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Vivechan – International Journal of Research
Vivechan – International Journal of Research
VIVEK : Issues & Options
Vivekananda International Foundation’s E-journal carries exclusive articles by distinguished scholars on diplomacy, strategy, governance, defence, neighbourhood, economy, media, history, science and technological Studies.
Selected articles from the E-journal are also featured regularly on the VIF Webiste : http://www.vifindia.org
VIVEK : Issues & Options is also e-disseminated to a large number of interested persons across the globe.
Vivek Jagriti Assamese
Vivek Jagriti is an Assamese Quarterly Magazine by Vivekananda Kendra Assamese Prakashan Vibhag published from Guwahati.
Vivek Jagriti having articles for Youth Awakening, Personality Development, Education, Health, Yogasana, etc. for spreading our Indian Culture & National Values as envisaged by Swami Vivekananda through Man-Making & Nation-Building.
Vivek Jyoti
भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।
आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।
Vivek Ki Seema by N K Singh
विद्वान् लेखक एन.के. सिंह की पुस्तक ‘विवेक की सीमा’ अतीत और वर्तमान के बदलाव की राजनीति पर एक गंभीर टिप्पणी है। इसमें साक्ष्यों, उपाख्यानों और प्रतीकों के द्वारा दो बातों की व्याख्या की गई है—पहली, समूह या राष्ट्र तर्क के अनुसार नहीं चलते और दूसरी, हमें कभी-कभी अतर्कसंगत भी होना चाहिए। पुस्तक में सुधार की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का विश्लेषण तो किया ही गया है, साथ ही यह भी बताया गया है कि हमें अनुकंपाशील, भावप्रवण, रचनात्मक, आशान्वित, परहितवादी और कुछ मामलों में तर्क-विरुद्ध होना चाहिए। तभी हम परिवर्तन की राजनीति में जान फूँक सकते हैं, वरना परिवर्तन की राजनीति हितों का समझौता बनकर रह जाएगी।
भारत को आज इसी रास्ते पर चलने की जरूरत है। एक दशक से भी अधिक समय पहले उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। तब से देश ने काफी प्रगति की है, लेकिन रफ्तार सुस्त रही है। ‘सुधार के दिन’ अतीत बनते जा रहे हैं। अत: परिवर्तन की जरूरत बढ़ गई है। भारत अब भी गौरवशाली है, अतुल्य है; लेकिन इसमें एक ऐसा नैराश्य और अवसाद दिख रहा है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। इसके कवच में पहले से अधिक दरारें दिखने लगी हैं।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहने के कारण श्री सिंह को भारत की नीति-निर्माण एवं नीति-कार्यान्वयन प्रक्रियाओं के विविध पहलुओं को करीब से देखने का दुर्लभ मौका मिला है। उसी के आधार पर इस चिंतनपरक पुस्तक में उन्होंने भारत के सुधारवाद के रास्तों का विश्लेषण किया है।
लेखक ने अपने लोकप्रिय लेखों में आधारभूत ढाँचे को सुधारने, वित्तीय क्षेत्र को खोलने, केंद्र-राज्य संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने, कीमतों को विनियमित करने, सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत के प्रति बदलते रवैए का विश्लेषण किया है, केवल विश्लेषण ही नहीं, बल्कि समालोचना और व्याख्या भी की है। पुस्तक में उठाए गए मुद्दे भारत के आर्थिक विकास के संदर्भ में अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
Vivek Sudha – વિવેક સુધા – Gujarati Quarterly
વિવેક સુધા : વિવેકાનન્દ કેન્દ્ર કન્યાકુમારીનું વૈચારિક ત્રૈમાસીક
Vivek Sudha – Gujarati Quarterly of Vivekananda Kendra Kanyakumari.
1) http://vs.vkendra.org
2) http://viveksudha.vkendra.org
3) http://www.vivekanandakendra.org
Vivek Vani – விவேக வாணி – Tamil Monthly
Vivek Vani!—Tamil Monthly (விவேக வாணி). The Voice of Youth is ever a voice of renewal, – a voice of renaissance, like the music of the onrushing stream, which cutting across the rocks that come in its way, ever sings — shall find a way or make it; and dances forward and onward to form a river, whose waters then meandering and flowing majestically and musically, fertilise the land and make it smile with beauty and laugh with plenty.
Youth of the World shall reshape the New World to be, and the Youth of India shall build a new Bharat nearer to their heart’s desire. This is our faith.
Vivek Vichar – विवेक विचार
विवेक विचार हे विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारीचे मराठी मासिक आहे. विवेकानंद केंद्र हे आध्यात्मिक पायावरील सेवा संघटन आहे. स्वामी विवेकानंद यांचा मनुष्य निर्माणातून राष्ट्र पुनरुत्थान या संदेशानुसाार केंद्राचे कार्य चालते. केवळ महाराष्ट्रातच नाही तर इंदूर, भोपाळ, उज्जैन, बडोदा, दिल्ली, बेळगाव, धारवाड, चेन्नई, कोलकाता, अरुणाचल प्रदेश आदी ठिकाणच्या मराठी घरांमध्येही विवेक विचार मासिक आवर्जून वाचले जाते.
