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Gandhivadi Kaka Kalelkar by Prakhar Kundan
काका कालेलकर का पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर था। उन्हें यायावर (घुमक्कड़) भी कहा जाता है। अगर हम काका के जीवनवृत्त का अध्ययन करें तो हमें उनके बहुत से रूप देखने को मिलते हैं—लेखक, शिक्षाविद्, पत्रकार, विद्वान्, समाज सुधारक और इतिहासकार।
काका कालेलकर प्रखर देशभक्त थे। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के सदस्य थे। शिक्षाविद् के रूप में कालेलकर ने अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की और इसके उपकुलपति भी रहे। सन् 1885 में कर्नाटक के बेलगाँव के बेलगुंडी ग्राम में जनमे कालेलकर को घूमने का बहुत शौक था। उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की और गुजराती, मराठी और हिंदी में अपने यात्रावृत्तांत लिखे। उनके यात्रावृत्तांत इतने सटीक होते हैं कि पाठकों को एहसास होने लगता है, मानो वे भी उसी जगह पहुँचकर साक्षात् उस स्थान को देख रहे हों। उन्होंने गांधीजी पर काफी साहित्य लिखा, जो अब राष्ट्रसंपत्ति के रूप में संरक्षित है।
महान् देशभक्त और शिक्षाविद् काका कालेलकर की प्रेरणाप्रद और अनुकरणीय जीवनगाथा।
Ganesh Shankar Vidyarathi by Manish
Ganesh Shankar Vidyar thi was not only a fearless and unbiased jour nalist, but also a social worker , freedom fighter and an able statesman. He made a significant contribution to the freedom struggle of India. Ganesh Shankar was born on October 26, 1890, at Atarsuiya in Allahabad at his mater nal grandfather’s home. His father, Shri Jai Narain, was a resident of Fatehpur (Uttar Pradesh.) At that time , he was working as the principal of Anglo V ernacular School at Mungawali in Madhya Pradesh province. His mother Gomti Devi was a pious lady.
Ganga Dadi Zindabad by Prakash Manu
हिंदी के जाने-माने कवि-कथाकार प्रकाश मनु ने बच्चों और किशोर पाठकों के लिए भी खूब लिखा है। उनकी कहानियों में बच्चों की दुनिया का हर रंग, हर खुशबू है—उनकी शरारतें और नटखटपन, उनके शिकवे-शिकायतें, उनके सुख-दु:ख और छोटी-बड़ी परेशानियाँ; साथ ही उनके खेल-कूद, मस्ती, सपने और मिलकर कुछ करने का हौसला भी। यही वजह है कि बच्चे और किशोर पाठक मनुजी की कहानियाँ ढूँढ़-ढूँढ़कर पढ़ते और सराहते हैं। कोई पच्चीस वर्षों तक लोकप्रिय बाल पत्रिका ‘नंदन’ से जुड़े रहे प्रकाश मनु की कहानियों का यही जादू उनकी चुनिंदा किशोर कहानियों की पुस्तक ‘गंगा दादी जिंदाबाद’ में एकदम नए रूप और अंदाज में सामने आया है।
‘गंगा दादी जिंदाबाद’ संग्रह में ‘मास्टर जी’, ‘प्यारे अनुराग के लिए’, ‘जब चित्र बनाए पैरों ने’, ‘मेरे प्यारे नंदू भैया’ और ‘किस्सा घुमक्कड़राम का’ सरीखी मनुजी की बेहद चर्चित किशोर कहानियाँ शामिल हैं, जिन्हें एक साथ पढ़ना रोमांचक अनुभव है। इसी तरह ‘सरस्वती बाबू’, ‘रज्जो की सहेली’, ‘अंधा गायक’, ‘मैं जीत गया पापा’ और ‘तुम भी पढ़ोगे जस्सू’ ऐसी कहानियाँ हैं, जिनमें बचपन के दु:ख और अभावों की छाया है; पर इसके बावजूद जीवन के रास्ते कभी खत्म नहीं होते, और हर मुसीबत के बाद नई राहें निकलती हैं।
