोकप्रिय हास्यव्यंग्य रचनाएँ आप पढें़पढ़ाएँ और दूसरों को भी मुसकराहटें लुटाएँ।
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Hindi |
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