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Aadunik Nari – Saundayra Evam Fitness

SKU: Mag-24132

Yah nirnivaad saty hai ki naaree prakrti kee sundar rachanaon mein se ek hai. pratyek naaree ko apane saundary ke rakh rakhaav kee chinta har ghadee sataatee rahatee hai. yah bhee saty hai ki bina uchit rakh rakhaav ke naaree saundary kee raksha nahin kee ja sakatee hai. usaka saundary kaise surakshit rahe is vishay ko dhyaan mein rakhakar yah pustak likhee gaee hai.
is pustak mein naaree saundary ke upachaar ke vibhinn prakaar ke aasaan praakrtik evan aartipiphasiyal upaayon ke oopar prakaash daala gaya hai. isamen varnit kuchh vishesh prakaar ke byootee tips vishesh roop se naariyon kee saundary raksha mein behatar si (honge, jaise muhaanse door karen, heyar spa, draee u ke ootas ka kamaal, mekap ka saleeka, tvacha kee jhurriyaan kaise hataayen aadi.
sundarata kee raksha karane ke saath-saath pratyek naaree ke liye apane shareer kee piphatanes kaayam rakhana bhee utana hee mahattvapoorn hain. piphatanes kaayam rakhane hetu is pustak mein kaee prakaar ke eksarasaij tatha jyaada pareshaanee hone par daaaiktar se salaah lene ka paraamarsh diya gaya hai.
naaree ke piphatanes ke lie pustak mein bataee gaee kuchh jarooree baaten-
paphaast poophad ko karen baay-baay
niyantrit bhojan ke saath eksarasaij dvaara apane ko chust-doorust rakhen.
daayating karane se pahale daitishiyan kee salaah avashy len.
hamesha tanaavamukt va khush rahane kee koshish karen.(It is universally accepted that women are one of the world’s most beautiful creatures. They need to take proper care, to be able to look the way they wish to. The author gives out beauty tips which may help them in becoming prettier, improving skin texture, hair spa, etc. Besides appearing beautiful, women also need to stay healthy and fit. The book has indoor exercises women must do to remain fit. ) #v&spublishers

Aahaar Chikitsa by Swami Akshey Atmanand

SKU: 9789351867708

योग – जगत् ‘ के परम श्रद्धास्पद अधिकारी गुरु के रूप में प्रख्यात नाम है- स्वामी अक्षय आत्मानंदजी । स्वामीजी ने योगासन, प्राणायाम, अध्यात्म विज्ञान, सम्मोहन विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान आदि विषयों पर अत्यंत सरल -सुबोध भाषा एवं तार्किक शैली में अति रोचक अनेक ग्रंथों की रचना की है । स्वामीजी का साहित्य इतना सराहा गया है कि उनके ग्रंथों के कई – कई संस्करण हुए हैं ।
स्वामी अक्षय आत्मानंद योग एवं आहार संबंधी चिकित्सा को समर्पित एक ऐसे व्यक्‍त‌ित्व हैं, जिनकी पुस्तकें पाठक गण बड़ी श्रद्धा से पढ़ते हैं । उनकी पुस्तकों ने जहाँ स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान को सर्वसाधारण के लिए सहज-सुलभ बनाया है, वहीं पाठकों को गहरी अंतर्दृष्‍ट‌ि भी प्रदान की है ।
स्वामीजी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान पत्र द्वारा भी करते हैं ।
संपर्क सूत्र :
स्वामी अक्षय आत्मानंद
38/15, जैन भवन, लखेरा,
कटनी – 483504 ( म.प्र.)

Aaj Bhi Khare Hain Talab by  anupam Mishra

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तालाब का लबालब भर जाना भी एक बड़ा उत्सव बन जाता । समाज के लिए इससे बड़ा और कौन सा प्रसंग होगा कि तालाब की अपरा चल निकलती है । भुज (कच्छ) के सबसे बड़े तालाब हमीरसर के घाट में बनी हाथी की एक मूर्ति अपरा चलने की सूचक है । जब जल इस मूर्ति को छू लेता तो पूरे शहर में खबर फैल जाती थी । शहर तालाब के घाटों पर आ जाता । कम पानी का इलाका इस घटना को एक त्योहार में बदल लेता । भुज के राजा घाट पर आते और पूरे शहर की उपस्थिति में तालाब की पूजा करते तथा पूरे भरे तालाब का आशीर्वाद लेकर लौटते । तालाब का पूरा भर जाना, सिर्फ एक घटना नहीं आनंद है, मंगल सूचक है, उत्सव है, महोत्सव है । वह प्रजा और राजा को घाट तक ले आता था ।

पानी की तस्करी? सारा इंतजाम हो जाए पर यदि पानी की तस्करी न रोकी जाए तो अच्छा खासा तालाब देखते-ही-देखते सूख जाता है । वर्षा में लबालब भरा, शरद में साफ-सुथरे नीले रंग में डूबा, शिशिर में शीतल हुआ, बसंत में झूमा और फिर ग्रीष्म में? तपता सूरज तालाब का सारा पानी खींच लेगा । शायद तालाब के प्रसंग में ही सूरज का एक विचित्र नाम ‘ अंबु तस्कर ‘ रखा गया है । तस्कर हो सूरज जैसा और आगर यानी खजाना बिना पहरे के खुला पड़ा हो तो चोरी होने में क्या देरी?

सभी को पहले से पता रहता था, फिर भी नगर भर में ढिंढोरा पिटता था । राजा की तरफ से वर्ष के अंतिम दिन, फाल्‍गुन कृष्ण चौदस को नगर के सबसे बड़े तालाब घड़सीसर पर ल्हास खेलने का बुलावा है । उस दिन राजा, उनका पूरा परिवार, दरबार, सेना और पूरी प्रजा कुदाल, फावड़े, तगाड़‌ियाँ लेकर घड़सीसर पर जमा होती । राजा तालाब की मिट्टी काटकर पहली तगाड़ी भरता और उसे खुद उठाकर पाल पर डालता । बस गाजे- बाजे के साथ ल्हास शुरू । पूरी प्रजा का खाना-पीना दरबार की तरफ से होता । राजा और प्रजा सबके हाथ मिट्टी में सन जाते । राजा इतने तन्मय हो जाते कि उस दिन उनके कंधे से किसी का भी कंधा टकरा सकता था । जो दरबार में भी सुलभ नहीं, आज वही तालाब के दरवाजे पर मिट्टी ढो रहा है । राजा की सुरक्षा की व्यवस्था करने वाले उनके अंगरक्षक भी मिट्टी काट रहे हैं, मिट्टी डाल रहे हैं ।

उपेक्षा की इस आँधी में कई तालाब फिर भी खड़े हैं । देश भर में कोई आठ से दस लाख तालाब आज भी भर रहे हैं और वरुण देवता का प्रसाद सुपात्रों के साथ-साथ कुपात्रों में भी बाँट रहे हैं । उनकी मजबूत बनक इसका एक कारण है, पर एकमात्र कारण नहीं । तब तो मजबूत पत्थर के बने पुराने किले खँडहरों में नहीं बदलते । कई तरफ से टूट चुके समाज में तालाबों की स्मृति अभी भी शेष है । स्मृति की यह मजबूती पत्थर की मजबूती से ज्यादा मजबूत है ।
– इस पुस्तक से