विश्वास है, साहित्य अकादेमी के पहले बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित प्रकाश मनु की चुनिंदा किशोर कहानियों का यह संग्रह बच्चे खूब रस लेकर पढ़ेंगे।
Gangaputra Bhishma by Ankur Mishra
देवव्रत से भीष्म की यात्रा मानव-मूल्यों की विस्तृत परंपरा का गान है। इस कृति में लेखक ने कालजयी योद्धा भीष्म के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को स्पर्श किया है। आप जब पुस्तक पढ़ते हैं तो प्रतिपल भीष्म के साथ उनके जीवन की मानसिक यात्रा के साथी बन जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक को सिर्फ महाभारत के आख्यान हेतु नहीं पढ़ा जाना चाहिए, बल्कि तत्कालीन गुप्तचर व्यवस्था एवं समाज व्यवस्था की भी झलक इसमें मिलती है। यही वह समय था, जब धरा को श्रीकृष्ण के रूप में नया नायक मिला था। भीष्म की धर्म-निष्ठा एवं श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त धर्म की सम्यक् व्याख्या हेतु भी पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए।
Ganit Aur Vigyan Ke 100 Sidhant by Rajesh Kumar Thakur
गणित और विज्ञान दोनों ही बड़े रोचक विषय हैं, पर प्राय: देखा गया है कि इनको लेकर छात्रों तथा सामान्य जन को भी मन में डर रहता है। पर थोड़ा परिश्रम करके इनमें हम दक्षता प्राप्त कर सकते हैं और इन्हें अपना मित्र बना सकते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक ‘गणित और विज्ञान के 100 सिद्धांत’ गणित और विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संक्षेप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। इस पुस्तक को लिखते समय यह ध्यान रखा गया है कि विषयवस्तु संक्षिप्त हो, पर सारगर्भित हो, जिससे सुधी पाठक गणित व विज्ञान के सभी महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों को पढ़ते हुए आत्मसात् कर पाएँ। जहाँ तक संभव बन पड़ा, चित्र व सरल वाक्यों का प्रयोग किया गया है, जिससे कि विज्ञान और गणित की जटिलता का बोझ पाठकों के मस्तिष्क पर न पड़े।
Ganit Se Kar Lo Dosti by Rajesh Kumar Thakur
सवाल है—या गणित वास्तव में अरुचिकर है? शायद नहीं। यदि ऐसा होता तो गॉस गणित को ‘सभी विषयों की रानी’ कहकर संबोधित नहीं करते। रामानुजन इसके दीवाने नहीं बनते। गणित के प्रति अरुचि का कारण सीधा है। बच्चे इस विषय के साथ जुड़ पाने में असमर्थ हैं, उन्हें इसकी पूर्ण उपयोगिता और महा से अवगत कराने की जिम्मेदारी कोई निभा नहीं रहा है, नहीं तो आर्यभट्ट, भास्कर, रामानुजन की इस धरती पर आज गणित की जय-जयकार हो रही होती।
प्रस्तुत पुस्तक में गणित की इसी कठिनाई को दूर करने का एक प्रयास किया गया है। यह पुस्तक वैदिक गणित के सिद्धांतों के साथ-साथ कई ऐसी बातें अपने आप में सँजोए हुए है, जो गणना को सरल करने में कारगर साबित होंगी।
इस पुस्तक की सबसे बड़ी खूबी एक अभिनव प्रयोग है, जिससे आप जमा, घटा बाईं ओर तथा दाईं ओर से आसानी से कर पाएँगे। इन सबके लिए आपको किसी सूत्र को याद रखने की आवश्यकता भी नहीं है।
