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Apna Mulaank Janen
Ank jyootish eevan bhavishyapaphal par aadharit yah pustak saadharanatah boolacaal kee bhaasha meen likhee gayee hai. Prastut pustak kee bhaasha itanee saral eevan sahaj hai ki saadharan see saadharan parha-likha vyakti bhee isee aasaanee see samajh leega tatha isaka puura laabh utha sakanee meen saksham hooga.
Is pustak meen leekhak ka 25 varshoon kee jyootish vishay kee pathan-paathan kee muul mantra too samaahit hain hee, saath-saath isameen bhaasha-shailee kee vah ravaanagee hai ki aap isee bina kisee shabdakoosh kee parhanee meen saksham hoongee.
Jaisa ki ham sab jaanatee hain ki bhavishy jaananee kee iccha manushy kee man meen aadikaal see rahee hai. Aaj bhavishy jaananee kee kaee vidhayeen pracalit hain, jinameen janm-vuphandalee, prashn-vuphandalee, ramalashaastra, hastareekhaashaastra aadi pramukh hain. Parantu ank jyootish eek aisee vidh hai jisaka prayoog any sabhee vidhoon meen kisee na kisee ruup meen avashy kiya jaata hai.
Google Translate for Business:Translator ToolkitWebsite TranslatorGlobal Market Finder(The book has been written in a simple language so that everybody is able to read it and understand. The treatment consists of astrology, numerology and the mantras. As we all know, people are visually curious to know about their future. The book shows ways to know that with the help of like birth spiral, question spiral, horoscope, etc. ) #v&spublishers
Apna Vyaktitva Prabhavshali Kaise Banaye
Influential personalities of each person in the crowd because of its priceless heritage which has made her identity. Family or society, country or abroad, job or industry, business administration or political system, for instance Everywhere you look a lot people will stand among them who could most influence and dignity of all to find what would be your ideal. You have to be the same. This book to make you so attractive and influential gives sound advice.
Apne Anushasanheen Bachchon Ko Kaise Sudharen
Aaj pashchim kee svachchhand aur bhoogavaadee sanskriti ke kaaran hamaara parivesh hee badal gaya hai. Aanand manaane, yoojanaoon mein jeene aur chakaachoundh bharee duniya mein sudh-budh bisaar dene kee hod machee hai. Aisee jeevan shailee se sarvapratham bachche hee prabhaavit hootee hain, kyonki seekhanee-samajhanai, paripakv bananee ke kachchee umr mien hee unheen pareelook jaisa kaalpanik sansaar aakarshit kar raha hoota hai. Yah sankraman kaal bhayaavah hai, jisasee bachana avashyambhaavee hai.
Beeja laad-pyaar, choree-cugalee, jiddeepan, eershya, aalas, padhaee se uub, kaam see jee churaana, tood-phood, maar-peet, aavaaraagardee, chichala manoranjan, behuda faishan, yaunaakarshan, deting-seiting, khataranaak nashon ka aakarshan , anushaasanaheenata, aparaadhee aur hinsak pravritti, lakshyaheenata, palaayan, kunthaein, paisee ka ghamand, galat sangatiyaan, shaaert kat kee sanskrti jaisee vikaar baccoon kee bacapan aur unakee bhavishy ko barbaad kar unakee sanrakshakoon ko abhishapt jeevan jeenee ke liye baadhy kar dete hain.