Vivek-Choodamani by Dr. Mridul Kirti
‘ब्रह्म सत्यं’ जगन्मिथ्येत्येवंरूपो विनिश्र्चयः,
सोअयं नित्यानित्यवस्तुविवेकः समुदाहतः।
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काव्यानुवाद—चौपाई छंद में
ब्रह्म सत्य और जगत है मिथ्या।
यहि दृढ़ अटल सत्य है तथ्या॥
अथ निश्चय दृढ़ अविचल एका। नित्यानित्यं वस्तु विवेका॥
आत्म-अनात्म विवेक, नित्य-अनित्य विवेक, सत्य-असत्य विवेक सारा ज्ञान द्वैतात्मक है—विलोम की स्थिति के बिना कैसे दूसरे पक्ष को जाना जा सकता है। संसार, शरीर और अनात्म विषयों में उलझे मन यह भूल जाते हैं कि यथार्थ साधना अंतःकरण में संपन्न होती है। आत्मा नित्य है, अतः इसका कोई मूल तत्त्व या उपादान कारण नहीं है, आत्मा को आत्म-तत्त्व से ही जान पाना संभव है। परम तत्त्व का अनुसंधान, ब्रह्म विषयक ज्ञान, उस असीम को ससीम से जान पाना संभव नहीं। अंतर्वर्ती अंतश्चेतना का जागरण करते हुए, जीव-जगत्-जन्म में अनावश्यक आसक्ति के प्रति सजग रहते हुए, सर्वत्र शुद्ध भगवद्-दृष्टि पाकर सर्वथा जीवन्मुक्त अवस्था से कैवल्य पाना ही सर्वोत्तम सिद्धि है, जिसका ज्ञान और प्राप्ति ही ‘विवेक-चूड़ामणि’ का कथ्य विषय है।
VIVEKA PRABHA
The Magazine “VIVEKA PRABHA” is the only Kannada Magazine which is being published by The Ramakrishna Maha Sangha. This magazine was released in 2000. The magazine features writings by renounced monks and also the leading writers and is read by over 25,000 readers across the state of Karnataka and also outside.
ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಮಹಾಸಂಘದ ಮಾಸಪತ್ರಿಕೆ ವಿವೇಕಪ್ರಭ. ಪ್ರತಿ ತಿಂಗಳೂ ವೇದಾಂತ, ಆಧ್ಯಾತ್ಮಿಕ ಪರಂಪರೆ, ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಹಾಗೂ ಶ್ರೀರಾಮಕೃಷ್ಣ-ಶ್ರೀಶಾರದಾದೇವಿ-ಸ್ವಾಮಿ ವಿವೇಕಾನಂದರ ಜೀವನ-ಸಂದೇಶಗಳನ್ನು ಸರಳ ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ತಲುಪಿಸುವುದೇ ಈ ಪತ್ರಿಕೆಯ ಗುರಿ. ಆಧುನಿಕ ಜೀವನದ ಸಂದರ್ಭಕ್ಕೆ ಅನುಗುಣವಾಗುವಂತೆ ನಮ್ಮ ಪಾರಂಪರಿಕ ಮೌಲ್ಯಗಳನ್ನು ಹೊಸದಾಗಿ ಪ್ರತಿಷ್ಠಾಪಿಸುವುದು, ಆತ್ಮ ಸಾಕ್ಷಾತ್ಕಾರ ಹಾಗೂ ಜಗತ್ತಿನ ಒಳಿತಿಗಾಗಿ ದುಡಿಯುವಂತೆ ಯುವಪೀಳಿಗೆಯನ್ನು ಪ್ರೇರೇಪಿಸುವುದು, ಸುಸಂಸ್ಕೃತ ಮೌಲ್ಯಗಳ ಹಾಗೂ ಆಧ್ಯಾತ್ಮಿಕ ಆದರ್ಶಗಳ ಆಧಾರದಲ್ಲಿ ಪವಿತ್ರ ಜೀವನ ನಡೆಸುವಂತೆ ಸಮಾಜದ ಎಲ್ಲ ವರ್ಗಗಳ, ಎಲ್ಲ ಸ್ತರಗಳ ಸ್ತ್ರೀಪುರುಷರನ್ನು, ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳನ್ನು ಹಾಗೂ ಬಾಲಕರನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುವುದು ಈ ಪತ್ರಿಕೆಯ ಧ್ಯೇಯವಾಗಿದೆ. ಬನ್ನಿ, ವಿವೇಕಪ್ರಭ ಆ್ಯಪ್ ಅನ್ನು ಸಂಸ್ಥಾಪಿಸಿ.. ಇದರ ಅಂತರಂಗವನ್ನು ಹೊಕ್ಕು ನೋಡಿ..