पुस्तक की भाषा इतनी सरल है कि आप इसे खुद ही सीखकर आसानी से गणित में दक्षता हासिल कर सकते हैं।
Ganitiya Akash Ke Nakshatra Dr. Dharma Prakash Gupta by Shashi Prakash
वे तो एक प्रतिभाशाली, मेधावी व परिश्रमी छात्र थे। वे तो गगनचुंबी विश्ववियात, महान् गणितज्ञ थे। सदैव आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर रहते थे। बस, पठन-पाठन में ही पूरा जीवन लगाया। कहते थे कि ये 24 घंटे के ही दिन-रात यों होते हैं, 48 घंटे के यों नहीं होते? बस, प्रतिपल कार्यरत रहना चाहते थे। निद्रा से दूर भागते थे। उनका बहुत बड़ा परिवार था, आज भी है। जहाँ-जहाँ भी रहकर पढ़े, सभी को अपने स्वभाव से, मधुर भाषा से सम्मोहित किए रहते थे। सभी के आदर्श थे वे। सभी के प्रेरणास्रोत थे प्रकाश। सबके प्रति अगाध प्रेम तो कूट-कूटकर भरा था उनके हृदय में। मृदुभाषी थे। जिससे भी 2 मिनट बात की, बस उन्हीं का हो जाता था। सांस्कृतिक कार्यक्रम व वार्षिक कार्यक्रम भी चलते थे, सभी धर्मों में भाग लेते थे। शेसपियर के ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ ड्रामे में इन्होंने पोर्शिया की भूमिका निभाई थी। वार्षिक स्पोर्ट्स भी होते थे, उनमें भी भाग लेते थे। किसी भी कला क्षेत्र से दूर नहीं थे।
बी.एस-सी. की परीक्षा निकट थी कि फिमरबोन के पास खूब बड़ा सा फोड़ा निकल आया। बहुत चिंता थी कि अब या होगा? प्रैटिकल पास आ गए थे, खड़े नहीं हो पा रहे थे। धैर्य नहीं खोया था, दृढ़निश्चयी थे। आत्मबल, आत्मविश्वास, सब कुछ बटोरा और यह सोचकर कि कुछ भी असंभव नहीं है, मैं परीक्षा अवश्य ही दूँगा और पै्रटिकल का दिन आ गया। बी.एस-सी. फाइनल में फर्स्ट डिवीजन, फर्स्ट पोजीशन पाई थी।
Gaon-Gaon Ki Kahaniyan by Dr. Pramod Kumar Agrawal
‘गाँव-गाँव की कहानियाँ’ डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल का द्वितीय कहानी-संग्रह है। प्रस्तुत कहानी संग्रह में सोलह कहानियाँ संकलित हैं, जिसमें कुछ लंबी, कुछ मध्यम तथा कुछ छोटी कहानियाँ हैं। सभी कहानियों का विषय पृथक्-पृथक् है। इन कहानियों में लेखक ने हिंदी साहित्य के कुछ अनछुए विषयों को चुना है। ‘ग्राम प्रधान की प्रेमिका’, ‘पट्टादार ननुआ’, ‘बटाईदार काने खाँ’, ‘विडंबना’, ‘वृद्धा’, ‘सूरज ’ कहानियाँ ग्रामीण भारत को सजीव उपस्थित करती हैं, जबकि ‘नगेन सब्जीवाला’ तथा ‘इस्माइल मिस्त्री’ कहानियाँ महानगरीय परिवेश पर आधारित हैं। ‘राजू-ऑपरेटर ’ तथा ‘चाय की दुकान’ कहानियों में कस्बे की पृष्ठभूमि का स्पंदन है।
‘सत्तर वर्षीय मुकदमा’ तथा ‘न्याय की खोज में अन्याय’ कहानियाँ भारतीय न्याय-व्यवस्था पर कटाक्ष हैं। ‘अरावली और ऐरावत’ और ‘रणनीति’ क्रमशः हाथियों तथा बंदरों के जीवन पर आधारित हैं। सभी कहानियों में लेखक का वैविध्यपूर्ण अनुभव, विज्ञान का स्पर्श तथा जीवन के प्रति उनका सकारात्मक दर्शन प्रतिबिंबित होता है। वे अपनी कहानियों के माध्यम से हिंदी साहित्य में लोक संग्रहात्मक कहानियों का नया दौर आरंभ कर रहे हैं, जो कुछ समय से विलुप्त सा हो रहा था।
Garbh Evam Prasav Gyan by Shanti Roy