Leekin chinta karanee aur ghabaraanee kee aavashyakata naheen hai. Keeval aap sadaiv jaagaruuk banee rahain aur bachchoon ko sahee raasta dikhayen, unake bacapan ko sanvaareen aur sukhad bhavishy ka nirmaan karen. Yah pustak aapakee puuree-puuree sahaayata karegee. Isamein bachchoon ke bigaranee ke kaaran aur lakshan to diye hee gayai hain, saath hee unhen bigarane se rokane ke thos evn vyaavahaarik upaay bhee sujhaye gaye hain.(We all want our children to be disciplined, but it can be a hard thing to teach them at times! Lack of attention due to both parents working can be traumatic for children. Such absence disturbs their studies that they try to cover up through alibis. Excessive display of love and care on child may make them demanding besides throwing tantrums at the slightest opportunity. Throwing pocket money and frequent gifting in order to compensate for their long periods of absence is one of the strong reasons that make them ill mannered. The author Chuni Lal Saluja, backed by his knowledge of psychology and social behaviour offers parents keys to discipline such unruly children. ) #v&spublishers
Apne Bachche Ko Vijeta Banayen by Suman Vajpayee
अभिभावक की भूमिका बच्चों की सोच को दिशा देने में बहुत महत्त्व रखती है। माता-पिता उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव लाकर बच्चों के जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। केवल सोच ही वह चीज है, जो हार को भी जीत में बदल देती है।
चींटी दीवार पर चढ़ने के प्रयास में बार-बार गिरती है, पर फिर भी वह हिम्मत नहीं हारती। लगातार प्रयास करते हुए अंतत: वह दीवार पर चढ़ने में सफल हो जाती है, हालाँकि वह तो इतना नन्हा प्राणी है कि उसे तो पहले ही प्रयास में निराश हो जाना चाहिए था, पर ऐसा नहीं होता है। फिर एक बालक, जिसमें काम करने की लगन हो, बुद्धि हो, शक्ति हो, तब वह निराशा को क्यों गले लगाए?
अभिभावक बच्चे की हर सफलता पर उसे आश्वस्त करें कि उसमें क्षमता है, योग्यता है। हारने पर भी अपने प्यार में कमी न आने दें, अत्यधिक अपेक्षाएँ भी उससे न रखें। अत: एक अभिभावक के नाते आप अपने बच्चे के मार्गदर्शक, पालक, संरक्षक एवं सुरक्षा-कवच बनें।
बच्चों को आत्मनिर्भर, अनुशासित, दृढ़ इच्छाशक्तिवाला एवं विजेता बनानेवाली एक व्यावहारिक दिशा-निर्देशक पुस्तक, जो माता-पिता ही नहीं सभी आम और खास के लिए पठनीय है।
Apni Ekaagrata Kaise Badhaye by Vijay Prakash
प्राचीनकाल से ही भारतीय शैक्षिक प्रक्रियाओं में एकाग्रताविकास को बहुत महत्त्व दिया गया। आश्रमों में आचार्य अपने शिष्यों को विविध योगाभ्यासों के जरिए एकाग्रता के गुर सिखाते थे। आधुनिक शिक्षाप्रणाली में एकाग्रताविकास के इस महत्त्वपूर्ण पक्ष की पूरी तरह से उपेक्षा कर दी गई है। हमने बच्चों के ऊपर सूचनाओं का बोझ बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। नतीजतन बच्चों की उपलब्धि का स्तर नीचे आ गया है और वे महज रट्टू तोते बनकर रह गए हें। यदि हमें रटंत विद्या को छोड़कर सृजनवादी शिक्षा को प्रोत्साहित करना है तो यह आवश्यक है कि हम नवाचारी ढंग से सोचें। एकाग्रताविकास में ही सृजनवादी शिक्षा की कुंजी है। बिना एकाग्रता के हम किसी कार्य में सफल नहीं हो सकते। सभी मनुष्य के लिए, चाहे वह दुनिया में किसी देश का निवासी हो या किसी पेशे में हो, एकाग्रता विकास की जरूरत रहती ही है। अतः यह आवश्यक है कि हम शिक्षापद्धति में एकाग्रताविकास को सर्वाधिक महत्त्व दें।
