Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan by Devendra Satyarthi
राष्ट्रवादी लेखन के प्रमुख हस्ताक्षर गुरुदत्तजी ने ऐसे साहित्य की सृष्टि की है, जिसको पढ़कर इस देश की कोटिकोटि जनता ने सम्मान का जीवन जीना सीखा है। सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद गुरुदत्तजी ने लगभग सारा समय साहित्य के सृजन में लगाना शुरू किया और मृत्युपर्यंत जुटे रहे। उन्होंने 250 के लगभग पुस्तकें लिखीं, जिनमें प्रायः 200 उपन्यास हैं, कुछ पुस्तकें राजनीति पर हैं। जिनमें प्रमुख है—‘भारत गांधीनेहरू की छाया में’। कुछ संस्मरणात्मक पुस्तकें हैं और शेष भगवद्गीता, उपनिषदों तथा वेदों पर उनकी टीकाएँ व भाष्य हैं।
उनके उपन्यासों के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। उनके उपन्यासों की भाषा सरल है और कथानक अति रोचक। उनकी कहानियाँ चाहे राजनीतिक, ऐतिहासिक या सामाजिक हों, सबमें राष्ट्रवादी विचारधारा और भारत के भवितव्य के विषय में उनका चिंतन झलकता है। सामाजिक समरसता, मानवीय संवेदना, राष्ट्र के लिए समर्पण और जीवनमूल्य ही उनकी कहानियों का मूल स्वर रहे।
प्रस्तुत संग्रह में उनकी ऐसी ही बहुचर्चित कहानियाँ संकलित हैं, जो पाठकों को रुचिकर लगेंगी और उनमें सामाजिक चेतना जाग्रत् करेंगी।
Language |
Hindi |
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