प्रसूति विज्ञान चिकित्सा शास्त्र की उस शाखा का नाम है, जिसका संबंध स्त्री जननांग, गर्भावस्था, प्रसव तथा प्रसवोत्तर काल से होता है। इस शास्त्र का उद्देश्य है—‘स्वस्थ माँ और स्वस्थ नवजात’। माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के माध्यम से ही किसी देश की स्वास्थ्य संबंधी गुणवत्ता की पहचान होती है। वहाँ की चिकित्सा सेवा कितनी अच्छी है, इसका अंदाजा वहाँ के मातृ मृत्यु-दर एवं शिशु मृत्यु-दर से ही लगाया जाता है। विकसित देशों में मातृ एवं शिशु मृत्यु-दर पहले ही काफी कम हो चुकी है।
गर्भ एवं प्रसव विज्ञान पर अधिकांश पुस्तकें अंग्रेजी में हैं, जिन्हें पढ़ना और समझना हमारी सामान्य जनता के लिए संभव नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक सरल-सुबोध भाषा में लिखी प्रामाणिक जानकारी लिये है। इसकी भाषा और बातें हमारी जनता पढ़ सकेगी, समझ सकेगी तथा अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रह सकेगी।
हम अपने ही शरीर से बिल्कुल अनजान हैं। इस पुस्तक में जननांगों की बनावट एवं जनन-क्रिया को संक्षेप में बताया गया है। भ्रूण के विकास की क्रिया और उसको दुष्प्रभावित करनेवाले कारकों को बताया गया है। गर्भ तथा प्रसव की सामान्य एवं असामान्य स्थितियों की भी चर्चा की गई है। अन्य बीमारियों से पीडि़त माताओं को गर्भावस्था में क्या सावधानियाँ रखनी होंगी, नवजात की सही देखभाल कैसे की जाए, यह सब इस पुस्तक में वर्णित है।
हर घर-परिवार के लिए पठनीय एवं उपयोगी पुस्तक।
Garbhawati Ki Dekhbhal by Parvesh Handa
आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी।
Gargantua and Pantagruel by Francois Rabelais
The Life of Gargantua and of Pantagruel is a pentalogy of novels written in the 16th century by François Rabelais, which tells of the adventures of two giants, Gargantua and his son Pantagruel.
Garhen Apna Jeewan by Mukul Kanitkar
क्या ऐसी कोई विधि हो सकती है, जिसमें आंतरिक व सामाजिक दोनों स्तरों पर सफलता पाई जा सकती है? इसी विधि को लिपिबद्ध करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक—गढें अपना जीवन। व्यक्तित्व विकास के समग्र आयामों को इसमें संकलित किया गया है। यह पुस्तक व्यक्तित्व के पूर्ण विकास की मार्गदर्शिका बनाने का एक प्रयास है। चरित्र का गठन हो गया तो चरितार्थ की चिंता नहीं रहेगी। पद, पैसा और प्रतिष्ठा स्वयं ऐसे सार्थक व्यक्तित्व के पीछे भागेंगे। ‘गढें अपना जीवन’ केवल कुछ युक्तियाँ नहीं हैं, यह एक वैज्ञानिक विधि है।
इस पुस्तक में जीवन को सार्थक बनाने का जो तंत्र सुझाया है, वह भी समय की कसौटी पर बार-बार परखा हुआ है। यह विधि-समस्त शिक्षा पद्धति का आधार बननी चाहिए। जैसा इस पुण्यभू भारत में समय-समय पर होता रहा है, चरित्र-निर्माण एक सामान्य जीवन-प्रक्रिया बन जाए। उदात्त चरित्र के लोग अपवाद में नहीं, अपितु समाज का प्रत्येक व्यक्ति ही उदात्त चरित्र का बने। यह पुस्तक उन तत्त्वों व उनके व्यावहारिक प्रयोग को बताने का विनम्र प्रयास है, जो ऐसे आदर्श समाज-रचना का आधार बने।
Garima Sexual Harassment At Workplace by Prabhat Prakashan
Garima : Sexual Harassment at Workplace: A critical study of a survey conducted for sexual harassment at workplace in India.