पुस्तक में एकाग्रताविकास के तरीके भी सुझाए गए हैं। कक्षा में आसानी से खेले जानेवाले खेलों और संपन्न किए जानेवाले कार्यकलापों के संबंध में भी पर्याप्त सुझाव दिए गए हैं। इन्हें घर में भी किया जा सकता है। अतः यह पुस्तक केवल विद्यालय जानेवाले बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि विद्यालय नहीं जा सकनेवाले बच्चों के लिए भी उपयोगी है।
Apni Personality Ko Pehchane by Dr. Ashutosh Karnatak
व्यक्ति की पर्सनैलिटी और व्यक्तित्व की पहचान कराती है उसकी राशि, सूर्य चिह्न, अंक विज्ञान, हस्ताक्षर तथा मुखाकृति।
वर्गों के आधार पर समुचित विश्लेषण के पश्चात् अपनी पहचान पाठक कर सकते हैं कि उनका व्यक्तित्व एवं जीवनक्रम किस तरह का रहेगा। उसी आधार पर वे अपने जीवन का प्रबंधन कर सकते हैं। यदि व्यक्ति विशेष सामाजिक, सफल व प्रबंधन में सक्षम है तो उस गुण के अनुसार कार्य में लगाने से सफलता मिल सकती है। यदि कोई कर्मचारी नेतृत्व क्षमता रखता है तो उसके गुण का प्रयोग ऐसे समय में किया जा सकता है, जिस समय उसकी आवश्यकता हो।
अभिभावकगण अपनी संतानों के गुणों के आधार पर उनकी शिक्षा इत्यादि की व्यवस्था कर सकते हैं, जबकि पति-पत्नी अपने जीवनसाथी के गुणों को जानकर अपना जीवनयापन कर सकते हैं। कर्मचारी अपने अफसर के गुणों को जानकर अपनी कार्यप्रणाली नियत कर सकते हैं। किसी संस्था का प्रबंध निदेशक अपने सहयोगियों के गुणों के आधार पर उनको समुचित स्थान दे सकता है।
विश्वास है, इस पुस्तक का अध्ययन कर पाठक अपने गुणों का समुचित विश्लेषण कर, उसका समुचित लाभ उठाकर इस छोटी सी जीवन-अवधि को सफल बनाएँगे तथा समाज में अपनी पहचान बनाएँगे।
Apni Soch Se Ameer Baniye by Napoleon Hill
विश्वप्रसिद्ध सेल्फ-हेल्प प्रेरणादायक पुस्तकों के लेखक नेपोलियन हिल की ‘थिंक ऐंड ग्रो रिच’ का प्रथम प्रकाशन 1937 में हुआ था। इस पुस्तक के लिए नेपोलियन हिल ने करीब 500 पूँजीपतियों के साथ किए साक्षात्कारों का गहन अध्ययन किया है। इन पूँजीपतियों का उदाहरण देकर उन्होंने सफलता के कुछ ऐसे सिद्धांतों का गठन किया है, जिन्हें अपनाने और उनके नियमित अभ्यास से कोई भी व्यक्ति जीवन में सफलता पा सकता है। इस पुस्तक में दिए गए सिद्धांतों के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने कारोबारी मसले, अपितु जीवन की किसी भी परिस्थिति में संयम बनाए रख सकता है। इसके माध्यम से नेपोलियन हिल ने लोगों को विश्व आर्थिक मंदी से निपटने का रास्ता दिखाया था और यह पुस्तक आज भी पूँजी कमाने की दिशा में सर्वोच्च मानी जाती है।
Apple Success Story by Pradeep Thakur
