Rashtra Prem Ki Kahaniyan by Mayaram Patang
प्रस्तुत पुस्तक में दी गई कहानियाँ न तो मौलिक हैं, न काल्पनिक, बल्कि सच्ची एवं प्रामाणिक घटनाओं पर आधारित हैं।
राष्ट्र से बड़ी चीज कोई नहीं है। राष्ट्र के प्रति यदि सम्मान नहीं है तो मनुष्य जीवन में किसी भी चीज का सम्मान नहीं कर सकता। लंका विजय के बाद महाबली रावण को परास्त कर जब श्रीराम विजयी हुए तो विभीषण ने उन्हें उपहार-स्वरूप जीती गई लंका देनी चाही। इस पर श्रीराम ने कहा—‘अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’ यानी सोने की लंका का आकर्षण भी श्रीराम को मातृभूमि को लौटने के संकल्प से न डिगा पाया।
ऐसे सैकड़ों उदाहरण उपलब्ध हैं जब राष्ट्र के लिए, राष्ट्रवासियों के लिए हजारों-हजार लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। राष्ट्र-प्रेम केवल युद्ध में प्राण देकर नहीं बल्कि सकारात्मक योगदान करके प्रदर्शित किया जा सकता है। स्वदेश, स्वभाषा, स्वजन—इन सबके प्रति आदर और समर्पण ही सच्चा राष्ट्रप्रेम है।
राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत कहानियों का प्रेरणाप्रद संकलन, जिसके पढ़ने से निश्चय ही एक बेहतर राष्ट्र बनाने का संकल्प पूरा होगा।
Language |
Hindi |
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