Garman and Worse by Alexander Kielland
Nothing is so boundless as the sea, nothing so patient. On its broad back it bears, like a good-natured elephant, the tiny mannikins which tread the earth; and in its vast cool depths it has place for all mortal woes. It is not true that the sea is faithless, for it has never promised anything; without claim, without obligation, free, pure, and genuine beats the mighty heart, the last sound one in an ailing world. And while the mannikins strain their eyes over it, the sea sings its old song. Many understand it scarce at all, but never two understand it in the same manner, for the sea has a distinct word for each one that sets himself face to face with it
Gathbandhan Ki Rajneeti by N.M. Ghatate
भारतीय राजनीति गठबंधन के दौर में न केवल प्रवेश कर चुकी है, गठबंधन की सरकारों का गठन अब भारतीय लोकतंत्र का वर्तमान और आगामी अतीत नजर आ रहा है। राष्ट्रीय दलों ही नहीं, क्षेत्रीय दलों की पैठ मतदाताओं में जितनी गहरी होती जाएगी, यह चलन बढ़ेगा। क्षेत्रीय मुद्दों पर ही नहीं, राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने क्षेत्रीय दलों पर मतदाता का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि मतदाता चाहता है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उसका प्रतिनिधित्व उसके क्षेत्रीय दल करें। पिछले लगभग एक दशक से मतदाताओं ने गठबंधन की सरकारों के गठन का जनादेश दिया है।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्री वाजपेयी ने जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं उन्हें सहज शब्दों में कहा जा सकता है-जो कहा वह कर दिखाया। प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद भी उनकी कथनी और करनी एक ही बनी रही। अपनी बात को स्पष्ट और दृढ़ शब्दों में कहना अटल जी जैसे निर्भय और सर्वमान्य व्यक्ति के लिए सहज और संभव रहा है।
मुद्दा चाहे पड़ोसियों से संबंध सुधारने की दिशा में चीन यात्रा का हो, लाहौर बस यात्रा हो या कारगिल से दुश्मन को खदेड़ना, आगरा वार्ता हो या फिर से खेल संबंधों की बहाली, परमाणु परीक्षण हो या डन्ल्यू. टी. ओ. पर दो टूक राय या अमेरिका की मध्यस्थता को ठुकराने का फैसला। अटल जी के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था ने नई ऊँचाइयों को छुआ है। विदेशी मुद्रा भंडार, सूचना प्रौद्योगिकी, आउट सोर्सिंग, किसान बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, ग्रामीण सड़क योजना, स्वर्ण चतुर्भुज राजमार्ग, नदियों का एकीकरण, सागर माला, दूरसंचार सुविधाओं का विकास, ऊर्जा क्षेत्र का विस्तार जैसी दर्जनों योजनाएँ हैं जो अटल जी के कार्यकाल में शुरू हुई और जो आगामी अतीत में भारत को विकसित देशों की पंक्ति में स्थान दिलाने में सफल होंगी।
भारतीय राजनीति को अटल जी का योगदान है-समन्वय की राजनीति, सामंजस्य की राजनीति, मिल- जुलकर राष्ट्रहित में आगे बढ़ने की दिशा देना।
Gathbandhan Rajaneeti Mein Bihar: Double Engine Sarkar by Kumar Dinesh
वर्ष 2013-17 के बीच बिहार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन को टूटते-बनते देखा। इन दो बड़े राजनीतिक विखंडनों का शासन, समाज और अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा दुष्प्रभाव पड़ा, यह तो शोध का विषय है, लेकिन इतना तय है कि गठबंधन राजनीति के कई-कई पाटों के बीच कोई अमृत कोश अक्षुण्ण रहा, जिससे बिहारी समाज की सात्त्विक चेतना साबुत बची रही। उसकी संजीवनी से कला, विज्ञान और सामाजिक बदलाव जैसे कई क्षेत्रों में उपलब्धियों के फूल भी खिलते रहे। नीतीश कुमार के भाजपा से फिर हाथ मलाने के बाद बिहार के लिए केंद्र से टकराव का दौर समाप्त हुआ। जुलाई 2017 में 27 साल बाद पटना और दिल्ली में एक ही गठबंधन की सरकार बनी। इस संयोग को हमारे पिछड़े राज्य के विकास की गति बढ़ानेवाले बदलाव के रूप में देखा गया। पटना को मेट्रो रेल मलने का रास्ता साफ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों विकास की राजनीति के आइकन बन चुके हैं। बिहार इस समय डबल इंजनवाली राजग सरकार पर सवार है। पुस्तक का शीर्षक इस तथ्य का रूपक है। पुस्तक में हर आलेख से पहले आचार्य चाणक्य के नीति श्लोक उद्घृत किए गए हैं, ताकि पाठक स्वयं परख सकें कि आज की राजनीति कितनी नीतिपरक रह गई है।
Gauravshali Bharat by Ed. Prabhat Jha
हुआ यूँ कि हम गणतंत्र और आजादी के पर्व मनाते रहे, पर आकलन के पर्व से दूर रहे। हम जहाँ नहीं पहुँचे, वहाँ हम आँकड़ों से पहुँच गए और आँकड़ों की जुगाली में देश पिसता रहा। आजादी के समय उत्पन्न सवाल आज भी जस के तस, मसला अनुच्छेद-370 या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का मामला हो या पूर्वोत्तर की समस्या हो या राष्ट्रभाषा, राष्ट्रगान या राष्ट्रधर्म की बात हो, ये सवाल समाप्त नहीं हुए। गंगा खतरे में, यमुना सूख गई, सरस्वती लुप्त हो गई, वंशवाद के थपेड़ों से कराह रहा लोकतंत्र, संवैधानिक संस्थाओं की आस्था पर राजनैतिक चोट, गरीबी में अव्वल, भ्रष्टाचार में शिखर पर, जैसे अहम सवाल आज भी उत्तर की तलाश में भटक रहे हैं।
इन समस्याओं का समाधान संभव है, उसके लिए अद्भुत जिजीविषा और अदम्य इच्छाशक्ति चाहिए। ‘गौरवशाली भारत’ ग्रंथ ऐसे शब्दसाधकों, सरस्वती के उपासकों और भारतमाता को वैभव पर पहुँचाने का स्वप्न देखनेवाले मनीषियों की सृजनशीलता और रचनाधर्मिता के व्यापक अनुभवों का खजाना है जो एक समर्थ, सशक्त, सबल, स्वाभिमानी भारत के पथ को आलोकित करेगा।
Gautam Buddha by Arun Kumar Tiwari
ईसा पूर्व छठी शताब्दी में आनंद-प्राप्ति की खोज व जिज्ञासा के कारण विश्व में ऐसा प्रबुद्ध वर्ग सामने आया, जिसने अपने पूर्वजों के विचारों से भिन्न नए-नए विचार प्रतिपादित किए। वस्तुतः ज्ञान की दृष्टि से यह ऐसा युगांतरकारी समय था, जब चीन में कन्फ्यूशियस और लाओ-त्से, फारस में जोरोस्त्र, यूनान में पाइथागोरस तथा भारत में महावीर एवं बुद्ध जैसी महान् विभूतियों ने नए युग का सूत्रपात किया। भले ही उनकी शिक्षाएँ भिन्न-भिन्न थीं, लेकिन उनका एकमात्र लक्ष्य मानव ज्ञान को नई दिशा की ओर अभिमुख करना था।
ऐसे ही एक युग प्रवर्तक थे महात्मा बुद्ध, जिनका जन्म लुंबिनी (कपिल वस्तु) में हुआ। उनका विवाह यशोधरा से हुआ, जिसे वह गोपा कहा करते थे। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। जीवन के दर्दनाक दृश्यों को देखकर सिद्धार्थ को यौवन से मोहभंग हो गया और वे गृह त्याग कर शांति की तलाश में निकले। अनेकों वर्ष तप करने के बाद उन्हें ज्ञान का प्रकाश मिला। उन्होंने दुनिया में घूम-घूमकर मानव जाति को अहिंसा पर चलने की सीख दी, अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया। अपने पुत्र-पुत्री को भी विदेशों में अहिंसा का प्रचार करने भेजा।
प्रस्तुत संग्रह में शांति के अग्रदूत गौतम बुद्ध के जीवन और दर्शन का बृहद् विवेचन है, जो हर आयु वर्ग के पाठकों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
Gautam Buddha Ki Prerak Kahaniyan by mukesh Nadan
गौतम बुद्ध तथागत नाम से भी जाने गए। गौतम बुद्ध ने अपने सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में जाति व्यवस्था का भी घोर विरोध किया था। उन्होंने मानव-मानव की समानता पर बल दिया। उन्होंने जन्म को न मानकर बुद्धि तथा चरित्र के आधार को छोटे-बड़े होने का मापदंड माना है। उन्होंने घोषणा भी की थी कि मनुष्य जन्म से नहीं, अपितु कर्म से ब्राह्मण अथवा शूद्र होता है।