एप्पल ‘संप्रदाय (कल्ट) ब्रांड’ माना जाता है। फोर्ब्स पत्रिका ने मई 2017 में 170 अरब डॉलर ब्रांड मूल्यांकन के साथ अपनी ‘विश्व की सबसे मूल्यवान 100 ब्रांड’ सूची में एप्पल को लगातार सातवें वर्ष भी पहले स्थान पर मजबूत बनाए रखा था। न केवल ब्रांड मूल्य में बल्कि 214.2 अरब डॉलर ब्रांड राजस्व के साथ एप्पल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों गूगल (ब्रांड मूल्य 101.8 अरब डॉलर; ब्रांड राजस्व 80.5 अरब डॉलर), माइक्रोसॉफ्ट (ब्रांड मूल्य 87 अरब डॉलर; ब्रांड राजस्व 85.3 अरब डॉलर) व फेसबुक (ब्रांड मूल्य 73.5 अरब डॉलर; ब्रांड राजस्व 25.6 अरब डॉलर) से बहुत आगे चल रहा था।
किसी भी उत्पाद के लिए एप्पल जैसी उच्च स्तर की ब्रांड-निष्ठा (ब्रांड लॉयल्टी) असामान्य मानी जाती है। इसके उपयोगकर्ता किसी पंथ या संप्रदाय के भक्त सदस्यों की तरह एप्पल उत्पादों के प्रति गहरी निष्ठा को खुलेआम प्रदर्शित करते हैं। इसीलिए एप्पल को एक संप्रदाय-ब्रांड या कल्ट-ब्रांड कहा जाता है। एप्पल के प्रति उपयोगकर्ता की ब्रांड निष्ठा लगभग तीन दशक पुरानी है, जब 1984 में कंपनी ने अपने कर्मशील और दूरदर्शी युवा संस्थापक स्टीव जॉब्स की अगुवाई में क्रांतिकारी व्यक्तिगत कंप्यूटर (पर्सनल कंप्यूटर/पीसी) बाजार में उतारा था। उसके बाद से अनेक उपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे-मोबाइल फोन, आई-पैड आदि बनाकर ‘एप्पल’ ने एक तरह से इस बाजार में अपना एकाधिकार कर लिया।
छोटी सी शुरुआत करके विश्वपटल पर अपनी पहचान बनानेवाली कंपनी की ‘सक्सेस स्टोरी’ है यह पुस्तक।
Apprentice Vikas Adhikari Pariksha
A Modern Approach to pass various competitive exams based on the current syllabus and helpful to excel in Apprentice Vikas Adhikari Pariksha exams and perform best in their career and comes with detailed solutions, not just the answer key, for each and every question included in it. It promotes self-evaluation by enabling you to not only practice and revise concepts but also keep track of your progress. This book allows you to clarify your doubts and remove the fears generally associated with exams, improve your concentration and hone your time management skills, enabling you to answer the questions within the given time frame.
Apratim by Dr. Anil Kumar Pathak
डॉ़ अनिल कुमार पाठक का नवीनतम काव्य-संग्रह ‘अप्रतिम’ प्रेम और समर्पण के अन्यतम क्षणों का सृजन है। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा में प्रबल आस्था रखनेवाले कवि ने इस कृति में शाश्वत मानवीय मूल्य ‘प्रेम’ को आधार बनाया है। डॉ. पाठक आध्यात्मिक विचारों से परिपूर्ण हैं, जिसका आभास इस संग्रह की रचनाओं में भी होता है। कवि के मानस-पटल पर प्रेम के उदात्त मूल्यों की अमिट छाप है, जो जीवन के झंझावातों में संबल प्रदान करता है और प्रेरणा भी देता है। संग्रह के सभी गीत निरंतर बहनेवाले झरने की तरह स्वतः प्रवाहमान हैं। बाह्य तौर पर इस संग्रह की रचनाएँ वैयक्तिक प्रतीत होती हैं, किंतु इनमें समाहित मूल्य सार्वभौमिक एवं सार्वदेशिक हैं। आज के भौतिकवादी, व्यवहारवादी युग में ‘प्रेम’ अत्यंत संकुचित रूप में ग्रहण किया जा रहा है तथा संकीर्ण रूप में ही समझा भी जा रहा है। परंतु कवि की आस्था प्रेम के उस स्वरूप में है, जो असीमित, अपरिमित, अतुलनीय, अमर व अनंत हैं। उसके लिए प्रेम शाश्वत भाव की व्यापक अनुभूति है।