Vivekanand Aur Rashtravad by Major (Dr.) Parshuram Gupt
स्वामी विवेकानंद के जन्म को डेढ़ सदी बीत चुकी है। लेकिन आज भी उनके संदेश युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। संपूर्ण राष्ट्र के भविष्य की दिशा तय करने में भी उनके विचार निर्णायक भूमिका का निर्वहण करने की क्षमता रखते हैं। आज वेदांत-दर्शन को विज्ञान की मान्यता मिलने लगी है, जिससे स्वामीजी के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं।
स्वामीजी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय, आलस्य तथा ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने के लिए स्पष्ट संदेश दिया और कहा कि तुम सदैव सत्य का पालन करो, विजय तुम्हारी होगी। आनेवाली शताब्दियाँ तुम्हारी बाट जोह रही हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कुछ ऐसे युवा चाहिए, जो देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हों। ऐसे युवाओं के माध्यम से वे देश ही नहीं, विश्व को भी संस्कारित करना चाह रहे थे।
स्वामीजी प्रखर राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि राष्ट्र के प्रति गौरवबोध से ही राष्ट्र का कल्याण होगा। हिंदू संस्कृति, समाजसेवा, चरित्र-निर्माण, देशभक्ति, शिक्षा, व्यक्तित्व तथा नेतृत्व इत्यादि के विषय में स्वामीजी के विचार आज अधिक प्रासंगिक हैं।
स्वामीजी के संपूर्ण मानवता और राष्ट्र को समर्पित प्रेरणाप्रद जीवन का अनुपम वर्णन है—राष्ट्ररक्षा, राष्ट्रगौरव एवं राष्ट्राभिमान का पाठ पढ़ानेवाली, राष्ट्रवाद का अलख जगानेवाली इस अत्यंत जानकारीपरक पुस्तक में।
Vivekanand Ke Sapano Ka Bharat by Bajrang Lal Gupta & Laxminarayan Bhala
स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत
गुरुभाइयों में सम्मानपूर्वक ‘स्वामीजी’ संबोधन प्राप्त करनेवाले नरेंद्रनाथ दत्त ने ऊहापोह की स्थिति में मठ छोड़कर भारत-भ्रमण करने का मन बनाया। अपने गुरुभाइयों को भी स्पष्ट निर्देश दिया कि अपना झोला उठाकर भारत का मानचित्र अपने साथ लो और भारत-भ्रमण के लिए निकल पड़ो। भारत को जानना एवं भारतवासियों को भारत की पहचान करा देना, यही हमारा प्रथम कार्य है। स्वामीजी ने धीर-गंभीर होकर कहा कि योगी बनना चाहते हो तो पहले उपयोगी बनो, भारतमाता के दुःख व कष्ट को समझो। उसे दूर करने के लिए अपने आपको उपयोगी बनाओ, तभी तो योगी बन पाओगे।
आज की वर्तमान पीढ़ी भी वर्ष 2020 तक विश्व को नेतृत्व प्रदान करनेवाले भारत को अपने हाथों सँवारना चाहती है। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन, गोरक्षा, गंगा की पवित्रता, कालेधन की वापसी, राममंदिर-रामसेतु आदि मानबिंदुओं के सम्मान की रक्षा के आंदोलन, आसन्न जल संकट, पर्यावरण, कानून, सीमा-सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द, संस्कार-युक्त शिक्षा, संस्कृति रक्षा, राष्ट्रवादी साहित्य, महिला गौरवीकरण आदि के लिए हो रही गतिविधियाँ भारत निर्माण की छटपटाहट का ही प्रकटीकरण हैं। इन सभी क्रियाकलापों को नेतृत्व प्रदान करनेवाले लोग कम या अधिक मात्रा में स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा पाकर उनके सपनों का भारत बनाने में लगे हैं।
स्वामी विवेकानन्द के सपनों के स्वावलंबी, स्वाभिमानी, शक्तिशाली, सांस्कृतिक, संगठित भारत के निर्माण को कृत संकल्प कृति।
Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar
स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे। उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्तित्व, उनकी वाक्शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए।
मोक्ष की आकांक्षा से गृह-त्याग करनेवाले विवेकानंद ने व्यक्तिगत इच्छाओं को तिलांजलि देकर दीन-दुःखी और दरिद्र-नारायण की सेवा का व्रत ले लिया। उन्होंने पाखंड और आडंबरों का खंडन कर धर्म की सर्वमान्य व्याख्या प्रस्तुत की। इतना ही नहीं, दीन-हीन और गुलाम भारत को विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान किया।
ऐसे प्रखर तेजस्वी, आध्यात्मिक शिखर पुरुष की जीवन-गाथा उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की है प्रसिद्ध बँगला लेखक श्री शंकर ने। अद्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।