गौतम बुद्ध द्वारा अनेक ऐसी बातों का प्रचार किया गया, जो आज भी मानव को एक-दूसरे से प्रेम, सद्भाव, दया और भाईचारे का संदेश देती हैं। इन्हीं संदेशों से प्रेरित गौतम बुद्ध की अनेक कथाएँ समाज-जीवन में प्रचलित हैं, जो मानव को असीम ज्ञान की ओर प्रेरित करती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐसी भी कुछ कथाओं को संगृहीत किया गया है, जो गौतम बुद्ध के जन्म से लेकर निर्वाण तक की घटनाओं का वर्णन करती हैं तथा उनके आचार-विचार से ओतप्रोत हैं। अपने शिष्यों को समय-समय पर उपदेश देते हुए उन्होंने अनेक कथाओं को उदाहरणार्थ समझाने का प्रयास किया और उन्हीं कथाओ का प्रचार-प्रसार उनके शिष्यों ने भी आगे किया। कथाएँ पूर्ण रूप से शिक्षात्मक एवं संस्कारित हैं।
हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि गौतम बुद्ध की ये पठनीय कथाएँ अवश्य ही प्रत्येक वर्ग के पाठकों को ज्ञान का बोध कराने में सहायक सिद्ध होंगी और समरस समाज बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
Gehoon Aur Gulab by Sri Ramvriksh Benipuri
‘गेहूँ और गुलाब’ 1948 से 1950 के बीच लिखे शब्दचित्रों का संग्रह है, जिसमें 25 शब्दचित्र हैं। इनमें समाज, परिवार, व्यक्ति, संस्कृति, प्रकृति, किसान, मजदूर, समाज के अपवंचितों—डोम, कंजर, घासवाली, पनिहारिन इत्यादि के चित्र हैं। लेखक ने उद्घोषित किया है ‘‘यह पुस्तक है और आंदोलन भी।’’ वस्तुत: इस पुस्तक के शब्दचित्र ‘हैंड कैमरा के स्नैपशॉट’ हैं—‘हाथी दाँत पर की तसवीरें’।
‘लाल तारा’ 1938 से 1939 के बीच लिखे गए शब्दचित्रों का संग्रह है, जिसके लिए लेखक ने लिखा है—‘‘लाल तारा मेरे शब्दचित्रों का पहला संग्रह है। इसका पहला रूप उस जमाने में लिखा था, जब मैं सिर से पैर तक लाल-लाल था।’’ इनमें 16 शब्दचित्र हैं। वस्तुत: निविड़ अँधकार और घने कुहासे के परदे को फाड़कर पूरब के क्षितिज पर जगमग-जगमग करने वाला लाल तारा नए प्रभात का, नए समाज का, नई मानवता का, नई संस्कृति का प्रतीक है।
‘सतरंगा धनुष’ मुख्यत: 1937 से 1939 के बीच लिखे गए ललित निबंधों का संग्रह है, परंतु बाद में 1954 में ‘बूढ़ा कुत्ता’ तथा ‘बाँसुरी बजाए जा’ जोड़ा गया था। इस पुस्तक में 11 निबंध सम्मिलित हैं। इन निबंधों में उत्तरांचल (बिहार) की मिट्टी की सोंधी महक, लोक-संस्कृति की जीवंतता, ग्राम्य परंपरओं की मूर्तता एवं प्रकृति के रंग-बिरंगे चित्र अपनी पूरी ऊर्जस्विता के साथ विद्यमान हैं। वस्तुत: यह संकलन उत्तर बिहार की उबड़-खाबड़, किंतु सहज जिंदगी की, उनकी सारी विषमताओं, रीति-रिवाजों, आस्था और विश्वासों का गद्यकाव्य है।
Gems of Poetry, for Girls and Boys by Unknown
Great Stories and poems for children is a collection of most delightful childrens stories.
Gender Inequality in India by Mamta Mahrotra
The status of women is how the society perceives a women and not what it should be. Women at every stage are deprived of opportunities because of their sexuality. This book is a small step towards the realization of the fragrance called woman and to accept the Kasturithat is the inherent qualityof a woman.
India is our motherland and we belong to it. It is high time that we learn to give our women respect and treat them with dignity they deserve. Women are the pillars of any society and the foundation stone of any family. Now they should be accepted as such with all their innate abilities, talents, qualitiesand more than that as ‘Women’ – a wonderful creation blessed with the power of creation and the power to reproduce and replicate.