‘प्रेम’ के प्रति कवि की इसी आस्था के कारण इस कृति के गीत, प्रेम की अतल गहराइयों तथा उसकी भावनात्मक ऊँचाइयों से प्रबुद्ध पाठक का परिचय कराते हैं। इस कृति के सभी गीत एक शीतल, प्राणदायक मलयानिल की तरह हैं, जो प्रेम की पवित्रता व पावनता को प्रदूषित करनेवाले वातावरण में संजीवनी प्रदान करते हैं। प्रेम की उदात्त भावनाओं को समेटे हुए इन गीतों के संग्रह का ‘अप्रतिम’ पूर्णतया चरितार्थ होता है।
Arabpati Karobariyon Ke Motivational Vichar by Swati Gautam
सफल और अनुभवी लोगों के सद्विचार, प्रेरक वाणी और अनुकरणीय जीवनशैली भी आपके व्यक्तित्व को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस पुस्तक में संकलित एलोन रीव मस्क, जैक मा, नारायण मूर्ति, बिल गेट्स, मार्क जुकरबर्ग, रतन टाटा, रॉबर्ट कियोसाकी, वॉरेन बफे, वॉल्ट डिज्नी, सुंदर पिचाई जैसे अत्यंत कामयाब कारोबारियों के उत्साह और ऊर्जा से भरपूर मोटिवेशनल विचार आपके चिंतन को धार देंगे और सफलता के नए फलक छूने में मदद भी करेंगे—
आप एकाग्रचित्त होकर ही महान् कार्य कर सकते हैं, चाहे आप कितने ही योग्य क्यों न हों; सपने वही सच होते हैं, जिन पर विश्वास किया जाता है; समस्या के समाधान के लिए हमें खुद से क्यों पूछना चाहिए; असफलता हमारी स्वीकार्यता पर निर्भर करती है; अपनी संस्कृति को ध्यान में रखें; छोटे से शुरुआत करिए; करो और दुनिया बदल दो; सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए हमें सर्वश्रेष्ठ के साथ खड़ा होना होगा; विश्वास किसी भी बिजनेस की पहली सीढ़ी है; हमें हमेशा सीखते और सुनते रहना चाहिए; जोखिम उठाने का साहस कीजिए; सिक्के के दोनों पहलुओं को देखें; अपने दिमाग से काम लीजिए; अपने शब्दों पर ध्यान दीजिए; रिस्क लेना सीखें; बडे़ लक्ष्य निर्धारित करें; पहली सफलता पर ही मत रुको; जोखिम के बिना सफलता नहीं मिलती।
Arabpatiyon Jaisa Kaise Sochen? by Pradeep Thakur
क्या आपने स्वयं से कभी कहा है—हाँ, मैं अमीर बन सकता हूँ! हो सकता है कि कहा हो या फिर नहीं भी। यही अमीर बनने की पहली व सबसे बड़ी शर्त है। यदि इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श नहीं किया और यों ही अपने मन को समझा लिया कि ‘मैं अमीर बन सकता हूँ।’ तो असल बात बन न सकेगी। इससे पहले अमीर बनने की यात्रा शुरू हो पाना संभव नहीं है, क्योंकि यही जीवन बदलने वाली महान् यात्रा का प्रस्थान बिंदु है।
सबसे पहले आप यह मानें कि आपने सचमुच में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार नहीं किया है और फिर पूरी सहजता से पूछें, ‘क्या मैं अमीर बन सकता हूँ?’ हाँ, यह चिंतन-प्रक्रिया थोड़ी जटिल है, इसलिए न तो मन में उठ रहे भावों की तह में जाने से घबराएँ और न ही जल्दबाजी करें। खुद को सहज व संयत रखें और बस अपने विचारों को साक्षी भाव से देखें। ‘साक्षी भाव’ वह मनोदशा है, जब हम खुद के विचारों को बिना किसी पूर्वग्रह के खुद से अलग रखते हुए ‘गवाह’ (साक्षी) की तरह देखते हैं। यह वही स्थिति है, जब आप किसी घटना को उसमें शामिल हुए बिना ही देखते हैं। जब आप ऐसा करेंगे तो सब साफ होना शुरू हो जाएगा कि आपने अब तक ‘खुद’, ‘सफलता’ में कौन-कौन सी बाधाएँ खड़ी की हुई थीं। यह भी संभव है कि आपको लगे कि आपने इस मुद्दे पर इतनी गंभीरता से पहले कभी सोचा भी नहीं था। यदि ऐसा नहीं होता तो आप अमीरी-यात्रा पर कब के निकल चुके होते। खैर, इस प्रक्रिया को अब शुरू होना था तो अब सही।