I hope any small step towards the realization of this concept would bealong step in changing the mindset of all our self-acclaimed social gurus and custodians of dharma and fatwas in treating women as equal partners in the growth of the nation, family and children – an asset which cannot be treated lightly.
General Knowledge 2019 by Team Prabhat Prakashan
The book ‘General Knowledge 2019’ has been developed keeping in mind the 1 requirement of the aspirants of various competitive exams like SSC, Banks, Railway, Police, NDA/CDS, RBI, LIC/GIC, UPSC and all other entrance and recruitment exams. The main aim of this book is to make the reader familiar with all the aspects of General Knowledge in a very systematic, simple, well-structured and useful way. The book covers almost all subjects and topics in all the areas of study. The book provides complete information through various sections on History, Geography, Political Science, Economics, General Science, Literature, Sports, Awards and Honours and Abbreviations at the last.
Gentle Measures in the Management and Training of the Young by Jacob Abbott
It is not impossible that in the minds of some persons the idea of employing gentle measures in the management and training of children may seem to imply the abandonment of the principle of authority, as the basis of the parental government, and the substitution of some weak and inefficient system of artifice and manoeuvring in its place. To suppose that the object of this work is to aid in effecting such a substitution as that, is entirely to mistake its nature and design. The only government of the parent over the child that is worthy of the name is one of authority—complete, absolute, unquestioned authority. The object of this work is, accordingly, not to show how the gentle methods which will be brought to view can be employed as a substitute for such authority, but how they can be made to aid in establishing and maintaining it.
Geography Quiz Book by Sachin Singhal
A freelance Author. He is postgraduate in Management and Graduate in Law. He has several books to his credit—Hindu Mythology, Religion Quiz, Sports Quiz, Indoor Games, Outdoor Games etc.
George in Camp by Harry Castlemon
Harry Castlemon is the pseudoname of Charles Austin Fosdick. His series of adventure and action written for boys got famous in the 19th century. The present book is story of George Ackerman, who is a sturdy, broad-shouldered youth, about fifteen years of age. He was one of the boys introduced in the concluding volume of the “Boy Trapper Series,” who was known for his adventures and exploits. We find him now at his home in Texas, sitting on the porch in front of the house in which he lived, busily engaged in mending a broken bridle with an awl and a piece of waxed-end.
George Silverman’s Explanation by Charles Dickens
George Silverman’s Explanation book; Best book of Charles Dickens; FICTION / General book;Classics Book
George Washington by John S. C. Abbott
As Columbus and La Salle were the most prominent of the Pioneers of America, so was Washington the most illustrious of its Patriots. In the career of Columbus we have a vivid sketch of life in the tropical portions of the New World four hundred years ago.
The adventures of La Salle, in exploring this continent two hundred years ago, from the Northern Lakes to the Mexican Gulf, are almost without parallel, even in the pages of romance. His narrative gives information, such as can nowhere else be found, of the native inhabitants, their number, character, and modes of life when the white man first reached these shores.
Germaine by Edmond François Valentin About
Germaine avait quatre mois à vivre, au sentiment du docteur Le Bris. Elle devait tomber aux premiers jours du printemps; les lilas blancs auraient le temps de fleurir sur sa tombe. Elle pressentait sa destinée et jugeait son état avec une clairvoyance bien rare chez les phthisiques. Peut-être même avait-elle soupçon du mal qui minait sa mère. Elle couchait à côté de la duchesse, et dans ses longues nuits d’insomnie elle s’effrayait quelquefois du sommeil haletant de sa chère garde-malade. «Quand je serai morte, pensait-elle, maman me suivra de près. Nous ne nous quitterons pas pour longtemps. Mais que deviendra mon père?» —Du livre
TABLE DES MATIÈRES
I LES ÉTRENNES DE LA DUCHESSE
II LA DEMANDE EN MARIAGE
III LA NOCE
IV VOYAGE EN ITALIE
V LE DUC
VI LETTRES DE CORFOU
VII LE NOUVEAU DOMESTIQUE
VIII BEAUX JOURS
IX LETTRES DE CHINE ET DE PARIS.
X LA CRISE
XI LA VEUVE CHERMIDY
XII LA GUERRE
XIII LE COUTEAU
XIV LA JUSTICE
XV CONCLUSION